Bueraucratic Reshuffle: यह तो टीजर है,पूरी फिल्म का कीजिए इंतज़ार !

इन प्रशासनिक फेरबदलों का इशारा समझिए!   

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Bueraucratic Reshuffle: यह तो टीजर है,पूरी फिल्म का

कीजिए इंतज़ार !

सुरेश तिवारी की खास रिपोर्ट 

जब भी कोई नया मुख्यमंत्री बनता है, सबकी नजर इस बात पर रहती है कि वह प्रशासन पर किस तरह नकेल डालता हैं। क्योंकि, माना जाता है कि वही मुखिया ज्यादा सफल होता है, जो प्रशासन को अपने तरीके से चलाता है। वरना कुछ समय बाद प्रशासनिक अफसर ही सरकार चलाने लगते है। सीधे शब्दों में कहें तो मुख्यमंत्री के तेवरों का अंदाजा इस बात से लगता है कि वे प्रशासन पर कितना हावी हैं।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने गुना बस हादसे के बाद जिस तरह सख्ती दिखाई, उससे उनके तेवरों का अंदाजा लग गया। उन्होंने यदि समय पर फायर ब्रिगेड न भेज पाने के लिए नगर पालिका के सीएमओ को सस्पेंड किया तो व्यवस्था की दृष्टि से RTO को सस्पेंड करने में देर नहीं की। इतना ही नहीं सीएम ने अवैध बसों के संचालन का दोषी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, प्रमुख सचिव ट्रांसपोर्ट,कलेक्टर और एसपी को भी माना और इन सभी को तत्काल हटाने के आदेश दिए। दरअसल, ये कार्रवाई एक इशारा है। इसके बाद साल के आखिरी दिन छोटा सा प्रशासनिक फेरबदल करके अपने इसी अंदाज को पुख्ता कर दिया। उन्होंने लोकसभा चुनाव के पहले प्रशासनिक सर्जरी करना शुरू कर दी और इस कड़ी में चार कलेक्टरों को बदला गया।

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कुमार पुरषोत्तम

मुख्यमंत्री ने अपने गृह जिले उज्जैन के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को भोपाल मंत्रालय में उप सचिव पद पर भेज दिया। इसलिए कि कहा जाता है कि कुमार पुरुषोत्तम की गिनती पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्य सचिव बैंस के चहेते  IAS अफसर में होती रही है और मुख्यमंत्री के अपने जिले में कोई ऐसा कलेक्टर क्यों रहे, जिस पर किसी और का ठप्पा हो! इस फेरबदल में संदीप यादव को जनसंपर्क विभाग का नया सचिव और आयुक्त बनाया गया है। वे पहले उज्जैन कमिश्नर रह चुके हैं। डॉ मोहन यादव जब पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष थे, तब संदीप यादव इस निगम के एमडी हुआ करते थे। दोनों का जुड़ाव काफी पुराना है, फिर दोनों का ‘यादव’ होना भी संयोग कहा जा रहा है।

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Sandeep yadav

वैसे पूर्व मुख्यमंत्री के ठप्पे वाले अफसरों को हटाने का नजारा तो डॉ मोहन यादव ने कुर्सी पर बैठते ही दे दिया था जब उन्होंने चौहान के खास दो मनीष को हटाया। सीएम के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी और जनसंपर्क आयुक्त और शिवराज सिंह चौहान के सबसे निकट माने जाने वाले अफसर मनीष सिंह को मंत्रालय का रास्ता दिखाया। इसके अलावा पूर्व सीएम के परिवार के सदस्य जैसे सबसे विश्वसनीय IAS अफसर नीरज वशिष्ठ को भी तत्काल हटाकर यह साफ साफ संदेश दे दिया कि अब यह शिव का नही मोहन का राज है।इन अफसरों से नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि

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तीन सप्ताह बाद भी इन तीनों अफसरों को कोई दायित्व नहीं सौंपा गया है। इससे यह भी साफ हो गया कि नए मुख्यमंत्री को हल्का समझने वालों को अपना नजरिया बदलना होगा।

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पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के बेटे अमन बीर सिंह बैंस को बैतूल से हटाकर अपेक्षाकृत बड़े जिले गुना का कलेक्टर बनाया गया है,जो दरअसल, पूर्व मुख्य सचिव का सम्मान कहा जाएगा। नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी को बैतूल कलेक्टर बनाकर भेजा गया जिन्हें विधानसभा चुनाव दौरान चुनाव आयोग के निर्देश पर रतलाम से हटा दिया गया था।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अभी अपनी प्रशासनिक क्षमताओं वाली पूरी फिल्म नहीं दिखाई है। मनीष रस्तोगी,मनीष सिंह और नीरज वशिष्ठ को हटाने के बाद गुना बस हादसे के बाद जिस तत्परता से कार्यवाही की गई, वो सिर्फ टीजर था। साल की आखिरी रात छोटा ब्यूरोक्रेटिक रिशफल कर उसी फिल्म का ट्रेलर दिखाया। अभी तो कई संभागों के कमिश्नर और कई जिलों के कलेक्टर सहित मंत्रालय में भी बड़ा फेरबदल होगा। कई IAS मंत्रालय से जिलों में भेजे जाएंगे और बहुत से कलेक्टर मंत्रालय आएंगे। वास्तव में तो अभी पूरी फिल्म आना बाकी है। … बस थोड़ा इंतजार कीजिए!