Resolution Of Body Donation: अपने लिए जिए तो क्या जिए…! वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल ने आज जन्मदिन पर सपत्नीक लिया देहदान का संकल्प

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Resolution Of Body Donation

Resolution Of Body Donation: अपने लिए जिए तो क्या जिए…! वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल ने आज जन्मदिन पर सपत्नीक लिया देहदान का संकल्प

 

आज 10 नवम्बर 2023, शुक्रवार, कार्तिक कृष्णपक्ष, (प्रदोष) धनतेरस है।

आज ही के दिन मध्य प्रदेश के जाने-माने पत्रकार जयराम शुक्ल का जन्मदिन भी है। इस पावन मौके पर उन्होंने सपत्नीक एक महान संकल्प लिया है। उन्होंने बताया कि हम दोनों ने पुत्र कार्तिकेय ‘अतुल्य’ की पूर्ण सहमति अनुरूप श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय रीवा में ‘देह दान’ करने का संकल्प लिया है। संजय गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के अधीक्षक डाक्टर राहुल मिश्र के दिग्दर्शन में विधिक व अन्य आवश्यक औपचारिकताओं के साथ आवेदन प्रस्तुत कर रहे हैं।

जयराम शुक्ल ने कहा कि आज मेरा इकसठवां जन्मदिन है। इस अवसर पर यह पुण्य संकल्प लेते हुए हम दोनों को अत्यन्त हर्ष व संतुष्टि का अनुभव हो रहा है!

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बता दें कि हमारी सनातन परंपरा में देहदान को महनीय व अनुकरणीय माना गया है। प्रथमतया तो यह कि मनुष्य राष्ट्र, समाज, बहुजन हिताय या मानवता के रक्षार्थ प्राणोत्सर्ग करे। द्वितीयात: यदि उसकी पार्थिव देह व उसके अंग किसी के हित में उपयोग आ सकें तो भले ही यह कुछ कमतर सही पर पुनीत कार्य है।

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हमारा जिगर किसी और के शरीर में धड़के, आंखें किसी नेत्रहीन को रोशनी दे, किड़नियों से किसी जरूरतमंद को नवजीवन मिले..और शेष देह छात्रों को मानव शरीर का रचनाविज्ञान समझाने के काम आए, इससे सार्थक उपयोग इस पार्थिव का और हो भी क्या सकता है।

जयराम शुक्ल ने बताया कि जन्मना मेरी पत्नी महर्षि वशिष्ठ और मैं देवर्षि कृष्णअत्रेय के गोत्र कुल का हूं। हमें गर्व है कि मध्यप्रदेश के रीवा जिले के बड़ीहर्दी गांव के जिस शुक्ल वंश से मेरी गर्भनाल जुड़ी है। उसमें जन्में महापुरुष मध्ययुग से अब तक उत्तर-मध्य भारत में सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के सुविख्यात प्रवक्ता रहे हैं।

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जयराम शुक्ल ने बताया कि मेरे पितामह पूज्य रघुनाथ प्रसाद शुक्ल रामकथा के अद्वितीय प्रवचनकार रहे व उन्हें ‘रामायणी बाबा’ के नाम से ख्याति प्राप्त हुई। मेरे पूज्यनीय पिता श्रीराम मणि शुक्ल ने भी रामकथा और भगवत कथा व आराधन संगीत को ध्येय बनाया जबकि वे वृत्ति से रक्षामंत्रालय के एक सुरक्षा संस्थान में सेवारत रहे। मां सहदेई देवी हम संतानों के लिए साक्षात् शक्ति स्वरूपा व वात्सल्यमयी रहीं। उनका एक मात्र उपदेश था- जो भी करो अच्छा करो और वह सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय हो। हमें विश्वास है कि हमारे इस संकल्प से वे सब हर्षित ही होंगे।

जय राम शुक्ल ने कहा कि ‘आत्मप्रचार की लिप्सा महत् कार्य को तुच्छ बना देती है’, यह जानने के उपरान्त भी ‘देहदान’ की इस सूचना से मित्रजन, परिजन व शुभेक्षुओं को इसलिए अवगत करा रहा हूं ताकि जब भी कभी ऐसा सुसमय आए तो वे सुविज्ञ रहें और जीवन के अंतिम चरण के बाद जो यथेष्ट है, जो संकल्पित है वही करें!

शुभम् अस्तु!