मानवाधिकार आयोग ने जर्जर स्कूल को लेकर कलेक्टर से मांगा जवाब
भोपाल। प्रदेश में शिक्षा को लेकर बड़े- बड़े दावे किये जाते है। लेकिन समय – समय पर सरकारी दावों की कलई स्वयं खुल जाती है। प्रदेश में शिक्षा से जुड़े हुए दो ऐसे मामले सामने आए है जिसमें मानवाधिकार आयोग को स्वयं कदम उठाना पड़ा। पहला मामला दमोह जिले से जुड़ा हुआ है। दमोह जिले के तेंदूखेड़ा विकासखंड स्थित शासकीय प्राथमिक शाला का भवन जर्जर होने के चलते छात्र सामुदायिक भवन में पढ़ाई करने को विवश है। मामले में सफाई देते हुए प्रधानध्यापक ने बताया कि स्कूल का भवन काफी पुराना और जर्जर है। भविष्य में कोई अनहोनी नहीं हो और बच्चों के पठन- पाठन में कोई बाधा नहीं आए इसलिए शाला सामुदायिक भवन में लगायी जाती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते दमोह कलेक्टर और स्कूल शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार में आता है। इसके बाद भी शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था का नहीं होना कई सवाल खड़े करता है। आयोग ने कलेक्टर से बच्चों के बैठने के लिए उचित व्यवस्था करने जहां निर्देश दिया है तो वहीं एक माह के अंदर रिपोर्ट भी मांगा है।
वहीं दूसरा मामला रायसेन जिले से जुड़ा हुआ है। यहां छात्राओं को पढ़ाई से ज्यादा बैठने के लिए तरसना पड़ रहा है। जीं हां हम बात कर रहे है ….रायसेन जिले के शासकीय कन्या हायर सेकंडरी स्कूल की। अतिरिक्त कक्षा के निर्माण के लिए भूमिपूजन हुए दो साल हो गये लेकिन कक्षा नहीं होने के चलते एक कक्षा में जहां 50 छात्राओं के बैठने की व्यवस्था है लेकिन 100 छात्राओं को बैठने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। स्कूल में बैठने की माकूल व्यवस्था नहीं होने से छात्रों की पढ़ाई को लेकर कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मानवाधिकार आयोग ने रायसेन कलेक्टर और स्कूल शिक्षा अधिकारी को छात्राओं के बैठने की व्यवस्था करने का जहां निर्देश दिया है। वहीं एक माह के अंदर जिला प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगा है।