Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: नाराजगी उमा भारती की और पार्टी का नजरिया!
उमा भारती को भाजपा में चिर असंतुष्ट माना जाता है। वे कब, किस बात पर रूठ जाएं कोई नहीं जानता! पिछले करीब दो साल में वे ऐसी कई हरकतें कर चुकी है, जिससे शिवराज सरकार कटघरे में खड़ी हुई। सरकार की शराब नीति को लेकर बयानबाजी, रायसेन और विदिशा जिले के मंदिरों पर पुरातत्व विभाग के आधिपत्य पर धरना जैसे कई कांड वे कर चुकी हैं।
उनकी ताजा नाराजगी का कारण अभी पार्टी को समझ नहीं आया। इसलिए कि उमा भारती ने बिना कुछ बोले चुनाव के मौसम में हिमालय पर जाने का ऐलान कर दिया। बात किसी की समझ में नहीं आ रही, पर समझने वालों का कहना है कि उनके समर्थकों को टिकट नहीं मिले, इसलिए उन्होंने अपने आपको चुनाव से अलग कर लिया।
कुछ दिन पहले एक कथित फर्जी पत्र वायरल हुआ था जिसमें 29 नाम थे। यह लिस्ट उमा भारती के लेटर पैड पर लिखी हुई थी। लेकिन, इस लिस्ट में से उमा भारती के किसी समर्थक को टिकट नहीं मिला। अनुमान लगाया जा रहा कि इसके अलावा ऐसा कोई कारण नहीं है, जो उमा भारती रूठें! लेकिन, लगता है पार्टी ने उनकी नाराजगी पर कान नहीं धरे और उन्हें हिमालय यात्रा पर जाने दिया।
जयवर्धन नदारद, तो नकुलनाथ स्टार प्रचारक कैसे!
विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को कांग्रेस ने अपने 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की। लिस्ट में कोई चौंकाने वाला नाम नहीं है। पर, कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ का इस लिस्ट में नाम होना और दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन का नाम न होना अखरता है। अभी तक किसी ने कभी नकुलनाथ का यादगार भाषण नहीं सुना।
नकुलनाथ की पूरे प्रदेश में पहचान भी नहीं है। जबकि, जयवर्धन सिंह न सिर्फ अच्छे वक्ता हैं, बल्कि राजनीतिक नजरिए से उन्हें रणनीतिकार भी माना जाता है। ऐसी स्थिति में उनका स्टार प्रचारकों की लिस्ट में नाम न होने को पार्टी को उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। चर्चा यह भी है कि कहीं दिग्विजय सिंह की ताज़ी नाराजगी का कारण यही तो नहीं है!
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इस लिस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के अलावा कुछ ऐसे नाम भी हैं जिनकी अच्छे वक्ता के रूप में पहचान नहीं है। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में सचिन पायलट और कन्हैया कुमार के नाम प्रभावित करने वाले हैं। ऐसे में जयवर्धन सिंह को शामिल नहीं किया जाना कई कांग्रेसियों को हजम नहीं हुआ।
बुधनी में सक्रिय कार्तिकेय के अलग मायने
शिवराज सिंह चौहान के चुनाव क्षेत्र बुधनी में उनके बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान चुनाव प्रचार में सक्रिय हैं। वे न सिर्फ प्रचार कर रहे हैं, बल्कि लोगों को बुधनी के विकास की कहानी भी सुना रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर भी लिखा ‘बच्चे-बच्चे की जुबान पर बुधनी के विकास की कहानी है। बुधनी फिर एक नया इतिहास रचने को तैयार है। आज बुधनी विधानसभा के रेहटी और भैरुन्दा में चुनाव कार्यालय के शुभारंभ पर कार्यकर्ताओं से संवाद किया।’
बच्चे-बच्चे की जुबान पर बुधनी के विकास की कहानी है। बुधनी फिर एक नया इतिहास रचने को तैयार है।
आज बुधनी विधानसभा के रेहटी और भैरुंदा में चुनाव कार्यालय के शुभारंभ पर कार्यकर्ताओं से संवाद किया। pic.twitter.com/hFdAba26Pz
— Kartikey Singh Chouhan (@ks_chauhan23) October 18, 2023
विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री के बड़े बेटे कार्तिकेय इन दिनों सक्रिय हैं। उनकी इस सक्रियता से उनके भविष्य में राजनीति में आने के कयास लगाए जा रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की व्यस्तता के कारण उनके बेटे ने लंबे समय से विधानसभा का जिम्मा संभाल रखा है।
इसमें शक नहीं कि बुधनी भाजपा की अजेय सीट है और इसलिए कांग्रेस ने भी यहां उम्मीदवार के सिलेक्शन में ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई और सीरियल में हनुमान बने कलाकार को उम्मीदवार बनाया।
उषा ठाकुर के विरोध को कितनी तवज्जो मिलेगी!
