जानिए, गणेश जी ने अपना वाहन चूहे को ही क्यों चुना?दो चर्चित पौराणिक कथाएं

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जानिए, गणेश जी ने अपना वाहन चूहे को ही क्यों चुना?दो चर्चित पौराणिक कथाएं

गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। क्या कभी आपके मन में ये सवाल आया कि भगवान गणेश की शारीरिक बनावट के हिसाब से उनका वाहन छोटा सा चूहा क्यों है? गणेश जी ने आखिर छोटे से जीव को ही अपना वाहन क्यों चुना?गणपति बुद्धि और विद्या के देवता हैं। तर्क-वितर्क में उनका कोई सानी नहीं है। एक-एक बात या समस्या की तह में जाना, और उसके निष्कर्ष तक पहुंचना उनका शौक है और इसी तरह चूहा भी तर्क-वितर्क में पीछे नहीं रहता। हर चीज को काट-छांट कर रख देता है और उतना ही फुर्तीला भी है और साथ ही साथ जागरूक रहने का संदेश भी देता है।लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि गणेश जी की सवारी एक चूहा क्यों है? गणेश जी की सवारी चूहा क्यों है इसके पीछे एक नहीं बल्कि दो चर्चित लोक कथाएं और पौराणिक कथाएं हैं। इस लेख में हम आपको दोनों कथाएं बताएंगे।

                             असुर गजमुख बना था गणेश जी का वाहन

  • पहली कथा के अनुसार गजमुख नाम का असुरों का महाराजा हजारों युगों पहले सभी देवी-देवताओं को अपने वश में करना चाहता था। साथ ही वह बहुत शक्तिशाली और धनवान बनना चाहता था। उसे यह वरदान मिल जाए इसलिए वह अपना महल और राज्य छोड़ कर जंगल में जा कर शिवजी से वरदान प्राप्त करने के लिए बिना भोजन खाएं दिन-रात तपस्या करने लगा।
  • कई साल बीत गए फिर शिवजी उसकी तपस्या को देखकर प्रसन्न हुए और शिवजी ने उसकी भक्ति को देखकर उसे कई शक्तियां प्रदान कर दी थी। जिससे वह बहुत ताकतवर और शक्तिशाली बन गया था। सबसे अलग ताकत जो शिवजी ने उसे प्रदान करी वह यह थी कि उसे किसी भी अस्त्र या शस्त्र से नहीं मारा जा सकता था।
  • असुरों के राजा गजमुख को अपनी शक्तियों पर घमंड होने लगा। जिसके बाद उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया था। उसने देवी-देवताओं पर आक्रमण करना शुरू कर दिया। गजमुख हमेशा से यही चाहता था कि हर देवता उसका ही पूजन करें।

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  • सभी देवताओं में से ब्रह्मा, विष्णु, शिव, और गणेश जी ही सिर्फ गजमुख के इस रूप के आतंक से बचे हुए थे। अपने जीवन की रक्षा के लिए सभी देवता शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी के शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का उपाय करने को कहा था। गजमुख के आतंक से सबकी रक्षा करने के लिए शिव जी ने गणेश जी को असुर गजमुख को रोकने के लिए भेजा था।
  • फिर गणेश जी ने युध्य में असुर गजमुख को बुरी तरह से घायल कर दिया। लेकिन गजमुख ने हार नहीं मानी। आपको बता दें कि गजमुख जब गणेश जी की तरफ आक्रमण करने के लिए दौड़ा तब उसने स्वयं को एक चूहे के रूप में बदल लिया लेकिन गणेश जी कूद कर उसके ऊपर बैठ गए और गणेश जी ने गजमुख को जीवन भर के लिए चूहे में बदल दिया और अपने वाहन के रूप में जीवन भर के लिए उसे अपने साथ रख लिया।
  •  इसके बाद गजमुख भी श्री गणेश जी के शरण में आ गया और उनका प्रिय मित्र भी बन गया।
  • प्रस्तुति-टीना तिवारी इंदौर

