तेरा तुझ को अर्पण…

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तेरा तुझ को अर्पण…

रिकॉर्ड के मुताबिक 10 जुलाई 1946 को जन्मे एस. लक्ष्मीनारायण की उम्र 77 साल की हो चुकी है। चेन्नई में जन्मे लक्ष्मीनारायण को आईएएस बनकर मध्यप्रदेश कैडर में पदस्थ होने का अवसर मिला। 60 साल की आयु तक नौकरी की और पिछले 17 साल से रिटायर्ड लाइफ जी रहे हैं। रिटायर्ड आईएएस होने के नाते उन्हें शायद ही कोई जानता हो। और आईएएस-आईपीएस होने के नाते हजारों चेहरों की भी कोई अलग पहचान नहीं होती। पर आज एस. लक्ष्मीनारायण का नाम दुनिया भर में सब तक पहुंच चुका है। और जब तक सनातन धर्म रहेगा, जब तक अयोध्या में राममंदिर रहेगा, तब तक एस. लक्ष्मीनारायण का नाम जिंदा रहेगा। एस. लक्ष्मीनारायण को दुनिया उस दानदाता के रूप में जानेगी, जैसा शायद ही किसी ने किया हो। इस रिटायर आईएएस ऑफिसर ने राम मंदिर को अपनी जिंदगीभर की कमाई सौंप दी है। और सहज भाव से कहा है कि आपकी संपत्ति आपके ही चरणों में अर्पित रामलला। चर्चा इसलिए क्योंकि 5 करोड़ से ज्यादा की अपने पूरे जीवन की कमाई और प्लॉट संपत्ति बेचकर पूरी राशि भगवान राम के चरणों में अर्पित करने की हिम्मत न तो करोड़ों धनवानों में है और न ही हजारों आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों और उनके मातहतों में। भले ही संपत्ति ईमानदारी से बनाई हो या बेईमानी से। अखिल भारतीय सेवा का कोई अफसर ईमानदारी से करोड़पति होता है और बेईमानी से तो अरबों का मालिक, यह अब हर कोई समझता है। और यह भी हजारों उदाहरण सामने हैं कि बेवजह अर्जित संपत्ति का कोई भी उपयोग भी नहीं कर पाया और दुनिया छोड़ने को मजबूर हो गया। आईएएस, आईपीएस या अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के हजारों उदाहरण सामने आ भी चुके हैं। और इससे भी बड़ा ताजा उदाहरण बिजनेस किंग रहे सहारा श्री का भी है। जिनके बराबर संपत्ति अर्जित करना अफसरों के बूते की बात नहीं है। और ऐसे सहारा श्री की मौत और उनकी अंत्येष्टि में आने से उनके पुत्रों की मनाही का उदाहरण कुछ इसी तरह दिया जा रहा है कि कितनी भी माया जोड़ लो पर अपने ही नकार दें, तो यह संपत्ति किस काम की। ऐसे में एक रिटायर्ड आईएएस द्वारा अपने जीवन की पूरी कमाई भगवान को अर्पित करने वाले एस. लक्ष्मीनारायण प्रेरणा का स्रोत हैं।

तो मध्य प्रदेश कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एस. लक्ष्मीनारायण अपनी पूरी कमाई रामलला के चरणों में दान करेंगे। वे बीते दिनों पत्नी के साथ अयोध्या पहुंचे थे, उन्होंने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से अनुमति लेकर यह फैसला लिया है। मध्यप्रदेश कैडर के यह आईएएस लक्ष्मीनारायण केंद्र सरकार में गृह सचिव रहे हैं। वे मूर्ति के सामने पांच करोड़ से तैयार 151 किलो की रामचरितमानस स्थापित करवाएंगे। 10,902 पदों वाले इस महाकाव्य का हर पन्ना तांबे का होगा, जिन्हें 24 कैरेट सोने में डुबोया जाएगा। स्वर्ण जड़ित अक्षर लिखे जाएंगे। इसमें 140 किलो तांबा और 7 किलो सोना लगेगा। इसके लिए नारायणन ने सभी संपत्ति बेचने और बैंक खातों को खाली करने का फैसला किया है। एस. लक्ष्मीनारायणन ने रामचरित मानस पुस्तक की जो परिकल्पना की है, उसे देश की जानी मानी कंपनी वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स तैयार करेगी। इसी कंपनी ने नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल (राजदंड) को तैयार किया। कंपनी ने स्वर्ण जड़ित रामचरितमानस का डिजाइन तैयार  कर दिया, इसे बनाने में तीन महीने लगेंगे।

एस.लक्ष्मी नारायणन का मानना है कि ईश्वर ने मुझे जीवनपर्यंत बहुत कुछ दिया है। प्रमुख पदों पर रहा। मेरा जीवन अच्छा चला। रिटायरमेंट के बाद भी खूब पैसा मिल रहा है। दाल-रोटी खाने वाला इन्सान हूं। पेंशन ही खर्च नहीं होती। ईश्वर का दिया हुआ उन्हें वापस कर रहा हूं। अगर ऐसे विचार सभी के मन में आ जाएं और मंत्री, विधायक, सांसद और अन्य सभी इसी विचारधारा का अनुसरण करने का मन बना लें तो देश में सब कुछ बदल जाए। और फिर यह तो सब जानते ही हैं कि तेरा तुझको अर्पण तो होना ही है। राह चाहे एस. लक्ष्मीनारायण की चलें या फिर अपनी-अपनी ही सही…।