शिवराज सरकार के तीन को छोड़कर अधिकांश मंत्रियों को टिकट दिया गया। लेकिन, किसी मंत्री को लेकर इतना विरोध नहीं पनपा जितना उषा ठाकुर के खिलाफ महू में हुआ है। चुनाव से पहले ही महू में स्थानीय उम्मीदवार की मांग को लेकर शहर में होर्डिंग लग गए थे। लेकिन, पार्टी ने जब बात नहीं सुनी तो दशहरा मिलन के बहाने फिर विरोध सभा हुई।
गोशाला परिसर में हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं ने उषा ठाकुर के कार्यकाल को बोगस बताते हुए पार्टी से टिकट बदलकर स्थानीय व्यक्ति को देने कि मांग की। स्थानीय भाजपा नेता राधेश्याम यादव, अशोक सोमानी, शेखर बुंदेला, रामकरण भामर के साथ कुछ आदिवासी सरपंचों ने भी उषा ठाकुर पर जनता से भेदभाव के आरोप लगाए। ये पहला अवसर है जब महू में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ विद्रोह जैसे हालात बने!
इसके बावजूद पार्टी ने इन विद्रोहियों को तवज्जो नहीं दी। स्थानीय कार्यकर्ताओं का अल्टीमेटम है कि यदि उषा ठाकुर को हटाया नहीं गया तो निर्दलीय उम्मीदवार उतारा जाएगा। सोमवार को नामांकन का आखिरी दिन है, यदि कोई फैसला नहीं हुआ तो देखना है कोई निर्दलीय उम्मीदवार उतरता है या नहीं! उधर, कांग्रेस में भी अंतरसिंह दरबार ने विरोध का झंडा थाम रखा है।
कांग्रेस के दो ध्रुवों में खींचतान!
कांग्रेस के दो बड़े नेताओं दिग्विजय सिंह और कमलनाथ में सब कुछ सामान्य है? इन दिनों इस सवाल का जवाब गंभीरता से तलाशा जा रहा है। विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के सिलेक्शन में दोनों की ही चली। लेकिन, बताते हैं कि कुछ टिकटों को लेकर दोनों में मतभेद उभरे। इसी का नतीजा था कि पार्टी के फैसले के खिलाफ कई जगह बगावत हुई और कार्यकर्ता सड़क पर आ गए! कमलनाथ का कुर्ता फाड़ बयान इसी मतभेद की कोख से जन्मा था।
कहा गया कि कमलनाथ और उनके कुछ सेनापतियों के रवैये से नाराज होकर दिग्विजय सिंह ने अपने कई चुनावी कार्यक्रम भी बदल दिए थे। सबसे ज्यादा नाराजगी की वजह सज्जन वर्मा और राजीव सिंह को बताया जा रहा है। दिग्विजय सिंह तो इतने खफा थे कि वे सज्जन वर्मा के घर पहुंच गए और कई मुद्दों पर खुलासा किया। कई सीटों को लेकर बातचीत हुई।
लेकिन, अभी भी कुछ सीटें ऐसी है जहां तनातनी बनी हुई है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि शुजालपुर सीट पर सबसे ज्यादा खींचतान मची हुई थी। यहां से दिग्विजय सिंह चाहते थे कि योगेंद्र सिंह ‘बंटी बना’ को चुनाव का मौका दिया जाए, पर पार्टी ने फिर रामवीर सिंह सिकरवार को टिकट दिया। अभी यह पता नहीं चला कि मसला हल हुआ या नहीं, पर दिग्विजय सिंह की नाराजगी जल्दी ठंडी नहीं होती!
रुठों को मनाने का दौर
दिल्ली में इन दिनों राजनीतिक पार्टियों पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की सूचियों जारी करने मे व्यस्त हैं। कांग्रेस और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने रुठों को मनाने के लिए कई दौर की बैठकें की। कई मान भी गये लेकिन कुछ नही माने। बसपा और सपा का शीर्ष नेतृत्व लखनऊ से फरमान और बयान जारी कर रहा है।
दिल्ली के सत्ता के गलियारों में दो अधिकारियों को लेकर बडी चर्चा
दिल्ली के सत्ता के गलियारों में इन दो अधिकारियों को लेकर बड़ी चर्चा है। एक है अमिताभ कांत जो फिलहाल भारत के शेरपा है और इनकी जी20 में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
वे केरल काडर के 1980 बैच के अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी हैं। हर्ष श्रृंगला दूसरे अधिकारी है वे इस समय जी20 सचिवालय के प्रभारी हैं। वे विदेश सचिव पद से रिटायर हुए है।
30 नवंबर को इन दोनो अधिकारियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इन्हें कोई पद फिर मिलेगा। बताया जाता है कि दीपावली के बाद ही इन दोनो अधिकारियों के बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है।