कोई तो कहे- उत्तरप्रदेश का नाम बदल हो उत्तम प्रदेश,उत्तर दिशा में नहीं है उत्तर प्रदेश
नर्मदा परिक्रमा पथ,गुजरात से स्वामी तृप्तानंद जी का कालम
किसी राजनीतिक भाव से, किसी नाम को बदलना कितना सही है इसका न्याय तो इतिहास करेगा ही पर सर्व साधारण प्रजा को यह प्रायः पसंद नहीं आता,ऐसा मेरा मानना है। तभी तो आम बोलचाल में इलाहाबाद, मुगलसराय,लखनऊ, आदि की ही जन मान्यता आज भी है,लोगों की जुबान पर यही नाम सहज ही आ जाते हैं। होशंगाबाद का नाम मां नर्मदा के नाम पर नर्मदापुरम् करने तक तो ठीक है पर इतिहास पुरुषों के नाम को भी मिटाने की मंशा तब सामने आ जाती है जब गुजरात के अहमदाबाद में सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल दिया जाए। इसे अन्यायपूर्ण ही कहा जाएगा।
जो प्राचीन नामकरण हैं उनके साथ कुछ न इतिहास जुड़ा होता है,जिसे अकारण मिटा देना उसके नहीं अपने स्वयं के ही इतिहास को भी विलोपित करने जैसा है। कभी कभी परिस्थितिवश भी नाम बदला जाता है जैसे कि परित्यक्ता सीता माता को वन
देवी बनकर जीना पड़ा। नाम बदलने में सबसे ज्यादा ट्रेंड उत्तरप्रदेश में ही देखने को मिल रहा है। पर वास्तव में जहां नाम बदले जाने की वास्तविक
जरूरत है वहां ब्रे न डे ड जैसा बर्ताव हो रहा है।
जैसे कि U.P. अर्थात उत्तर प्रदेश नाम से यह पता चलता है कि यह कोई राज्य है जो भारत संघ के उत्तर North में है जो कि वह नहीं है। और उत्तराखंड के अलग हो जाने के बाद तो उत्तर प्रदेश में उत्तर दिशा तो लेशमान भी नहीं है। U.P. संक्षेप का नाम पूर्व में United province था और पुनर्गठन के समय U.P. को यथावत रहने देने के लिए यूनाइटेड प्रॉविन्स को उत्तर प्रदेश कर दिया गया और C.P. सेंट्रल प्रॉविन्स को मध्यप्रदेश M.P. कर दिया गया। पूर्व में इटारसी में ईंटा रस्सी का लघु उद्योग बहुत प्रसिद्ध था इसी आधार पर इटारसी नाम पड़ा। पर अब ईटा रस्सी उद्योग का नामोनिशान भी नहीं बचा है, तो इटारसी का नाम यथा लोटसपुर या कुछ और कर दिया जाना
कैसा रहेगा ?
उत्तर में कतई नहीं
है उत्तर परदेश !
तृप्तानंद U. P. बने
अब उत्तम परदेश !!