मोहन की पहली कैबिनेट की सनातनी सुगंध…
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहली कैबिनेट बैठक के फैसलों की सनातनी सुगंध अब मध्यप्रदेश के नए दौर का अहसास करा रही है। लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथग्रहण के बाद मोहन के कान में यह मंत्र फूंक दिया है कि उनकी कार्यशैली की अलग झलक जल्दी ही मध्यप्रदेश के नागरिकों के दिल में बस जानी चाहिए। और 13 दिसंबर 2023 को दिन में साढ़े ग्यारह बजे शपथ लेने के बाद शाम 7.30 बजे सनातनी सोच के फैसलों पर मुहर लगाकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ कर दिया है कि वह अपनी नई और बड़ी लकीर खींचने को तैयार हैं। इन फैसलों से यह साफ है कि अब मध्यप्रदेश भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कानून व्यवस्था सुधारने को आतुर है। वहीं सनातन का असर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कार्यशैली में साफ और खुलकर नजर आने वाला है। और योगी की तरह ही डॉ. मोहन यादव को इससे कोई परहेज भी नहीं है।
सनातनी फैसलों पर नजर डालें तो ध्वनि विस्तारक यंत्रों को अवैधानिक रूप से और निर्धारित मापदण्ड से अधिक बजाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। धार्मिक स्थल एवं अन्य स्थानों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों को अवैधानिक रूप से और निर्धारित मापदण्ड से अधिक बजाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। निर्धारित मापदंड का उल्लंघन करते हुए बजाए जाने वाले लाउडस्पीकरों अथवा डीजे आदि की जाँच के लिए उड़न दस्तों का गठन, निरीक्षण एवं नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले से सरकार पर एक समुदाय विशेष को टारगेट करने के आरोप न लगें, कार्यवाही करने वाले अफसरों पर इसकी जिम्मेदारी है। और अपनी छवि को निर्विवादित रखने के लिए मुख्यमंत्री मोहन को इस बात की खास चिंता करनी ही पड़ेगी।
दूसरा सनातनी फैसला है कि नगरीय क्षेत्रों में बिना लायसेंस के खुले में अवैध रूप से मांस-मछली आदि का क्रय-विक्रय अब नहीं होगा। इस संबंध में सघन अभियान चलाया जायेगा। यह अभियान जिलो में अतिक्रमण निरोधी दस्ते, स्वास्थ्य अमले, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के समन्वय से चलाया जाएगा। इस अभियान की मॉनीटरिंग मुख्य सचिव के स्तर से की जाएगी। और इस फैसले में बड़ी बात यही है कि खुले में मांस मछली बेचने पर पाबंदी स्वागत योग्य कदम है, लेकिन किसी का रोजगार न छिने और उनके लिए पर्याप्त स्थान मुहैया हो जाएं। इस बात का ख्याल रखने की जिम्मेदारी सरकार की है।
तीसरा सनातनी अनौपचारिक फैसला यह लिया गया है कि राम मंदिर उद्घाटन में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं का जगह-जगह स्वागत किया जाएगा। यानि जय श्री राम के नारे लगेंगे और मोहन की सोच मध्यप्रदेश राज्य महसूस करेगा।
तो कानून-व्यवस्था सुधारने संबंधी फैसला यह लिया गया कि गंभीर अपराधों एवं आदतन अपराधियों की पूर्व अपराधों में प्राप्त जमानत सीआरपीसी की धारा 437,438, 439 के प्रावधान अनुसार माननीय न्यायालय से निरस्त करवाए जाएंगे। यानि की उत्तर प्रदेश में योगी की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी अब मोहन अपराधियों का जीना दूभर कर देंगे। तो यह भी संभव है कि पुलिस की शॉर्ट एनकाउंटर की नीति एनकाउंटर में तब्दील हो जाए। साथ ही बिना भेदभाव के अपराधी को अपराधी की तरह अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना पड़े। और तभी अपराधों का ग्राफ गिरेगा और अपराध नियंत्रण के मामले में मध्यप्रदेश की छवि का ग्राफ ऊपर जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अफसरों से यह अपेक्षा की है कि भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन आधारित कार्य पद्धति का विकास किया जाए। नागरिकों को राजस्व और अन्य सभी कार्यों के लिए परेशान ना होना पड़े। अब सनातनी फैसलों की खुशबू और कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार जैसी चुनौतियों से पार पाकर ही मध्यप्रदेश राज्य देश में नंबर वन बनने का सपना पूरा कर सकेगा। अगर फैसले जमीन पर उतर गए तो देश में मोहन राग की चर्चा होना तय है। वैसे डॉ. मोहन यादव के तेवर कुछ यही संकेत दे रहे हैं कि पहली कैबिनेट की सनातनी सुगंध का असर अब सतत देखने को मिलेगा…।