राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: मध्यप्रदेश में और बढ़ सकती है
अलग-अलग नेताओं के माध्यम से जन आशीर्वाद यात्राओं का जो फीडबैक भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा है, उससे अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं। इस फीडबैक के बाद आने वाले समय में मध्यप्रदेश में दिल्ली की दखल और बढ़ सकती है।
इन यात्राओं में लोगों की कम उपस्थिति और कार्यकर्ताओं की बेरुखी का मुद्दा तो पहले दिन से ही चर्चा में था। दिल्ली तक जो बात पहुंच रही है, उसके मुताबिक मध्यप्रदेश में आम आदमी को प्रभावित करने वाला निचले स्तर का भ्रष्टाचार, कार्यकर्ताओं की अनदेखी और नौकरशाही का हावी होना, तीन ऐसे मुद्दे हैं, जो निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं।
प्रधानमंत्री का अंदाज… भविष्य के समीकरण का संकेत
बीना में पेट्रोकेमिकल काम्पलेक्स नमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह रोड शो के दौरान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को बगल में खड़ा किया वह मध्यप्रदेश की राजनीति में भविष्य के समीकरण का एक संकेत है।
प्रधानमंत्री इन दिनों जिस अंदाज में मध्यप्रदेश के दूसरे नेताओं को तवज्जो दे रहे हैं, उसे विधानसभा चुनाव के बाद के संभावित परिदृश्य से जोड़कर भी देखा जा रहा है। गौरतलब यह है कि इस सबसे मुख्यमंत्री की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है और अपनी चुनावी घोषणाओं के बीच वे आज भी दमदारी से यह कह रहे हैं कि चिंता मत करो चुनाव के बाद भी मुझे ही सब करना है।
आसान नहीं है मध्यप्रदेश के नेताओं में तालमेल जमाना
दिल्ली दरबार की आंखों के तारे केंद्रीय मंत्रीद्वय भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव को भी यह अहसास तो हो ही गया है कि मध्यप्रदेश के नेताओं में तालमेल जमाना और कार्यकर्ताओं को साधना आसान काम नहीं है। ग्वालियर में जिस अंदाज में यादव की मौजूदगी में नरेंद्रसिंह समर्थकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ मोर्चा खोला और उसके बाद आरोपों की झड़ी लग गईं, उससे साफ है कि एका सिर्फ मंचों तक ही सीमित है।
विंध्य और मध्य क्षेत्र यानि भोपाल-होशंगाबाद संभाग में भी जमकर टांग खिंचाई चल रही है। मालवा निमाड़ में अलग तरह की मुखरता है। इंदौर में कृष्णमुरारी मोघे का दर्द जिस तरह झलका और झाबुआ में सिंधिया के सामने जिस तरह पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल फट पड़े उससे सबकुछ समझ आ रहा है।
सुरजेवाला ने आसान कर दिया है कमलनाथ का काम
रणदीप सुरजेवाला को मध्यप्रदेश का प्रभारी बनाकर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का काम आसान कर दिया है। अब टिकट के लिए जो भी नेता या उसके समर्थक कमलनाथ के यहां दस्तक देते हैं, उन्हें वे यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि सुरजेवाला जी से जाकर मिलो। नतीजा यह है कि सुरजेवाला का दरबार भी सज गया है।
अंदरखाने की खबर यह है कि सुरजेवाला समय-समय पर कमलनाथ को साध भी लेते हैं और इसी का नतीजा है कि कई मामलों में अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पहले जैसे तीखे तेवर नहीं दिखाते हैं। वैसे कमलनाथ की साफगोई ने सुरजेवाला को प्रभावित तो कर रखा है।
एक नंबर में टिकट की दौड़… और संघ के गोपाल जी
