राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का इन्तज़ार एक दिन और आगे खिसका

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राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का इन्तज़ार एक दिन और आगे खिसका

राजस्थान में नए मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बढ़ता ही जा रहा है और अब भावी मुख्य मंत्री का इन्तज़ार एक दिन के लिए और आगे खिसक गया है। उम्मीद है कि मंगलवार तक राजस्थान को अपना नया मुख्यमंत्री मिल जायेगा। इसके पूर्व सोमवार को मध्य प्रदेश के नए मुख्य मंत्री का चयन करने के लिए भोपाल में विधायक दल की बैठक होंगी।

छत्तीसगढ़ में रविवार को हुई विधायक दल की बैठक में केन्द्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विष्णु देव साय को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया।

विष्णु देव साय प्रदेश के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री बनाएँ गए है और ऐसा कर भाजपा ने आगामी लोकसभा आम चुनाव से पहले आदिवासी समुदाय में एक बड़ा सन्देश देने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का चुनाव करने में प्रदेश के प्रभारी और राजस्थान के वरिष्ठ भाजपा नेता ओम प्रकाश माथुर का उल्लेखनीय योगदान रहा है। बताते है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर माथुर ने नए मुख्यमंत्री के चयन की स्क्रिप्ट को अमली जामा पहनाने में विशेष भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़ में तीन बार के मुख्य मंत्री रहें रमण सिंह को विधान सभा अध्यक्ष तथा अरुण साव एवं विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लेकर भाजपा ने प्रदेश की राजनीतिक में सन्तुलन बिठाने का प्रयास किया है।

अब सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का फैसला होना है । यहाँ यह देखना होगा कि चौहान शिवराज अथवा महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया में से किसे मुख्य मंत्री बनाया जाता है अथवा यहाँ भी मोदी शाह चौकानें वाला फैसला कर किसी ओबीसी अथवा अन्य नेता को मध्य प्रदेश की कमान सौपेंगे। इसके अलावा यह भी देखना होंगा कि छत्तीसगढ़ की तरह मध्य प्रदेश में भी दो उप मुख्यमंत्री बनाने का प्रयोग किया जायेगा। राजनीतिक पण्डितों का मानना है कि मध्य प्रदेश में यदि कोई राजपूत मुख्यमंत्री बनेगा तो राजस्थान के समीकरण बदल सकते है और यदि कोई ओबीसी मुख्यमंत्री बन जाता है तों राजस्थान में अन्य सभी जातियों को साधने वाले किसी नेता को शासन की गद्दी सुपुर्द की जा सकती है।

राजस्थान में मुख्य मंत्री की कुर्सी पर सबसे बड़ी दावेदारी दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुन्धरा राजे की है। राजे के बारे में यह माना जाता है कि वे जाट राजपूत गुर्जर और सिक्ख आदि छत्तीस कोमों और समुदाय को एक साथ साधने वाली क़द्दावर नेता है और उनके पीछें काफ़ी संख्या में विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है। रविवार को नई दिल्ली से जयपुर लौटने के बाद बड़ी संख्या में विधायकों का उनके सिविल लाइंस स्थित सरकारी निवास पर पहुँचना उनके क़द और लोकप्रियता को दर्शाता है। यदि कतिपय कारणों से मुख्यमंत्री के लिए वसुन्धरा राजे का चयन नही होता है तो प्रदेश में चर्चित आठ नौ अन्य नेताओं के नामों में से किसी का चयन नही होंगा तथा मोदी-शाह और राजे की पसन्द का कोई नेता ही मुख्यमंत्री चुना जायेगा और इस मापदण्ड में बताते है कि भाजपा के नेता ओम प्रकाश माथुर का नाम सबसे ऊपर है क्योंकि उन्हें आरएसएस का समर्थन भी प्राप्त है और राजस्थान के हर कौने के कार्यकर्ता का भी वे जाना पहचाना नाम है। इस बहाने उन्हें छत्तीसगढ़ में भाजपा के एक कुशल रणनीतिकार के रूप में विजय दिलाने का पुरस्कार भी दिया जा सकेगा।

देखना है कि दिलचस्प मोड़ पर खडे राजस्थान के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में और क्या क्या ट्विस्ट आते है?