हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन…

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हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन…

मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधानसभा ने मुख्यमंत्री के नाम को लेकर जितनी जद्दोजहद देखी है, इक्कीसवीं सदी में उतनी किसी विधानसभा ने नहीं देखी होगी। इक्कीसवीं सदी में वर्ष 2003 में जब पहली बार भाजपा की सरकार बनी, तब मुख्यमंत्री पद को लेकर तस्वीर साफ थी। उमा भारती ने जब पद से इस्तीफा दिया तो बाबूलाल गौर के रूप में अपना उत्तराधिकारी भी दे दिया। और फिर गौर के उत्तराधिकारी के रूप में जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए, तब से 2018 तक एक छत्र उनके मुख्यमंत्री बनने को लेकर किसी के मन में कोई संदेह पैदा नहीं हुआ। यहां तक कि 2020 में जब कांग्रेस को हटाकर भाजपा ने सरकार बनाई, तब भी तीन दिन में तस्वीर साफ हो गई थी।‌ पर 2023 में परिणाम आने के एक सप्ताह बाद भी स्थिति जस की तस है। पर्यवेक्षकों की नियुक्ति हो गई है। और सोमवार 11 दिसंबर 2023 का दिन कैडर बेस पार्टी के मुखिया के नाम का ऐलान होने का गवाह बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को देखकर यह कतई नहीं लग रहा कि बदलाव की नियति तय हो गई है। पर जिस तरह दूसरे नाम हवा में तैरते नजर आ रहे हैं, उससे चुनाव के पहले के घटनाक्रम और शिवराज सिंह चौहान की सहज, सरल और भावुक प्रतिक्रियाएं आंखों के सामने आकर यह कहते देर नहीं लगातीं कि स्थितियां अभी भी नरम-गरम हैं। पांच सांसद चुनाव जीते हैं। इनमें ओबीसी वर्ग से आए प्रहलाद सिंह पटेल का नाम लोगों की जुबां पर है।‌

नरेंद्र सिंह तोमर, राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह और रीति पाठक की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। वरिष्ठतम विधायक पंडित गोपाल भार्गव को दिल्ली तलब किया जाना और ओमप्रकाश धुर्वे को दिल्ली बुलाने की खबर चर्चा में है। आदिवासी राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का नाम विधानसभा चुनाव से पहले काफी जोरों पर गूंजा था। तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का नाम से भी मध्यप्रदेश भली भांति परिचित हो चुका है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का चेहरा सामने आने पर हर भाजपा नेता यही बात दोहराता है कि उनके मन में क्या चल रहा है, यह किसी को भी नहीं पता है। अंतिम समय तक कोई यह नहीं बता सकता है कि शिवराज पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे या फिर मध्यप्रदेश का भाग्यविधाता कोई और बनने जा रहा है। हालांकि शिवराज सिंह चौहान राजनीति के धुरंधर बल्लेबाज हैं, पर समय होत बलबान जैसी बात को भी नकारा नहीं जा सकता। वैसे तो शिवराज को सब पता होगा, पर वह

न तो कभी कुछ जाहिर होने देते हैं और अंतिम समय तक हार भी नहीं मानते हुए बाजी पलटने की हिम्मत भी रखते हैं। इसलिए उनका उत्तराधिकारी बनने का ख्याल रखने वालों के लिए फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि “दिल के खुश रखने को “ग़ालिब” यह ख्याल अच्छा है…”।

फिलहाल तो यह सूचना आ गई है कि भाजपा विधायक दल की बैठक 11 दिसंबर को प्रदेश कार्यालय में होगी।भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने बताया कि भाजपा विधायक दल के नेता के चुनाव हेतु 11 दिसंबर सोमवार को शाम 4 बजे भाजपा प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की बैठक आयोजित की गयी है। बैठक में भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड द्वारा मध्यप्रदेश भाजपा विधायक दल के नेता के चुनाव हेतु पार्टी के संसदीय बोर्ड द्वारा नियुक्त केन्द्रीय पर्यवेक्षक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण, पार्टी की राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेतागण उपस्थित रहेंगे।

कहा जा रहा है कि बैठक संपन्न कराकर पर्यवेक्षक शाम को समय से वापस लौट जाएं, इसलिए बैठक के समय में परिवर्तन कर इसे पहले किया गया है। तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यक्रमों में लगातार व्यस्त हैं। कभी “मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा” कहकर चर्चा में आते हैं तो कभी “सबको राम-राम” कहकर लोगों की जुबां पर बरबस ही आ जाते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार 9 दिसंबर 2023 को भोपाल की उत्तर विधानसभा में आभार कार्यक्रम में सहभागिता की। तो लाड़ली बहनाओं ने प्रदेश की सभी 29 लोकसभाओं से सजी फूलों की माला से सीएम का अभिनंदन कर नरेन्द्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लिया। तो सीएम ने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के अंतर्गत  विकास भी करेंगे और जनता की सेवा के अभियान भी चलेंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की जनता ने, भाइयों-बहनों और भांजे-भांजियों ने जो लाड प्यार और आशीर्वाद दिया है वह अद्भुत और अभूतपूर्व है, इतने वोट कभी मध्यप्रदेश में नहीं मिले आपने भारतीय जनता पार्टी की झोली भर दी है। लोग हैरत में थे कि, इतने वोट निकल कहां से रहे हैं। चुनाव से पहले कहते थे बहुत कठिन है टफ है, कांटे का मुकाबला है लेकिन मैंने कहा पूरे कांटे लाडली बहनों ने निकाल दिए। ये मुकाबला कांटे का नहीं बल्कि एक तरफा मुकाबला हो गया। तो यह भी कहा कि जब तक मेरी सांस चलेगी आपकी सेवा करूंगा। मेरे लिए सबसे बड़ा पद है भाई और मामा का पद है, इससे बड़ा दुनिया में कोई पद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि, मैं पहले उन क्षेत्रों में जा रहा हूं जहां भाजपा चुनाव नहीं जीती है। आपकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के अंतर्गत गाड़ियां हर वार्ड में जाएंगी और छूटे हुए हितग्राहियों के नाम जोड़े जाएंगे। विकास भी करेंगे और जनता की सेवा के अभियान भी चलेंगे।

11 दिसंबर की तारीख गवाह बनने जा रही है सोलहवीं विधानसभा में मध्यप्रदेश के मुखिया के औपचारिक ऐलान की। तो इस बात की भी कि दो उपमुख्यमंत्री रहेंगे या एक मजबूत मुख्यमंत्री ही काफी रहेगा। पांचवीं बार शिवराज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे या फिर बदलाव होगा। भाजपा के दिग्गजों को इसकी भनक लग गई होगी और उनके लिए यही कहा जा सकता है कि

हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन…