Unfulfilled Plans of IAS-IPS: IAS-IPS सहित कई अफसरों के राजनीति में आने के मंसूबे रहे अधूरे
भोपाल। मध्य प्रदेश में हर बार IAS-IPS सहित अन्य अधिकारी विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरते रहे हैं और कईयों ने सफलता भी पाई है लेकिन इस विधानसभा चुनाव 2023 के उम्मीदवारों में ये अफसर गायब है। एमपी में कई सरकारी नवाचारों के लिए अपनी अलग पहचान बनाने वाले शहडोल के कमिश्नर रहे IAS अफसर राजीव शर्मा और राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर निशा बांगरे ने तो सरकारी नौकरी से VRS भी लिया लेकिन कई कारणों और प्रमुख राजनीतिक दल से टिकट नहीं मिलने से चुनाव मैदान में उतरने में उनके मंसूबे अधूरे रह गए।
राजीव शर्मा ने VRS लिया और वे राजनीति में उतरकर अलग तरह से जनसेवा करना चाहते थे हालांकि वे किसी भी दल के पास नहीं गए, किसी की सदस्यता भी नही ली और नही किसी से टिकट प्राप्त करने के लिए चक्कर लगाए।
एमपी में DG स्तर के लोकप्रिय अधिकारी रहे पवन जैन राजस्थान से चुनावी मैदान में आना चाहते थे लेकिन उन्हें भी टिकट नहीं मिला। DG स्तर के अन्य अफसर पुरुषोत्तम शर्मा भी राजनीति में भाग्य आजमाना चाहते थे लेकिन सरकार ने उनका VRS आवेदन ही मंजूर नहीं किया।
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सपाक्स संगठन को खड़ा करने वाले रिटायर्ड IAS हीरालाल त्रिवेदी और वास्तविक भारत पार्टी का गठन करने वाले रिटायर्ड IAS वरद मूर्ति मिश्रा ने भी इस बार चुनाव मैदान में उनकी पार्टी से कई उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। दोनों अफसर को उम्मीद है कि उनकी पार्टियों के उम्मीदवार इस बार प्रमुख राजनीतिक दलों को शिकस्त देंगे।
शहडोल कमिश्नर पद से VRS लेने वाले रिटायर्ड IAS राजीव शर्मा का कहना है कि चुनाव लड़कर जीतो और क्षेत्र के लोगों की कुछ मदद कर सको तभी राजनीति में आने का फायदा है। कई राजनीतिक दलों ने उन्हें चुनाव लड़ने का ऑफर दिया लेकिन वहां से जीतने पर भी क्षेत्र के लिए कुछ काम नहीं करवा पाता। इसलिए चुनाव मैदान में नहीं उतरा फिलहाल समाज सेवा ही लक्ष्य है। क्षेत्र की जनता के लिए उनके साथ जुड़कर काम करूंगा उसके बाद आगे जरूरत पड़ी तो भिंड से चुनाव भी लड़ने पर विचार किया जा सकता है।
आमला और छतरपुर में कार्यरत रही राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर निशा बांगरे ने कांग्रेस की टिकट पर आमला से चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस भी लिया लेकिन राज्य सरकार ने इसमें अड़चन पैदा की और कांग्रेस ने राजेश मालवे को आमला से उम्मीदवार बना दिया। निशा ने समय पर वीआरएस के लिए न्याय यात्रा भी निकाली। पुलिस से धक्का मुक्की में उनके कपड़े भी फटे और अंतत: वीआरएस मिला पर टिकट किसी और को दे दिया गया।
50 को टिकट दिया मैदान में रह गए 12
मध्य प्रदेश में सपाक्स संगठन को खड़ा करने वाले रिटायर्ड IAS अधिकारी हीरालाल त्रिवेदी ने इस बार सपाक्स से पूरे प्रदेश भर में 50 उम्मीदवारों को टिकट दिया था लेकिन नामांकन पत्र में निरस्त हो जाने और कुछ उम्मीदवारों के नामांकन वापस ले लिए जाने के कारण अब केवल 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रह गए हैं। उन्हें शहडोल और मंडला में उम्मीदवारों की जीत का पूरा भरोसा है।
उनका कहना है कि इस बार कम उम्मीदवार हैं इसलिए उनकी जीत पर पूरी ताकत लगा दी है, जगह-जगह प्रचार कर रहे है। त्रिवेदी का कहना है कि हमारा संगठन इस बार हर हाथ को कम देने के वादे के साथ चुनाव मैदान में है । सहारा द्वारा हड़पे गए रुपए भी हम लोगों को वापस दिलाएंगे और जगह-जगह आईटीआई खोलकर युवाओं के कौशल को निखार कर उन्हें रोजगार देंगे।
10 उम्मीदवार मैदान में सभी के जीतने की उम्मीद
इधर वास्तविक भारत पार्टी खड़ी करने वाले रिटायर्ड IAS वरद मूर्ति मिश्रा का कहना है कि इस बार उनकी पार्टी ने 10 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। सभी की स्थिति मजबूत है और सभी चुनाव जीतने वाले हैं।
टिकट की उम्मीद में थामा पार्टी का दामन
भोपाल संभाग आयुक्त रहे कविंद्र कियावत, चंबल के कमिश्नर रहे महेश अग्रवाल, रिटायर्ड IAS रघुवीर श्रीवास्तव, एस एन चौहान, वेद प्रकाश और रविंद्र मिश्रा ने सेवानिवृत्ति के बाद भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता इस उम्मीद से ली कि पार्टी उन्हें कहीं से उम्मीदवार बनाएगी लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई।
कांग्रेस में रिटायर्ड IAS अजिता बाजपेई पांडे अपनी बेटी अपराजिता के लिए टिकट मांग रही थी लेकिन मांग पूरी नहीं हुई। पूर्व वरिष्ठ IAS डी एस राय भी कांग्रेस से टिकट प्राप्त करने की जुगाड़ में थे लेकिन सफल नहीं हो सके।
पार्टियों के घोषणा पत्र बनाने में जुटे रिटायर्ड आईएएस
रिटायर्ड IAS बीके बाथम और अजिता बाजपेई पांडे ने कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार किया है तो वहीं बीजेपी का घोषणा पत्र तैयार करने में कविंद्र कियावत, एस एन चौहान और एस एस उप्पल ने भागीदारी की है।
पूर्व में भी सत्ता में भागीदारी कर चुके हैं आईएएस ऑफिसर
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1975 बैच के IAS भागीरथ प्रसाद सरकार में कई महत्वपूर्ण पद पर रहे और 2014 में भिंड संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और संसद में पहुंचे वहीं IPS अफसर रुस्तम सिंह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर भाजपा से जुड़े और चुनाव लड़ें तथा दो बार मंत्री भी रहे। भोपाल सांसद रहे सुशील चंद्र वर्मा भी नौकरशाह से सफल राजनेता बने थे।
पीएचई के प्रमुख अभियंता पद से रिटायर्ड हुए जीएस डामोर भाजपा से विधायक बने और वर्तमान में रतलाम झाबुआ से भाजपा सांसद है।