इंदौर-1 : हाईप्रोफाइल सीट- कैलाश के सामने संजय का मुकाबला एक तरफ़ा नहीं! 

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इंदौर-1 : हाईप्रोफाइल सीट- कैलाश के सामने संजय का मुकाबला एक तरफ़ा नहीं! 

 

– हेमंत पाल

 

इंदौर शहर के पूर्वी क्षेत्र की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 सीट अपने शुरुआती काल से ही राजनीतिक रंग बदलती रही है। यहाँ कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के नेताओं का भाग्य चमकता रहा। तीन चुनावों में यहां से भाजपा के उम्मीदवार जीते, पर 2018 में बाजी पलट गई। यहाँ से कांग्रेस के संजय शुक्ला ने भाजपा के सुदर्शन गुप्ता को मात दी थी।

इस क्षेत्र में व्यवसायी, पिछड़े व अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं की बहुलता है। यहाँ अतिक्रमण, अवैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का विकास, अपराध, लोक परिवहन मुख्य मुद्दे हैं। संजय शुक्ला ने यहाँ पिछले पांच साल में कई चुनौतियों से मुकाबला किया। यहाँ अवैध कॉलोनाइजेशन, क्षेत्र की कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का विकास सबसे बड़े मुद्दे हैं। जहां तक विधायक की परफॉर्मेंस का सवाल है संजय शुक्ला की सक्रियता से इंकार नहीं किया जा सकता। विपक्षी विधायक होते हुए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। फिर भी अवैध कॉलोनियां होने से अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।

ये इंदौर का अकेला ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास उम्मीदवारों की कमी नहीं रही! लेकिन, इतने ज्यादा उत्साही उम्मीदवार होने से यहाँ बगावत का खतरा भी ज्यादा है। बगावत की बयार यहाँ 2013 के विधानसभा चुनाव में भी चल चुकी है, जब पार्टी से नाता तोड़कर अलग हुए कमलेश खंडेलवाल ने चुनाव लड़ लिया था। लेकिन, वे जीत के लायक वोट नहीं जुटा पाए और इसका फ़ायदा भाजपा को मिला। उन्हें पार्टी ने निकाल दिया था।

2018 के चुनाव में भी वे उम्मीद लगाए थे कि टिकट उन्हीं को मिलेगा। लेकिन, पार्टी ने संजय शुक्ला को उम्मीदवारी दी, जिसका नतीजा अच्छा निकला। वे भाजपा की ही तरह धार्मिक आयोजन के जरिए क्षेत्र में अपनी पैठ बना रहे हैं। संजय शुक्ला ने अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को लगातार अयोध्या यात्रा करवाकर भाजपा से उसका मुद्दा ही छीन लिया। वे हर वार्ड से एक बार में 600 लोगों को अयोध्या और अन्य धार्मिक क्षेत्रों की यात्रा करवाते हैं। इसका सारा खर्च वे खुद ही उठाते रहे। इसके अलावा कोरोना काल में भी संजय शुक्ला ने कई बार अपनी उपयोगिता साबित की। लेकिन, इस बार उनके सामने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय हैं। उनकी अपनी अलग साख है, इसलिए मुकाबला आसान नहीं है।

 

2023 में मुकाबला दिलचस्प

कांग्रेस यहाँ से संजय शुक्ला को ही फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है! उन्होंने पहले कार्यकाल में अपनी जमीन मजबूत कर ली। भाजपा के धार्मिक कार्ड को भी वे खेले और अपनी छवि बना ली। उनके सामने भाजपा ने अपने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को उतारा है। दोनों ही उम्मीदवार दमखम से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय इंदौर-2 से तीन बार विधायक और इंदौर के महापौर रहे हैं, इसलिए कागजों पर उनका पलड़ा भारी नजर आ रहा है। लेकिन, कांग्रेस के संजय शुक्ला भी कमजोर दिखाई नहीं दे रहे। दोनों ही तरफ से जीत के दावे किए जा रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय की गिनती भाजपा के बड़े नेताओं में है! लेकिन, चुनाव के मुकाबले में अभी कोई दावा नहीं किया जा सकता। लेकिन, इस मुकाबले ने इस सीट को रोचक तो बना दिया है।

 

क्या कहता है चुनावी इतिहास

इस विधानसभा सीट पर 1972 में महेश जोशी (कांग्रेस), 1977 में ओमप्रकाश रावल (जनता पार्टी), 1980 में चन्द्रशेखर व्यास (कांग्रेस), 1985 में ललित जैन (कांग्रेस), 1990 में ललित जैन (स्वतंत्र), 1993 में लालचन्द मित्तल (भाजपा), 1998 में रामलाल यादव (कांग्रेस), 2003 में उषा ठाकुर (भाजपा), 2008 में सुदर्शन गुप्ता (भाजपा), 2013 में सुदर्शन गुप्ता (भाजपा) और 2018 संजय शुक्ला (कांग्रेस) में जीत दर्ज की थी।

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हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

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