जीत का रण अंतिम – महाकौशल के मन में मोदी या कुछ और…

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MP Assembly Election 2023

जीत का रण अंतिम – महाकौशल के मन में मोदी या कुछ और…

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अब तक हमने 192 विधानसभा सीटों को समेटे मालवा-निमाड़ और विंध्य-बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल और भोपाल-नर्मदापुरम पर एक नजर डाली थी। अब बाकी 38 विधानसभा सीटों को समेटे महाकौशल क्षेत्र पर एक नजर डालते हैं। महाकौशल ने ही विधानसभा चुनाव 2018 में नाथ के लिए सीएम हाउस का दरवाजा खोला था। दरअसल यहां की 38 विधानसभा सीटों में से 24 पर कांग्रेस जीती थी। यहां की 60 फीसदी सीटों कब्जा करने के बाद भी कांग्रेस को पूरे प्रदेश में मिलाकर 50 फीसदी सीटें हासिल नहीं हो पाई थीं। अब 2023 में महाकौशल भाजपा के लिए खास मायने रखता है। भाजपा अब दावा कर रही है कि छिंदवाड़ा में भी नाथ‌ को बड़ा झटका देकर कमल का विस्तार करेंगे। इसीलिए शिवराज ने कृषि मंत्री कमल पटेल को यहां प्रभारी मंत्री बनाया था। कमल ने कोई कसर नहीं छोड़ी, पर नाथ खेमा निश्चिंत है कि उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। बात यहां ‘एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में मध्यप्रदेश की करें तब तो भाजपा ही कसौटी पर नजर आ रही है। इस बार महाकौशल का पलड़ा किस तरफ झुकता है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। नाथ को कमल ठेंगा दिखाता है या फिर कमल को हाथ, यह पता चलेगा।‌ हाथ को साधे छिंदवाड़ा जिले की सात सीटों में से कितने पर इस बार कमल खिलता है, इस पर सबकी नजर है। तो आदिवासी मतदाताओं पर सबसे ज्यादा फोकस करने वाली भाजपा पर आदिवासी मतदाता कितना लाड़ बरसाते हैं, यह भी महाकौशल के मतदाता सरोवर में कमल के खिलने से पता चलेगा। और तभी यह पता चलेगा कि महाकौशल के मन में मोदी है या कोई और।
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पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सत्ता नाथ को सौंपने वाले महाकौशल क्षेत्र में कांग्रेस को यहां की 38 में से 24 सीटें मिली थीं। इस बार भारतीय जनता पार्टी कड़ी चुनौती देती दिख रही है। ‘बदलाव’ की बात पर ‘मोदी और मामा’ मुंह चिढ़ाते दिख रहे हैं। भाजपा ने महाकौशल फतह करने के लिए दो केंद्रीय मंत्री सहित चार सांसद इस क्षेत्र से विधानसभा चुनाव मैदान में उतारे हैं।2018 में भाजपा यहां 13 सीटों पर सिमट गई थी और एक निर्दलीय ने भी कांग्रेस को समर्थन दिया था। हालांकि बाद में निर्दलीय भाजपा का होकर रह गया था और इस विधानसभा चुनाव में कमल खिलाने के लिए मैदान में है। इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महाकौशल से 24 सीटें जीती थीं तो कांग्रेस 13 सीटों पर सिमट गई थी। महाकौशल क्षेत्र में जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जिले शामिल हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए यहां की 13 सीटें आरक्षित हैं। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में इनमें से 11 सीटें जीती थीं जबकि शेष दो सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी।क्षेत्र में भाजपा का प्रचार अभियान भी मोदी केंद्रित रहा है। रघुनाथ शाह, शंकर शाह, रानी दुर्गावती से लेकर बिरसा मुंडा तक सभी आदिवासी नायकों को भाजपा के शाह और खुद मोदी ने बार-बार याद किया है। पोस्टरों व बैनरों में ‘मामा’ के नाम से लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा मोदी की एक बड़ी तस्वीर हर विधानसभा क्षेत्र में दिखाई दी है। इस पर ‘मध्य प्रदेश के मन में मोदी’ लिखा दिखता रहा।
BJP and Congress
महाकौशल क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन ने कुछ सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। गोंगपा का पहले महाकौशल क्षेत्र में खासा प्रभाव था, लेकिन अब वह कई गुटों में बंट गई है और उसके नेता भी बिखर गए हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी के यहां कई दौरे हुए हैं वहीं संगठन के स्तर भी भाजपा नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी आदिवासी बहुल इलाकों में लगातार काम कर रहे हैं। जबलपुर में ही ‘लाड़ली बहना योजना’ की पहली किश्त जारी कर आदिवासी प्रेम का संदेश दिया गया था। भाजपा ने हर तरह से आदिवासी वर्ग को साधने की काफी कोशिश की है। अभी यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि कौन महाकौशल पर कब्जा करेगा लेकिन यह तय है कि तस्वीर पहले से बदली दिखेगी।
मध्य प्रदेश की कुल 230 सीटों में से सर्वाधिक 66 सीटें मालवा-निमाड़ अंचल से आती हैं। इस क्षेत्र में 15 जिले शामिल हैं। 2018 में यहां से भाजपा को 28, कांग्रेस को 35 और अन्य के खाते में 3 सीट थीं। विंध्य में 30 सीटें आती हैं।उत्तरप्रदेश से सटे हुए इस क्षेत्र में 9 जिले रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, मैहर और मऊगंज आते हैं। 2018 के चुनाव में इस इलाके में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। विंध्य की जनता ने 30 में से सिर्फ 6 सीटें कांग्रेस को दी थीं, जबकि बीजेपी को 24 सीटों पर विजयी बनाया था। बुंदेलखंड में कुल 26 विधानसभा सीट हैं। 2018 के चुनाव में 26 में से 17 विधायक भाजपा के चुने गए थे, 7 कांग्रेस के, जबकि 2 अन्य में एक सपा और एक बसपा से थे। भोपाल-नर्मदापुरम संभाग की 36 सीटें और ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने बढ़त बनाई थी।

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पर अब स्थितियां क्या रहेंगीं। यह 3 दिसंबर को पता चलेगा, तभी पता चलेगा कि महाकौशल के मन में मोदी कितनी गहरी पैठ बना सके हैं। फिलहाल भाजपा और कांग्रेस दोनों के दावे महाकौशल के मतदाताओं को अपने करीब पा रहे हैं…।