Reason for Suicide : नगर निगम के ठेकेदार की आत्महत्या में अफसर पर उंगली!   

परिवार ने बताया कि कैसे उन्होंने बिना टेंडर काम करवाया, पर पैसे नहीं मिले!

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Reason for Suicide : नगर निगम के ठेकेदार की आत्महत्या में अफसर पर उंगली!

Indore : एसिड पीकर आत्महत्या करने वाले नगर निगम के ठेकेदार अमरजीत भाटिया (पप्पू भाटिया) की मौत की उंगली नगर निगम के कुछ अफसरों पर उठ रही है। इस घटना से ये भी साफ हो गया कि नगर निगम के कामकाज में किस हद तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। इस आत्महत्या मामले में भी रिटायरमेंट से पहले वीआरएस देकर रिटायर किए गए अफसर ठेकेदार की मौत के बाद से गायब हैं। जबकि, ठेकेदार के परिवार का आरोप है कि निगम के रिटायर्ड अफसर को ही दोषी बता रहे हैं। इस मामले में वे दो दिन बाद बयान दर्ज कराएंगे।

शहर में हुए दो बड़े आयोजनों से कमीशन के लिए निगम के रिटायर्ड अफसर ने ही एक कंपनी को टेंडर दिलाया और डॉक्यूमेंट में नाम न होते हुए भी सारे काम बतौर पेटी कांट्रैक्टर भाटिया को दिलाए। कंपनी को तो नगर निगम से पेमेंट मिला, लेकिन अमरजीत भाटिया को नहीं मिला। उन्होंने इन दोनों आयोजनों में कई लोगों से काम भी करवाया था और वे भाटिया से पैसे मांग रहे थे। अमरजीत के साथ 50 से ज्यादा पेटी कांट्रैक्टर काम करते थे। कुछ वर्षों से निगम की आर्थिक हालत ठीक नहीं है और 1200 से 1500 करोड़ रुपए कुल ठेकेदारों का बकाया है। निगम चुनाव बाद देनदारी तेजी से बढ़ी जबकि न तो सरकार से आवश्यकता अनुसार पैसा मिल रहा है न निगम की आवक में ज्यादा वृद्धि हो रही है।

परिवार ने आरोप लगाए

नगर निगम के ठेकेदार अमरजीत सिंह भाटिया की मौत के मामले में तुकोगंज पुलिस ने परिवार से बात करने की बात कोशिश की। लेकिन, गमी के चलते उन्होंने 10 दिसंबर तक थाने आकर बयान देने को कहा है। नगर निगम से वीआरएस देकर निकाले गए निगम अधिकारी के बारे में परिवार का कहना है कि उन्होंने ठेका लेने वाली कंपनी से अपने कमीशन का हिसाब-किताब तो कर लिया। लेकिन, वे अमरजीत भाटिया को पेमेंट दिलवाने में बेवजह देरी कर रहे थे। इस कारण भाटिया ने जनवरी 2023 में हुए कामों का छोटे ठेकेदारों और मजदूरों को दिसंबर में सुसाइड के पहले तक अपने पास से पेमेंट किया। लेकिन, इससे वे कर्ज में डूब गए थे।

बिना टेंडर करते थे काम

बताते हैं कि भाटिया के पास निगम के कई बड़े काम के टेंडर आते थे। अफसरों के कहने पर कई काम बिना टेंडर के करवा देते थे। बाद में अमरदीप को पेमेंट मिल जाता था। निगम में उनका यह व्यवहार 20 साल से चल रहा था। संजीवनी क्लिनिक, पेवर ब्लॉक और स्कूलों की बिल्डिंग बनाने जैसे कई टेंडर उनके पास थे। जिसमें से कई काम अभी अधूरे हैं। उनके आत्महत्या कर लेने से अब ये काम पिछड़ने की आशंका है। कई इंजीनियर भाटिया पर काम करने का दबाव बनाते थे। जनकार्य विभाग के इंजीनियर कई बार उनके निगम परिसर आफिस में बैठे रहते थे। उनकी तबीयत भी खराब हो गई, अटेक भी आया था।