राजस्थान में BJP उम्मीदवारों की पहली सूची विवादों में अटकी 

आपसी सहमति बनाने में जुटे सभी शीर्ष नेता 

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राजस्थान में BJP उम्मीदवारों की पहली सूची विवादों में अटकी 

गोपेंद्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

राजस्थान में भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची विवादों में अटक गई है। इसका सबसे बड़ा कारण विभिन्न गुटों के नेताओं द्वारा अपनी अपनी सूची के नेताओं को उम्मीदवार बनाने पर ज़ोर देना है। ऐसे में राजस्थान भाजपा द्वारा हर विधान सभा लक्षेत्र के लिए केंद्रीय चुनाव समिति को प्रेषित सूचियाँ निरर्थक हों गई है।

 

केन्द्रीय चुनाव समिति ने एक अक्टूबर की रात राजस्थान की क़रीब 65 सीटों पर विचार विमर्श कर उनमें से 40-50 उन सीटों पर अपनी मुहर लगाई थी जिनमें भाजपा सशक्त है या बहुत कमजोर लेकिन राजस्थान भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों की पहली सूची जारी नही हो सकी जबकि मध्य प्रदेश में दो और छत्तीस गढ़ में एक सूची जारी हो चुकी है। इसका कारण श्राद्ध पक्ष का होना और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के लगातार राजस्थान दौरें को बताया जा रहा है ।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इसका एक ओर बड़ा कारण भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की यह सौच है कि प्रदेश में बगावत करने की संभावना वाले किसी नेता को ऐसा करने के लिए कम से कम समय देना है। इसलिए राजस्थान की सूची में विलम्ब किया जा रहा है। इधर भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की तारीख़ों की घोषणा से पहले प्रधान मंत्री मोदी की अधिक से अधिक चुनाव सभाएँ एर विकास परियोजनाओं की घोषणा कराना की नीति को भी अपनाया जा रहा है।

राजस्थान में भाजपा की पहली सूची में सरदारशहर, सुजानगढ़, अंता, हवामहल, आदर्श नगर, बानसूर, अलवर ग्रामीण, बांदीकुई, दूदू, तिजारा, बिलाड़ा, झुंझुनूं, डूंगरगढ़, सादुलपुर, डूंगरपुर, कोटपूतली, मांडल, कोलायत, भादरा, गंगानगर, बायतू, खेरवाड़ा, नाथद्वारा, सहाड़ा, सीकर, बामनवास, सवाईमाधोपुर, टोंक, मसूदा, केकड़ी आदि विधानसभा क्षेत्र की सूची जारी होने की सम्भावना है।

 

लेकिन भाजपा के उम्मीदवारों का पेनल बन जाने के बाद अभी भी 40-42 विधानसभा क्षेत्र ऐसे है जिनमें विवाद बना हुआ है। यें सीटें तिजारा, लक्ष्मणगढ़-राजगढ़, बागीदोरा, कुशलगढ़, शिव, बाड़मेर, गुढ़ामालानी, चौहटन, कामां, डीग- कुम्हेर, हिण्डोली, महुआ, सिकराय, दौसा, लालसोट, बाड़ी, राजाखेड़ा, सागवाड़ा, चौरासी, कोटपूतली, बस्सी, सांचौर, मंडावा, नवलगढ़, उदयपुरवाटी, खेतड़ी, ओसियां, सरदारपुरा, लूनी, टोडाभीम, हिण्डौन, करौली, सपोटरा, लाडनूं, डीडवाना, खींवसर, धोद, दांतारामगढ़, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, वल्लभनगर बताई जा रही हैं जिन्हें लेकर विवाद चल रहा है।हालाँकि इन विधानसभा क्षेत्र में आपसी सहमति बनाए जाने की कोशिश भी हो रही है।

 

विवाद का एक और कारण केंद्रीय नेतृत्व द्वारा यह संकेत दिया जाना बताया जा रहा है कि पार्टी के कतिपय प्रमुख नेताओं को अब चुनाव लड़ने की बजाय रणनीतिकार की भूमिका में आना चाहिए । इन वरिष्ठ नेताओं में कुछ सांसद भी शामिल हैं। ऐसे कुछ नेताओं की नींद उड़ी हुई है, जो खुद के नाम को इस संकेत से जोड़कर देख रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव के लिए जो फार्मूला तैयार किया है उसके मुताबिक चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी की अधिकतम उम्र सीमा 75 वर्ष रखी गई है । इसी प्रकार बागी होकर वापस पार्टी में लौटे नेताओं को चुनाव लड़ाने का क्या फॉर्मूला ह? इस पर विचार जारी है।। बड़े नेताओं में आपसी खींचतान कैसे बंद होवें , आपसी समन्वय से आगे बढ़ कर फैसला करने की दुविधा मार्ग में सबसे बड़ा रोडा बनी हुई है।

 

राजस्थान भाजपा में बढ़ते इस विवाद को सुलझाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने मंगलवार को राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष को जयपुर भेजा था। उन्होंने भाजपा मुख्यालय पर कोर कमेटी की बैठक लेकर प्रदेश के नेताओं में पैनल को लेकर विवाद को सुलझाने का प्रयास किया। संतोष ने कोर कमेटी की बैठक में पहली सूची में शामिल पैनल के लोगों के नाम पर भी लंबी मंत्रणा की लेकिन कोई सम्मान जनक हल नही निकल सका। रभाजपा के कुछ नेता सुबह जयपुर के अम्बाबाडी में संघ के स्वास्तिक भवन पहुंचे और संघचालक से लम्बी मंत्रणा की। पहले यह बैठक भाजपा कार्यालय में होनी थी, लेकिन एनवक्त पर स्थान बदलकर वैशाली नगर इलाके में की गई।

 

यह भी बताया जा रहा है कि नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में हुई केन्द्रीय चुनाव समिति की तय सूची में भी बदलाव हो सकता है क्योंकि बैठक में प्रदेश के कुछ शीर्ष नेताओं ने पेनल के अलावा अपनी अलग-अलग सूचियाँ सौंपी। इससे आपसी तालमेल का अभाव रहा और कई विधानसभा क्षेत्र पर ‘अपनों’ के नाम लिख देने से केंद्रीय नेता ओं के समक्ष ज्यादातर नाम मैच नहीं हुए। इससे एकजुट होकर प्रत्याशी पैनल सूची तैयार नहीं होने की कमजोरी भी उजागर हुई ।

 

भाजपा के पैनल में इस बार उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़,लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, छत्तीसगढ़ के चुनाव प्रभारी ओम प्रकाश माथुर, भाजपा प्रभारी अरुण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे, तेलंगाना के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव,जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी,प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़,भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया , पूर्व संगठन महामंत्री प्रकाश चंद गुप्ता और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा आदि की राय महत्वपूर्ण बताई जा रही है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस ) के नेताओं की भूमिका से भी इंकार नही किया जा सकता।

 

 

बताते है कि इस पेचीदे मामले को सुलझाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जयपुर आ रहे हैं। उनके सामने परिस्थितियों स्पष्ट की जाएगी और उसके बाद पहली सूची के नाम पर अंतिम मोहर लगा कर उसे जारी करने का निर्णय किया जाएगा।

 

अब यह देखना दिलचस्प होंगा कि आपसी सहमति के आधार पर भाजपा प्रत्याशियों की सूची जारी करने की यह कौशिश कितनी सफल होगी और इसकी प्रतिक्रिया क्या रहेंगी? यह आने वाला समय ही बतायेगा।