New Information Commissioner: अभी केवल 2 के जिम्मे सूचना आयोग,मार्च में कोई नहीं रहेगा!नई सरकार बनाएगी नए सूचना आयुक्त 

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New Information Commissioner: अभी केवल 2 के जिम्मे सूचना आयोग,मार्च में कोई नहीं रहेगा!नई सरकार बनाएगी नए सूचना आयुक्त 

भोपाल: मध्यप्रदेश में सूचना के अधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन में सरकार की ज्यादा रुचि नहीं है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने के ठीक पहले सरकार चेती, चयन के लिए बैठक बुलाई लेकिन आचार संहिता प्रभावशील हों जाने और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की आपत्ति के चलते बैठक ही नहीं हो पाई। अब सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के लिए आवेदन करने वाले सभी 221 आवेदन रद्दी की टोकरी में डालना पड़ेगा। तीन दिसंबर के परिणामों के बाद नई सरकार बनने पर नए सिरे से सूचना आयुक्त के पद भरने आवेदन बुलाए जाएंगे।

सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव के डेढ़ वर्ष पहले राज्य सूचना आयोग में रिक्त सूचना आयुक्त के पदों को भरने के लिए आवेदन बुलाए थे। निर्धारित समय सीमा में कई कार्यरत आईएएस, सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और रिटायर्ड जजों, पत्रकारों समेत कई बुद्धिजीवियों और कुछ कम शिक्षित बेरोजगारों तक ने सूचना आयुक्त बनने के लिए आवेदन किए थे।

दरअसल सूचना आयुक्त को मुख्य सचिव के बराबर वेतनमान और गाड़ी और अन्य सुविधाएं मिलती है। पांच साल तक इनका कार्यकाल रहता है इसलिए राज्य सूचना आयोग भी रिटायर्ड नौकरशाहों के लिए एक बड़ा ठिकाना साबित हो रहा है।

 

 

वर्तमान में राज्य सूचना आयोग में वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद कुमार शुक्ला और कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तैनात किए गए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ही बाकी रह गए है। शेष सभी सूचना आयुक्तों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। राज्य सूचना आयोग में अधिकतम दस सूचना आयुक्तों की तैनाती की जा सकती है। इस हिसाब से यहां अभी नौ सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की गुंजाइश है। मार्च में मुख्य सूचना आयुक्त शुक्ला और सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और राज्य सूचना आयोग में कोई भी आयुक्त नहीं बचेगा जो सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रदेशभर से आने वाले आवेदनों, अपीलों की सुनवाई कर उन पर निर्णय लेकर आमजन को राहत प्रदान कर सके।

 

*अब नये सिरे से विज्ञापन जारी कर आवेदन बुलाएगी सरकार-*

भाजपा सरकार के कार्यकाल में डेढ़ साल पहले बुलाए गए आवेदन और विज्ञापन तीन दिसंबर को नए सिरे से

सरकार के गठन होंने के साथ ही निष्प्रभावी हो जाएंगे। सरकारी जिसकी भी बने उसे अब सूचना आयुक्त के पदों को भरने नये सिरे से आवेदन बुलाना होगा। मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए भी कार्रवाई नई सरकार को मार्च से पहले करना होगा। इसलिए जो भी सरकार बनेगी वह जनवरी या फरवरी में फिर से इन पदों को भरने के लिए आवेदन बुलाएगी फिर यह भर्तियां की जाएंगी।

 

 

*नई सरकार के हिसाब से बनेंगे मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त*

तीन दिसंबर को परिणाम आने के बाद जिस भी दल की सरकार बनेगी वह अपने गुणा-भाग के हिसाब से मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की तैनाती करेगी। सूचना आयुक्त के चयन के लिए आवेदनों की छटनी और उसके बाद चयन के निर्णय के लिए होंने वाली बैठक में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सत्तारुढ़ दल की ओर से एक मंत्री शामिल होते है। इन तीनों की सहमति के बाद ही सूचना आयुक्तों की नियुक्ति होती है। दोनो दल अपनी पसंद के कुछ लोगों को सूचना आयुक्त बनवाने के लिए नाम आये हुए आवेदनों में से उपयुक्त का चयन करते है और तीनों की सहमति के बाद ही नियुक्ति होती है। इसलिए अब नई सरकार ही इस बारे में फैसला लेगी कि नये सिरे से फिर कब तक आवेदन बुलाए जाए और चयन के लिए बैठक कब रखी जाए। विधानसभा चुनाव के बाद लोक सभा चुनाव भी होंने है। इसलिए इसके बीच के समय में ही यह कवायद हो सकती है। वर्ना लोकसभा की आचार संहिता लग जाने के कारण फिर इस मामले में निर्णय लेने में देरी हो जाएगी।