                              क्रौंच बना था गणेश जी का वाहन

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    इंद्र  के दरबार में क्रौंच नाम का एक गंधर्व था और उसके पांव की ठोकर मुनि कामदेव को लगी । मुनि नाराज हो गए और श्राप दे दिया गंधर्व को कि तू मूषक हो जाए।गंधर्व हाथ जोड़ कर विनती करने लगा कि अनजाने में गलती हो गई ।कामदेव नरम हुए और कि तू गजानन का वाहन बनेगा तब तेरा दुख मिट जाएगा ।
    कुछ ही देर बाद वह गंधर्व मूषक बन गया और वह धड़ाम से पाराशर ऋषि के आश्रम में आ गिरा । वह मूषक मामूली नहीं था अपितु,पर्वत जैसा विशालकाय और भयानक था । उसके बडे़ -बड़े दांत बहुत तीखे और डरावने थे । मूषक आश्रम में बहुत ऊधम करने लगा । मिट्टी के सारे बर्तन तोड़ डाले और जितना भी वहां अन्न था सब समाप्त कर दिया । ऋषियों के वस्त्र और वल्कल कुतरने लगा । उस मूषक ने सारी वाटिका नष्ट कर दी और पेड़ -पौधे उखाड़ डाले । मूषक का यह उत्पात देख कर पाराशर ऋषि बहुत दुखी हो गए और सोचने लगे कि मेरा दुख कैसे दूर होगा ? मूषक से मुक्ति कैसे हो?
    उन दिनों आश्रम में गजमुख रह रहे थे जिनकी कथा इस प्रकार है – शिव जी ने नंदी को बुला कर आज्ञा दी कि पार्वती पुत्र को ले जाओ और महिष्मती नगरी की रानी ने पुत्र को जन्म दिया है उसे एक राक्षसी उठा ले गई है इसे वहां रख आओ । नंदी ने आज्ञा का पालन किया ,परन्तु महिष्मती के राजा व अन्य लोग उस बालक को देख कर डर गए और कहने लगे कि किसी मनुष्य के यहां ऐसे बालक ने जन्म नहीं लिया है। चार हाथ हैं और हाथी जैसा मुख है इसे घर में रखना ठीक नहीं है ।राजा ने तुरन्त उस बालक को जंगल में छुड़वा दिया । सरोवर के किनारे महर्षि पाराशर ने उस बालक को देखा तो उसे अपने आश्रम ले आए । वे समझ गए कि प्रभु उन पर कृपा करने पधारे हैं । अब गजमुख वहां रहते हुए पाराशर ऋषि को ही अपना पिता मानने लगे और जब उन्हें परेशान देखा तो कहने लगे कि पिताजी आप चिंतित नहीं हों। मैं इस मूषक को अपना वाहन बना लूंगा ।

  • Lord Ganesha's vaahan: भगवान गणेश की सवारी क्यों है चूहा, जानें विनायक की इस सवारी का किस्सा
  • गजानन ने मूषक पर अपना पाश फेंका तो चारों दिशाओं में तेज प्रकाश की चमक फैल गई। अग्नि के मुख वाले उस पाश ने चक्कर काटते हुए पृथ्वी तल में प्रवेश किया और मूषक का कंठ बांध दिया । मूषक बोला कि मैं तो पर्वतों को नष्ट कर देता था ,परन्तु मुझ बलवान को किसने बांध दिया ?पाश उस मूषक को खींच कर गजानन के सम्मुख ले आया ।मूषक ने गजानन को देखा तो उनकी स्तुति कर बोला के प्रभु मैं आपकी शरण में हूं । गजानन बोले कि दुष्ट तुमने आश्रम में रहने वालों को बहुत कष्ट पहुंचाया है, परन्तु अब शरणागत हो तो निर्भय हो जाओ और कोई वर मांग लो । मूषक का अहंकार पुन: जाग उठा और बोला मुझे आपसे कुछ नहीं मांगना है । आप चाहें तो मुझसे कुछ मांग सकते हैं । गजानन ने चतुराई से काम लिया और बोले कि तेरा वचन सत्य है तो मेरा वाहन बन जा ।मूषक ने तथास्तु बोल दिया गजानन उनके ऊपर जा बैठे । मूषक गजानन के भार से दब गया तो त्राहि -त्राहि करने लगा और बोला प्रभु आप इतने हल्के हो जाएं कि मैं आपका भार उठा सकूं । मूषक का अहंकार टूट गया था । गजानन इतने हल्के हो गए कि मूषक उनका भार वहन कर सके । बस तबसे ही गजानन का वाहन मूषक है ।
  • प्रस्तुति -नीति अग्निहोत्री ,इंदौर (म.प्र)
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