Who is Sahara’s Successor : ‘सहारा’ की अरबों की संपत्ति का उत्तराधिकारी कौन, इसका जवाब नहीं!
Lucknow : ‘सहारा समूह के मालिक सुब्रतराय सहारा (75) अपने पीछे पत्नी और दो बेटों को छोड़ गए हैं। सुब्रत रॉय का लखनऊ में अंतिम संस्कार किया गया। पोते हिमांक रॉय ने उन्हें मुखाग्नि दी। सुब्रत रॉय के दोनों बेटे सुशांतो और सीमांतो रॉय अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। इसकी वजह सामने नहीं आई। जब सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय से उनके बेटों के न आ पाने की कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे विदेश में हैं और किन्हीं कारणों से यात्रा नहीं कर सके। इसलिए लंदन से पोते हिमांक को बुलाया गया, जिसने सुब्रत रॉय को मुखाग्नि दी। हिमांक सुब्रत रॉय के छोटे बेटे सीमांतो के बड़े बेटे हैं और लंदन में पढ़ते हैं।
उनके दोनों बेटे सुशांतो रॉय और सीमांतो रॉय उनके कारोबार से जुड़े हैं। समझा जा रहा है कि सहाराश्री के निधन के बाद उनके दोनों बेटे कारोबार संभालेंगे। लेकिन, बताते हैं कि सुब्रत रॉय सहारा ने अधिकारिक रूप से अपना कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया। उन्होंने सहारा परिवार की और से भी उत्तराधिकार को लेकर कोई बयान नहीं दिया। माना जा रहा है कि विदेश में रह रहे उनके दोनों बेटे ही वहीं से सहारा के कारोबार को आगे बढ़ाएंगे। ‘सहारा’ की इतनी संपत्ति को अब उनके बाद कौन संभालेगा? सुब्रत रॉय सहारा अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए? सहाराश्री के बाद अब सहारा की कमान किसके हाथों में होगी, इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई है।
लंबी बीमारी के बाद सुब्रत रॉय सहारा ने मंगलवार को अंतिम सांस ली। पर, अरबों का कारोबार खड़ा करने वाले सहाराश्री के पास अंतिम वक्त में कोई नहीं था। उन्हें मुखाग्नि भी उनके पोते में दी। बीते दो महीने से वो इलाज के लिए मुंबई के अस्पताल में भर्ती थी, लेकिन अंतिम वक्त में वो अकेले रह गए थे। पत्नी और दोनों बेटे सुशांतो और सीमांतो विदेश में रहते हैं। सहारा का परिवार मेसेडोनिया में रहते हैं, उन्होंने वहां की नागरिकता ले रखी है।
‘सेबी’ से विवाद के बाद सहारा का पतन
एक दशक पूर्व रेलवे के बाद सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाले सहारा समूह का पतन सेबी के साथ हुए विवाद से शुरू हुआ। सेबी ने सहारा की दो कंपनियों में जमा निवेशकों की रकम को नियम विरुद्ध तरीके से दूसरी कंपनियो में ट्रांसफर करने पर आपत्ति करते हुए करीब 24 हजार करोड़ रुपए जमा कराने का आदेश दिया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कई महीने तक सुब्रत राय को जेल में रखा। सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री पर रोक लगा दी गई।
कोर्ट के आदेश पर बिकने वाली संपत्तियों से मिलना वाली रकम भी सहारा को ‘सेबी’ के पास जमा कराने का आदेश दिया। सहारा ने कुछ किस्तों में सेबी को कुल जमा धनराशि का बड़ा हिस्सा दिया, लेकिन पूरी रकम को जमा नहीं कर सका। इस बीच सहारा ग्रुप की कंपनियों और उसके निदेशकों के खिलाफ कई राज्यों में सैंकड़ों मुकदमे दर्ज होते गए और पुलिस सुब्रत राय और बाकी निदेशकों की तलाश में लखनऊ समेत कई जगहों पर छापा मारती रही। हालांकि सहारा समूह को कुछ राहत तब मिली जब केंद्र सरकार ने सहारा के निवेशकों की रकम को वापस करने के लिए पोर्टल शुरू किया। सहारा समूह के पास वर्तमान में देश के कई शहरों में संपत्तियां हैं जिनकी कीमत दो लाख करोड़ से अधिक होने का दावा किया जाता है।
माइक्रो फाइनेंस से काम शुरू किया
बिहार के अररिया जिले के रहने वाले सुब्रत रॉय ने कोलकाता और गोरखपुर में पढाई के बाद 1978 में माइक्रो फाइनेंस का काम शुरू किया था। सहारा समूह कुछ ही सालों में छोटे निवेशकों की कमाई जमा करने और उनको लुभावने ब्याज पर रकम वापस करने वाला बड़ा समूह बन गया। बाद में सहारा समूह ने रियल एस्टेट के कारोबार में भी हाथ आजमाया। आज यह समूह इलेक्ट्रिक वाहन, इंश्योरेंस, मीडिया आदि सेक्टर में काम कर रहा है। सहारा के पास लखनऊ, गोरखपुर, मुंबई में तमाम बेशकीमती संपत्तियां हैं, जिसमें एंबी वैली भी है।