जीत का रण, मालवा-निमाड़ और विंध्य-बुंदेलखंड

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जीत का रण, मालवा-निमाड़ और विंध्य-बुंदेलखंड

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मध्यप्रदेश विधानसभा में आधे से अधिक सदस्य जिन क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व करते हैं, वह हैं मालवा-निमाड़ और विंध्य-बुंदेलखंड। मालवा-निमाड़ क्षेत्र से 66 विधानसभा सदस्य चुनकर आते हैं, तो विंध्य-बुंदेलखंड क्षेत्र से 56 विधानसभा सदस्य चुने जाते हैं। दोनों क्षेत्र मिलकर 122 सदस्यों को विधानसभा में भेजते हैं। मध्यप्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में यह संख्या पूर्ण बहुमत से 6 सदस्य ज्यादा की है। आज इन दो क्षेत्रों की चर्चा खास तौर से इसलिए क्योंकि सत्ता की चाबी मालवा-निमाड़ से मिलती है। 2023 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भी सरकार बनाने में मालवा-निमाड़ पर सबकी निगाहें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालवा-निमाड़ पर केंद्रित सभाएं भी इसका महत्व बता रही हैं। 13 नवंबर को मोदी बड़वानी में थे, तो 14 नवंबर को झाबुआ में थे। दोनों ही जगह आदिवासी बाहुल्य बड़ी आबादी मोदी की सभा में थी। तो राहुल-प्रियंका का ध्यान विंध्य-बुंदेलखंड पर केंद्रित है। राहुल गांधी की 14 नवंबर को खरगापुर में आयोजित सभा कांग्रेस की उम्मीदों की तरफ एक संकेत है।

मध्य प्रदेश की कुल 230 सीटों में से सर्वाधिक 66 सीटें मालवा-निमाड़ अंचल से आती हैं। इस क्षेत्र में 15 जिले शामिल हैं। 2008 में यहां भाजपा को 41, कांग्रेस को 24 और एक सीट अन्य को मिली थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा को 56, कांग्रेस को 9 और एक सीट अन्य को मिली थी। तो 2018 में यहां से भाजपा को 28, कांग्रेस को 35 और अन्य के खाते में 3 सीट थीं। और सीटों के मुताबिक ही सत्ता का द्वार भाजपा और कांग्रेस के लिए खुला था। और अब 2023 में भी सभी दलों की निगाहें मालवा-निमाड़ पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभाओं में उमड़ा अपार आदिवासी जनसमूह यह बता रहा है कि आदिवासी मतदाता 2013 की तरह एक बार फिर भाजपा पर भरोसा जता सकता है। हालांकि इससे पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इसी क्षेत्र से गुजरी थी और कांग्रेस की उम्मीदें इस क्षेत्र से अभी भी बरकरार हैं। देखने वाली बात है कि इस बार मालवा-निमाड़ के मतदाता के मन में क्या है और किसकी किस्मत का द्वार यहां से खुलता है। मालवा-निमाड़ से चुनाव मैदान में सबसे चर्चित चेहरे भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इंदौर-1 सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं।

विंध्य क्षेत्र को बघेलखंड के नाम से भी जाना जाता है। विंध्य में 30 सीटें आती हैं।उत्तरप्रदेश से सटे हुए इस क्षेत्र में 9 जिले रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, मैहर और मऊगंज आते हैं। 2018 के चुनाव में इस इलाके में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। विंध्य की जनता ने 30 में से सिर्फ 6 सीटें कांग्रेस को दी थीं, जबकि बीजेपी को 24 सीटों पर विजयी बनाया था। 2013 के चुनाव परिणामों को देखें तो बीजेपी ने यहां 17 सीटें जीती थीं, वहीं कांग्रेस के झोली में 11 सीट गई थीं और बसपा को भी दो सीट मिली थीं। वहीं बुंदेलखंड में कुल 26 विधानसभा सीट हैं। 2018 के चुनाव में 26 में से 17 विधायक भाजपा के चुने गए थे, 7 कांग्रेस के, जबकि 2 अन्य में एक सपा और एक बसपा से थे। कमलनाथ सरकार का तख्तापलट होने के बाद अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के विधायक राजेश शुक्ला ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में छह जिले सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना और निवाड़ी शामिल हैं। बुंदेलखंड में भाजपा ने 2003 में 20 सीटें जीतीं, उसके बाद 2008 में 14, 2013 में 20 और 2018 में 17 सीटें अपने नाम की हैं। वहीं कांग्रेस ने 2003 में केवल दो सीटें जीतीं जबकि इसकी संख्या 2008 में 8, 2013 में 6 और 2018 में 7 सीटें मिली थीं। इस बार सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या विंध्य-बुंदेलखंड का मतदाता पिछले विधानसभा चुनावों की तरह भाजपा पर भरोसा जताता है या फिर कांग्रेस को प्राथमिकता देता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य-बुंदेलखंड ने भाजपा को जो विराट समर्थन दिया था, उसी बदौलत 15 माह बाद मार्च 2020 में मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बन पाई थी। अब भी राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें यही तलाश रहीं हैं कि विंध्य-बुंदेलखंड के मतदाता के मन में क्या है? वैसे यदि माना जाए तो इस बार विंध्य-बुंदेलखंड निर्णायक भूमिका में नजर आ सकता है।

आज यानि 15 नवंबर की तारीख मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार-प्रसार की आखिरी तारीख है। 17 नवंबर 2023 को मतदान है। तो 3 दिसंबर को यह पता चल जाएगा कि मालवा-निमाड़ ने सत्ता की चाबी किस दल को सौंपी है तो विंध्य-बुंदेलखंड के मतदाताओं के मन में क्या था और इसकी सरकार बनने के समीकरण में क्या भूमिका रहने वाली है…।

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khusal kishore chturvedi
कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।