Triangular Contest Seat : जहां त्रिकोणीय मुकाबले वहीं से निकलेगी सरकार बनने की राह!
Bhopal : मध्यप्रदेश में इस बार के विधानसभा चुनाव ने दिलचस्प हालात बना दिए। नामांकन वापस लेने के बाद जो स्थिति बनी, उसके अनुसार प्रदेश की दो दर्जन सीटें हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा के बागी चुनाव मैदान में हैं। इन सीटों पर किसका पलड़ा भारी रहता है, अभी दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता। इन सीटों पर चुनावी संघर्ष ऐसे संकेत दे रहा है कि बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी जैसे दलों से खड़े बागी अपनी पार्टियों के उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाएंगे। ऐसी स्थिति में इन दो दर्जन सीटों के नतीजे ही तय करेंगे कि सरकार किसकी बनेगी।
रोक लगने से पहले 7 नवंबर से पहले जो भी ओपिनियन पोल नतीजे सामने आए उनके मुताबिक कांग्रेस और भाजपा में मुकाबला कांटा जोड़ है। भले ही दावे किए जा रहे हों, पर कोई भी पार्टी 120 या 125 से आगे जाती दिखाई नहीं दे रही। ऐसा भी नहीं कि जीतने वालों में बागियों की संख्या 3 से 5 के आगे निकलेगी। लेकिन, बगावती उम्मीदवार अपनी पार्टी का खेल जरूर बिगाड़ देंगे।
2018 के चुनाव में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी और कांग्रेस भी बहुमत के आंकडे से दूर ही रही। बाद में कांग्रेस ने जोड़तोड़ से सरकार बनाई थी। फिर उसे भाजपा ने गिराकर फिर सत्ता। लेकिन, 2023 की चुनावी तस्वीर उससे भी अस्पष्ट है। ओपिनियन पोल और सट्टा बाजार दोनों का इशारा किसी एक पार्टी की सरकार बनने संकेत नहीं दे रहा।
ग्वालियर-चंबल अंचल को देखा जाए, तो यहां भिंड की लहार सीट से भाजपा के बागी रसाल सिंह, अटेर से मुन्नासिंह भदौरिया, भिंड विधानसभा सीट से संजीव सिंह कुशवाह और मुरैना सीट से राकेश रुस्तम सिंह चुनाव मैदान में हैं। जबकि, सुमावली से कांग्रेस के बागी कुलदीप सिकरवार और दिमनी में बलवीर दंडोतिया मैदान में हैं। शिवपुरी के पोहरी से कांग्रेस के बागी प्रद्युमन वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। बुंदेलखंड के जतारा में कांग्रेस से बागी धर्मेंद्र अहिरवार, सागर जिले के बंडा विधानसभा में भाजपा बागी सुधीर यादव ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया।
मालवा अंचल में उज्जैन जिले के बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने राजेंद्र सिंह सोलंकी का टिकट बदलकर विधायक मुरली मोरवाल को प्रत्याशी बनाया तो नाराज सोलंकी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। धार विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों के बागी उतर गए। यहां से भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष राजीव यादव निर्दलीय खड़े हैं। जबकि, भाजपा ने विधायक नीना वर्मा पर ही भरोसा जताया। कांग्रेस ने प्रभा गौतम को उम्मीदवार बनाया, जिससे नाराज होकर प्रदेश महामंत्री कुलदीप सिंह बुंदेला निर्दलीय खड़े हैं।
डॉ आंबेडकर नगर (महू) विधानसभा में भाजपा की मंत्री उषा ठाकुर उम्मीदवार हैं, तो कांग्रेस ने भाजपा से आए रामकिशोर शुक्ला को टिकट दिया। उधर, कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार बगावत करके निर्दलीय मैदान में हैं। बुरहानपुर विधानसभा में पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस को टिकट देने पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान निर्दलीय चुनाव मैदान में है।
विंध्य की सीधी सीट पर भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला टिकट कट जाने से निर्दलीय मैदान में हैं। वे भाजपा प्रत्याशी रीति पाठक और कांग्रेस के ज्ञान सिंह को चुनौती दे रहे हैं। चुरहट सीट पर सांसद गोविंद सिंह के पुत्र अनेंद्र मिश्र राजन ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। यहां कांग्रेस से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उम्मीदवार हैं। मैहर में भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी का टिकट कटने के बाद वे अपनी विंध्य जनता पार्टी से कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशियों को टक्कर दे रहे हैं।
शहडोल संभाग की जयसिंहनगर, जैतपुर और कोतमा सीटों पर भी त्रिकोणीय मुकाबला है। मंडला की बिछिया सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से कमलेश टेकाम भाजपा के डॉ. विजय आनंद मरावी और कांग्रेस से नारायण सिंह पट्टा के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं। डिंडौरी सीट पर जिला पंचायत अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस नेता रुद्रेश परस्ते ने निर्दलीय मैदान में उतरकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।
नर्मदापुरम की होशंगाबाद विधानसभा सीट में भाजपा ने डॉ सीतासरन शर्मा तो कांग्रेस ने उनके बड़े भाई गिरिजाशंकर शर्मा को मैदान में है। भाजपा के असंतुष्टों ने पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता भगवती चौरे को खड़ा कर दिया। गुना जिले की चाचौड़ा सीट पर भाजपा से प्रियंका मीणा को टिकट देने के बाद ममता मीना नाराज हो गईं। वह आप की टिकट पर मैदान में उतर गई हैं। वहीं, कांग्रेस से विधायक लक्ष्मण सिंह फिर मैदान में हैं।