Kissa-A-IAS: Son of Famous Actor Became IAS: पिता नामी हास्य अभिनेता,पर बेटा बना IAS अफसर
‘राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा तो क्या बनेगा’ सदियों से हम दादी और नानी से यह बात सुनते हैं आ रहे हैं। आज भी यह कहावत सटीक बैठती है। जब शोबिज और राजनीति की बात आती है, तो इसे नेपोटिज्म कहा जाता है। जहां ज्यादातर बड़े कलाकारों के बच्चे अपने माता-पिता की तरह एक्टर बनते हैं। हिंदी और दूसरी क्षेत्रीय फिल्मों में भी यही परंपरा है। स्टार किड्स अपने पेरेंट्स के ही नक्शे कदम पर चलना पसंद करते हैं, पर इस बेटे ने जो किया वो अनोखा ही कहा जाएगा। ऐसे कलाकारों के कुछ बच्चे ऐसे भी हैं, जो अपनी अलग राह बनाते हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है दक्षिण के तमिल सिनेमा के कॉमेडी स्टार चिन्नी जयंत के बेटे श्रुतंजय कृष्णमूर्ति नारायणन, जिन्होंने अभिनय में रुचि होने के बावजूद एक्टर न बनकर देश सेवा के लिए IAS बनने की राह चुनी।
चिन्नी जयंत तमिल सिनेमा के 80 के दशक के मशहूर सितारों में से एक हैं। वे ज्यादातर रजनीकांत की फिल्मों में अपनी अनोखी कॉमेडी के लिए पहचाने जाते हैं। लेकिन, उनके बेटे श्रुतंजय कृष्णमूर्ति नारायणन ने अपना अलग लक्ष्य खुद तय किया। उन्होंने इसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और दिन रात एक की। इसे पूरा करने के लिए श्रुतंजय ने 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। उन्होंने दूसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा की परीक्षा पास भी की। श्रुतंजय ने न सिर्फ यूपीएससी परीक्षा पास की, बल्कि यूपीएससी सीएसई 2019 में 75वीं रैंक हासिल की, जिसके परिणाम 2020 में घोषित किए गए। उनका नाम यूपीएससी की रैंक में 75 वें नंबर पर था।
उन्हें पिता से अभिनय के गुण भी बखूबी मिले। श्रुतंजय नारायणन स्कूल और कॉलेज के दिनों में नाटकों में भी भाग लिया करते थे। उन्होंने इन नाटकों में अभिनय का जौहर बखूबी दिखाया, लेकिन वह इसे करियर के तौर पर अपनाना नहीं चाहते थे। श्रुतंजय ने भले ही स्कूल और कॉलेज के कई नाटकों में अभिनय किया, लेकिन अपने पिता की तरह पेशेवर रूप से अभिनय को करियर चुनना नहीं चाहा। चिन्नी जयंत श्रुतंजय के दोस्तों को सिनेमा की बारीकियां सिखाया करते थे, लेकिन उनके बेटे का मन सिनेमा में करियर बनाने का कभी नहीं हुआ। थिएटर नाटकों में अभिनय करने का उनका मकसद सिर्फ अभिव्यक्ति का माध्यम ढूंढना और नए दोस्त बनाना था। श्रुतंजय अभिनय क्षेत्र में पेशेवर करियर की संभावनाएं तलाशना नहीं चाहते थे।
श्रुतंजय ने IAS बनने से पहले एक स्टार्टअप कंपनी में नौकरी की। इस जॉब के दौरान भी श्रुतंजय चार से पांच घंटे सेल्फ स्टडी करते रहे। वे नाइट शिफ्ट में काम करते थे और पढ़ाई भी करते रहे। श्रुतंजय नारायणन ने परीक्षा पास आने पर अपना सारा रूटीन बदल दिया था। जहां वे पहले जॉब करते हुए चार-पांच घंटे पढ़ाई करते थे, परीक्षा पास आने पर उन्होंने इसे बढ़ाकर 10 से 12 घंटे कर दिया। पढ़ाई और जॉब के साथ ही श्रुतंजय नारायणन अच्छी डाइट और नींद के साथ ही योग भी किया करते थे, जिससे उनकी सेहत हमेशा परफेक्ट रहती थी।
श्रुतंजय नारायणन ने यूपीएससी मेंस एग्जाम में ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर सोशियोलॉजी विषय लिया। हालांकि, भूगोल में भी उनकी गहरी रुचि है। इंटरव्यू के बारे में श्रुतंजय का मानना है कि उम्मीदवार को शुरुआती 20 मिनट में ही बोर्ड मेंबर्स पर अपनी छाप छोड़ देनी चाहिए। IAS में ऊंची रैंक आने पर उन्हें होम स्टेट यानी तमिलनाडु मिला।
फ़िलहाल वे एडिशनल कलेक्टर (विकास)/परियोजना अधिकारी-जिला ग्रामीण विकास विल्लुपुरम के पद पर तैनात है।
एक साक्षात्कार में श्रुतंजय ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान परिवार और दोस्तों की एक मजबूत सहायता प्रणाली के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यूपीएससी की तैयारी एक लंबी प्रक्रिया है। उनके मुताबिक, मेंटर्स का होना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसे गुरुओं का होना कभी अच्छा होता जिनसे आप लगातार संपर्क कर सकें। यह आपको पूरी प्रक्रिया के दौरान प्रोत्साहित करने में भी मददगार होता है। उन्होंने कहना है कि कुल मिलाकर आपको अपनी मेहनत पर भरोसा करना और इंतजार करना है।