Ganesh Chaturthi Special:”स्वयम्भू पञ्चमुखी श्री अर्केश्वर गणेश धाम – स्नेहलतागंज इंदौर के प्राकट्य की महिमा “

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Ganesh Chaturthi Special:” स्वयम्भू पञ्चमुखी श्री अर्केश्वर गणेश धाम – स्नेहलतागंज इंदौर के प्राकट्य की महिमा “

मणिमाल शर्मा की विशेष रिपोर्ट 

पंच मुखी गणेश चार दिशा और एक ब्रह्मांड के प्रतीक भी माने गए हैं अत: वे चारों दिशा से रक्षा करते हैं.
वे पांच तत्वों की रक्षा करते हैं. घर में इनको उत्तर या पूर्व दिशा में रखना मंगलकारी होता है. ईश्वर आदि हैं, अनंत हैं.  उनका स्वरूप निराकार है.

स्वर्गीय श्री राधेश्याम जी जोशी के निवास के आँगन में एक छोटा सा बगीचा था , जिसमें लगभग २१ वर्ष पूर्व अपने आप सफ़ेद अकाव का एक पौधा उग आया ! धार्मिक आस्था वाले जोशी परिवार ने उस पौधे को न केवल बड़े जतन से सहेजा , बल्कि प्रतिदिन उसका पूजन भी करते रहे ! वह पौधा बढ़ते – बढ़ते क़रीब २७ फीट ऊँचा एक वृक्ष बन गया ! श्री जोशी या उनके परिजनों को तनिक भी अनुमान नहीं था , कि उस विलक्षण पौधे के नीचे कैसा ईश्वरीय चमत्कार आकार ग्रहण कर रहा है !

श्री जोशी के एक किरायेदार श्री बनवारीलाल जी भारद्वाज की सुपुत्री श्रीमती यशोदा कौशिक ने सन् २००२ के श्रावण मास में अपने ससुराल में अर्धरात्रि को एक स्वप्न देखा , जिसमें उन्हें उक्त अकाव के वृक्ष के निकट बहुत लंबी सूँड़ वाले गणेशजी के दर्शन हुवे और उन्होंने आदेश दिया , कि मुझे यहाँ से बाहर निकालो ! बेटी ने श्री जोशी को अपने स्वप्न की जानकारी दी ! इसी बीच श्री जोशी के घर के पूजा स्थल में लगभग २५ वर्षों से सेवित एक नर्मदेश्वर शिवलिंग अचानक ग़ायब हो गए ! स्वाभाविक ही पूरा परिवार परेशान हो उठा ! दो-ढाई घंटों की सघन छानबीन के बाद शिवलिंग का कुछ पता न लगा ! इसी दौरान जब श्री जोशी जी की धर्मपत्नी श्रीमती रेणु जोशी को यशोदा जी के स्वप्न की बात मालूम हुई उन्होंने कहा कि – “ लगता है पिताजी ( शिवजी ) पुत्र ( गणेश जी ) की अगवानी करने चले गए ! “

सौभाग्य कहें या संयोग , थोड़ी देर बाद जब पुनः तलाश शुरू हुई तो , खोये हुवे शिवजी सही सलामत हाथ लग गए ! परिवार की जान में जान आयी ! अब श्री जोशी जी ने सिलावटपुरा स्थित श्री गणेश मंदिर ( जहाँ अकाव की जड़ से निर्मित गणेश जी विराजमान हैं ) के पुजारी पंडित श्री तेज करण जी राठौड़ को यशोदा जी के स्वप्न की जानकारी दी ! श्री राठौड़ ने इस बात पर विश्वास व्यक्त किया , कि यहाँ से निश्चित ही अद्भुत प्रतिभा निकलेगी ! उन्होंने खुदाई के लिए २३ नवम्बर २००२ का शुभ मुहूर्त भी निर्धारित कर दिया !
नियत तिथि को खुदाई आरंभ हुई और दो दिन की खुदाई के उपरांत गणेश जी का एक मुख प्रकट हुवा ! खुदाई जारी रही और अगले दिन संध्या तक पाँचों मुख प्रकट हो गये !
दिसम्बर २००२ में श्री विद्याधाम के अधिष्ठाता अनंत श्री श्री १००८ विभूषित महामण्डलेश्वर स्वामी श्री गिरिजानंदजी सरस्वती जी महाराज एवं पूरी के शंकराचार्य स्वामी श्री १००८ श्री निश्चलानंद जी सरस्वती जी महाराज ने उक्त प्रतिमा के दर्शन किये और दोनों ने कहा , कि ये विलक्षण एवम् अद्वितीय प्रतिमा है !

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श्री जोशी ने अपने पूज्य पिताजी स्वर्गीय राधेश्याम जी जोशी के नाम से एक धार्मिक एवं पारमार्थिक न्यास का गठन किया , अपने भवन का अगला भाग उक्त न्यास को समर्पित कर दिया , जहाँ श्री गणेश धाम का निर्माण किया गया है ! फ़रवरी २००३ में श्री जोशी जी को एक विचित्र स्वप्न आया ! उन्होंने देखा कि वे भगवान को उक्त प्रतिमा के दर्शन कराने हेतु प्रतिमा को ही एक वाहन में रखकर श्री ” श्री विद्याधाम “ जा पहुँचे ! वहाँ गणपति बप्पा मोरिया का जय घोष करती श्रद्धालुओं की अपार भीड़ के बीच उन्हें प्रतिमा के नेत्र जीवंत और पुतलियाँ चलायमान नज़र आयी ! अचानक प्रतिमा की एक सूँड़ उठी और तीन बार हर हर महादेव का उद्घोष हुवा ! अंत में प्रतिमा ने बजरंगबली की जय का घोष किया और मौन हो गई !
तब से यह चमत्कारिक श्रीगणेश धाम मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुवा है ! भगवान गणेश भक्तों की शुभकामनाएँ पूर्ण कर आशीर्वाद दे सदा प्रसन्न रहते हैं ! हर बुधवार विशेष अनुष्ठान होते हैं !वैसे तो नियमित भक्त तो प्रतिदिन आते ही है पर रविवार ओर बुधवार को यहाँ श्रद्धालुओ की संख्या बढ़ जाती है ।लोगो का विश्वास और श्रद्धा फलीभूत होती है

गणेश की दाईं सूंड या बाईं आपने पंच मुखी हनुमानजी की तरह आपने पंचमुखी गणेशजी की भी प्रतिमाएं देखी होगी. क्या आप जानते है क्या है इनका अर्थ  शुभ और मंगलमयी होते हैं पंचमुखी गणेश पांच मुख वाले गजानन को पंचमुखी गणेश कहा जाता है.
पंच का अर्थ है पांच. मुखी का मतलब है मुंह.
ये पांच पांच कोश के भी प्रतीक हैं. वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के माध्यम से समझाया गया है. इन पंचकोश को पांच तरह का शरीर कहा गया है.

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