प्रसंगवश विशेष: सूर्य ग्रहण-प्रभाव
डॉ. घनश्याम बटवाल, मंदसौर की खास रिपोर्ट
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का विशेष महत्त्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण के सूतक काल में कई गतिविधियों को निषेध बताया है।
विश्व के विभिन्न स्थानों पर इसे देखा-परखा जाता है। ज्योतिष और विज्ञान की दृष्टि से भी ग्रहण और ग्रहों की गणना की जाती है वहीं बारह राशियों के जातकों पर इसके प्रभाव का आकलन किया जाता है।
शनिवार को होने वाले सुर्य ग्रहण का काल कन्या राशि ओर चित्रा नक्षत्र में रहेगा।
खगोलीय घटना की दृष्टि से देखें तो चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आजाता है ओर इस क्रिया में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता इस अवधि और ब्रह्मांड की खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण तीन स्थितियों के देखे गए हैं। आंशिक, वलयाकार और पूर्ण। शनिवार अमावस्या का सूर्य ग्रहण वलयाकार है। इसमें सूर्य आग के छल्ले की तरह दृष्टिगत होगा। इसे वैज्ञानिक भाषा में Ring Of Fire बताया है।
ज्योतिर्विद पंडित श्री राघवेंद्र ने बताया कि साल 2023 में कुल 4 ग्रहण माने गए हैं। जिनमें से दो ग्रहण हो चुके हैं. ग्रहण को धार्मिक रुप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. साल का दूसरा सूर्य ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने जा रहा है.
पंचांग के मुताबिक आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या, श्राद्ध पक्ष सर्वपितृ अमावस्या साथ में शनिश्चरी अमावस्या भी है। चूंकि सुर्य ग्रहण रात्रि में लगेगा, अतः श्राद्ध कर्म पितरेश्वरों के निमित्त करना श्रेयस्कर होगा।
अक्टूबर माह में 2 ग्रहण लगने वाले हैं. इस बार 15 दिन के अंतराल में दो ग्रहण लगेंगे. साल का दूसरा सूर्य 14 अक्टूबर 2023, शनिवार के दिन लगेगा. सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर की रात 8:34 मिनट से लेकर रात 2: 25 मिनट तक रहेगा. लगभग 6 घंटे का होगा सूर्य ग्रहण।
ग्रहण अवधि दौरान शुभ कर्म वर्जित हैं। पूजन मूर्ति स्पर्श शयन भोजन आदि पर ध्यान करने का विधान है। यह सूर्य ग्रहण भारत देश में दिखाई नहीं देगा। इसके शुभ अशुभ प्रभाव नहीं होंगे।
ज्योतिष शास्त्र की गणना में यह सूर्य ग्रहण मिथुन और वृश्चिक राशि के जातकों के लिये शुभ और मेष, सिंह, मकर और धनु राशियों के जातकों को सावधानी बरतने की सलाह देता है।
यह साल का दूसरा ओर वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होने के कारण सूतक मान्य नहीं होगा.
ज्योतिर्विद पंडित राघवेंद्र रवीशराय गौड़ के अनुसार सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. सूतक काल को शुभ नहीं माना जाता. इस दौरान पूजा-पाठ और धार्मिक काम नहीं किए जाते हैं. इस बार का सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा. इसीलिये सूतक काल मान्य नहीं है. लेकिन भारत नहीं दिखने के कारण से ग्रहण में ना किए जानें वाले काम को अनदेखा ना करने की सलाह दी है।
भारत और समिप देशों में नहीं पर इतर यह सूर्य ग्रहण मेक्सिको, अर्जेंटीना, कनाडा, अमेरिका, ब्राजील, कोलंबिया, क्यूबा, ग्वाटेमाला आदि कई देशों में दिखाई देगा। खगोल शास्त्री, अंतरिक्ष वैज्ञानिकों एवं जिज्ञासु इस वलयाकार सूर्य ग्रहण का अध्ययन करेंगे।