संघ के गोपाल जी यानि गोपाल गोयल का नाम इंदौर में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 से क्या चला यहां से टिकट के दावेदारों की नींद हराम हो गई है। कुछ को लग रहा था कि पिछली बार चुनाव हार चुके सुदर्शन गुप्ता का टिकट कटा तो इस बार उनका नंबर लग जाएगा। भाजपा में ऐसे दावेदारों की इस क्षेत्र में सूची लंबी थी, पर जब से संघ के भाईसाहब गोपाल जी का नाम आया है, सारे दावेदार मुश्किल और परेशानी में हैं। गुप्ता और इन दावेदारों के विरोधी गोपाल जी को टिकट का प्रबल दावेदार बताने में जुटे हैं। यह तो वक्त ही बताएगा कि गोपाल जी टिकट ला पाते हैं या नहीं, फिलहाल उन्होंने टिकट की दौड़ में मजबूत जगह बना रखी है।
राजभवन के समीकरण और उम्मीद लगाए बैठे लोगों में असंतोष
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय कार्यपरिषद में नए चेहरों की नियुक्ति विधानसभा चुनाव से पहले हो गई है। इन नियुक्तियों के पीछे के समीकरण को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
कहा जा रहा है कि जो नियुक्तियां होना थी, वह तो हो ही गईं, दिक्कत यह है कि जिनकी नियुक्ति नहीं हो पाई, उन आशावान लोगों में भारी असंतोष है। वैसे भी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में विधानसभा चुनाव के बाद बड़े बदलाव की सुगबुगाहट अभी से है। देखना है कि कैसा और कितना बदलाव चुनाव बाद होता है।
शोभा ओझा मंच पर और अशोक सिंह के लिए एक्स्ट्रा चेयर
एक समय मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग की कमान संभाल चुकी शोभा ओझा इन दिनों इसी विभाग में बेगानी हो गईं हैं। वे पार्टी के कई नेताओं के निशाने पर हैं। शोभा पर बड़ा आरोप यह है कि वे दायित्व तय होने के बावजूद कांग्रेस के ही दूसरे विभागों के कामकाज में दखल दे रही हैं। बात कमलनाथ तक पहुंच चुकी है और वे भी इशारों ही इशारों में शोभा को समझा भी चुके हैं। इधर शोभा भी मानने को तैयार नहीं हैं, पिछले दिनों भोपाल में रणदीप सुरजेवाला की मौजूदगी में ताज होटल में हुई प्रेस कान्फ्रेंस में उनका नाम मंच पर बैठने वालों की सूची में नहीं था, बावजूद इसके वे वहां आसीन हो गईं और कोषाध्यक्ष अशोक सिंह के लिए एक्स्ट्रा चेयर की व्यवस्था करना पड़ी।
चलते-चलते
जब भी यह बात उठती है कि मध्यप्रदेश का अगला लोकायुक्त कौन होगा, तो जस्टिस वीरेन्दर सिंह का नाम अचानक ही सामने आ जाता है। ऐसा क्यों, इसका जवाब भी तत्काल मिल जाता है। कहा यह जा रहा है कि प्रदेश के मुख्य सचिव पद से विदा होने के पहले इकबालसिंह बैस इस काम को भी अंजाम देने का प्रयास कर रहे हैं। देखें सफल हो पाते हैं या नहीं।
प्रमोद टंडन वापस कांग्रेस में आ गए और बेहद मुखर हैं। घोषित तौर पर निशाने पर गौरव रणदिवे हैं, पर नाराजगी तुलसी सिलावट से भी कम नहीं है। कारण बस यह लगता है कि सरकार में सिंधिया खेमे के नंबर एक प्रतिनिधि होने के बावजूद सिलावट टंडन जैसे खांटी सिंधिया समर्थकों से दूरी बनाकर चले।
पुछल्ला
वीआरएस का आवेदन मंजूर न होने के कारण भले ही सीनियर आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा विधानसभा का चुनाव न लड़ पाएं, लेकिन डीआईजी पद से सेवानिवृत्त हुए एन.पी. बरकड़े और उनकी बेटी में से कोई एक जरूर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।
बात मीडिया की
वरिष्ठ पत्रकार ललित उपमन्यु अब टीम प्रभातकिरण का हिस्सा हो गए हैं। कुछ दिन अग्निबाण में सेवाएं देने के बाद उपमन्यु ने यहां दस्तक दी है। उपमन्यु दैनिक भास्कर, नईदुनिया और दबंग दुनिया सहित कई अखबारों में सेवाएं दे चुके हैं।
युवा पत्रकार शताब्दी शर्मा ने आईएनडी 24 ज्वाइन कर लिया है। वे यहां रिपोर्टिंग टीम का हिस्सा होंगी। शताब्दी इसके पहले जी-एमपी-सीजी सहित कई लोकल चैनल्स में सेवाएं दे चुकी हैं।