दिग्गजों के कारण विभाग बंटवारे में अड़चन, CM नहीं कर पा रहे फैसला, पहुंचे दिल्ली!

नए मंत्रियों की खुल सकती है लाटरी!अब भाजपा नेतृत्व की हरी झंडी का इंतजार

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दिग्गजों के कारण विभाग बंटवारे में अड़चन, CM नहीं कर पा रहे फैसला, पहुंचे दिल्ली!

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की खास राजनीतिक रिपोर्ट

पहले मुख्यमंत्री के निर्णय में देरी, इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार में विलंब और अब मंत्रियों के लिए विभागों के बंटवारे का मामला भी अटक गया है। आमतौर पर मंत्रिमंडल गठन के एक-दो दिन के अंदर विभागों का बंटवारा हो जाता है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ऐसा नहीं नहीं कर पाए। खबर है कि दिग्गजों, पूर्व सरकार के मंत्रियों और नए बने मंत्रियों के कारण अड़चन आ रही है। पीढ़ीगत बदलाव के दौर में भाजपा नेतृत्व नई पीढ़ी के मंत्रियों को बड़े विभागों की जवाबदारी देने के पक्ष में दिखता है। संकोच के चलते दिग्गजों को नजरअंदाज कर मुख्यमंत्री डॉ यादव में यह करने की हिम्मत नहीं है। इसीलिए मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल की तर्ज पर मंत्रियों के विभाग भी केंद्रीय नेतृत्व के दखल से बंटेंगे। इसके लिए नेतृत्व की हरीझंडी का इंतजार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री इसके लिए रात में दिल्ली पहुंच गए हैं।

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 इन दिग्गजों के कारण अटकी सूची
– मंत्रिमंडल में इस बार भाजपा के राष्ट्रीय महासिचव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व सांसदों प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह और संपतिया उइके को भी शामिल किया गया है। इनमें प्रहलाद केंद्रीय मंत्री और राकेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। संपतिया उइके भी जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ राज्य सभा सदस्य रही है और पार्टी का आदिवासी चेहरा बन रही हैं। माना जाता है कि बड़े विभागों में इनका स्वाभाविक हक है। लेकिन नेतृत्व की पीढ़ीगत बदलाव की मंशा को देखें तो ये दिग्गज मंत्री जरूर बन गए हैं लेकिन बड़े विभागों की लाटरी नए मंत्रियों के नाम खुल सकती है। इसी कारण विभागों का बंटवारा भंवर में फंसा बताया जा रहा है।

0 नए मंत्रियों को अच्छे विभागों की उम्मीद
– मंत्रिमंडल में पहली बार शािमल किए गए सदस्यों की संख्या ज्यादा है। नाम न छापने की शर्त पर एक नए मंत्री ने कहा कि जिस तरह नेतृत्व में पीढ़ीगत बदलाव किया गया है। इसे देखकर तो यही लगता है कि पहली बार मंत्री बनने वालों को अच्छे विभाग मिलेंगे ताकि वे खुद को साबित कर सकें। इस कथन से नए मंत्रियों में उम्मीद के साथ नेतृत्व की मंशा भी झलकती है। यह काम मुख्यमंत्री डॉ यादव नहीं कर सकते। इसलिए केंद्रीय नेतृत्व की आेर देखा जा रहा है। मंत्रिमंडल में पहली बार मंत्री बनने वालों की संख्या 17 है। इनमें कई तो पहली बार कोई चुनाव जीत कर आए हैं।

0 विभाग बंटवारे में भी बन सकता संतुलन
– जिस तरह से मंत्रिमंडल का गठन हुआ, इसी तरह विभाग बंटवारे में भी सीनियर और जूनियर के बीच संतुलन बनाया जा सकता है। अर्थात, कुछ बड़े विभाग दिग्गजों और कुछ नए मंत्रियों को दिए जा सकते हैं। इसी तरह कुछ कमजोर विभाग दिग्गजों और कुछ नए मंत्रियों को दिए जा सकते हैं। इस उधेड़बुन के चलते ही मंत्रियों के बीच विभागों को बंटवारा नहीं हो रहा और वे बिना काम के मंत्री बने हुए हैं। सिर्फ मुख्यमंत्री डॉ यादव ही काम करते नजर आ रहे हैं। शेष मंत्री मंदिरों के दर्शन और पूजा-पाठ में लगे हैं।

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0 शिवराज सरकार के मंत्री भी इंतजार में
– पुराने और नए मंत्रियों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सरकार में मंत्री रहे 6 सदस्य भी अच्छे विभागों के इंतजार में हैं। ये हैं विजय शाह, विश्वास सारंग, गोविंद सिंह राजपूत, तुलसीराम सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर और इंदर सिंह परमार। पूर्व सरकार में इन सभी के पास अच्छे और बड़े विभाग रहे हैं। विजय शाह वन, विश्वास सारंग चिकित्सा शिक्षा, गोविंद सिंह राजपूत राजस्व एवं परिवहन, तुलसीराम सिलावट जल संसाधन, प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा और इंदर सिंह परमार स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री रहे हैं। ये फिर इसी तरह के विभाग चाहते हैं।