Diamond Jubilee of MGM : एमजीएम मेडिकल कॉलेज की हीरक जयंती पर पुराने स्टूडेंट का जश्न!   

कोई अमेरिका से आया तो एक डॉक्टर भोपाल से साइकिल चलाकर पहुंचा! 

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Diamond Jubilee of MGM : एमजीएम मेडिकल कॉलेज की हीरक जयंती पर पुराने स्टूडेंट का जश्न!

 

Indore : एमजीएम मेडिकल कॉलेज के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय एलुमनी मीट में देश-विदेश को डॉक्टर शामिल हुए। जहां एक और डॉक्टरों को हमेशा मरीजों का इलाज करते हुए देखते हैं, वहीं इस मौके पर यहां डॉक्टर मस्ती करते हुए नजर आ रहे हैं। परिसर में चारों और पुराने किस्सों की गूंज सुनाई दे रही है।

कई डॉक्टर इन यादों को अपने मोबाइल में समेटते हुए नजर आए तो कई गार्डन में जाकर पलों को याद कर रहे हैं कि हम यहीं बैठकर अपना टिफिन साथ में खाया करते थे। इस आयोजन की शुरुआत शनिवार को हुई। जिसमें पहले दिन विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया। इस कार्यक्रम में विदेश से भी कई डॉक्टर शामिल हुए है। उन्होंने बताया कि काम तो हमेशा चलते रहते हैं, लेकिन इस तरह कॉलेज में अपने दोस्तों से मिलने के मौके बार-बार नहीं मिल पाते हैं। क्योंकि, यही वह जगह है, जहां से निकलकर हम आज अच्छे मुकाम पर पहुंच पाए है। सचिव डॉ संजय लोंढ़े ने बताया कि कार्यक्रम में सभी विभागों से संबंधित प्रदर्शनी लगाई गई। विभिन्न वैज्ञानिक, समसामयिक, बियोंड दी मेडिसिन विषयों पर डा महेश सोमानी, डॉ अपूर्व गर्ग, डॉ अरुण अग्रवाल, डॉ सौरभ मालवीय, डॉ अमरेश श्रीवास्तव, डॉ एके पंचोलिया, डॉ संजय शर्मा, डॉ प्रशांत मिश्रा, डॉ संदीप जुल्का ने व्याख्यान दिए। इसके बाद मेदांता ग्रुप आफ हास्पिटल के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहान और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के आतिथ्य में कॉलेज के पूर्व छात्र जो विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं, विभिन्न वैज्ञानिक संगठनों में अध्यक्ष रह चुके, सेना में विशिष्ट पदाधिकारियों का सम्मान किया गया।

डॉक्टरों ने जमाया रंग

शाम को पूर्व छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें 30 वर्ष से लेकर 75 वर्ष के डॉक्टरों ने संगीत, नृत्य आदि की रोमांचक प्रस्तुति दी। इस उम्र में डॉक्टरों के अंदर उत्साह और उमंग देखकर मौजूद डाक्टर एवं अन्य खुद को तालियां बजाने से नहीं रोक पाएं। वहीं डॉ. सुचित्रा हरमलकर के नृत्य समूह द्वारा भी विशेष प्रस्तुति दी गई।

यहीं से शुरू राजनीतिक जीवन

वर्ष 2002 बैच के छात्र विधायक एवं युवक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया ने बताया कि यह कॉलेज नहीं हमारा परिवार है। क्योंकि, आज मैं जिस भी मुकाम पर हूं, वह कॉलेज की ही देन है। राजनीतिक जीवन की शुरुआत भी यहीं से हुई है। कॉलेज में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का अध्यक्ष बना और फिर एसोसिएशन का प्रदेश अध्यक्ष भी बना। मेरी पत्नी भी मुझे यहीं मिली थी। जब भी यहां आते हैं, ऐसा लगता है कि हम हमारे परिवार के बीच में आए है। अभी राजनीति के साथ ही प्रैक्टिस भी जारी है, जब भी मौका मिलता है सर्जरी करते हैं।

आर्मी में सीखा मातृभूमि प्रेम  

1965 बैच के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एनके परमार ने बताया कि यह कालेज ने मुझे बहुत कुछ दिया है। यहां पढ़ाई के दौरान ही आर्मी मेडिकल कोर्स के लिए चयन हुआ था। 1969 में आर्मी में शामिल हो गया था। इसके बाद 1971 के युद्ध में सिख रेजिमेंट के साथ डॉक्टर बना और हम बाड़मेर क्षेत्र में थे। युद्ध के दौरान सीखा कि मातृभूमि के प्रेम का असल मतलब क्या होता है। एक जवान मेरे पास आया, उसके दिल में दो गोलियां लगी हुई थी। उसने कहा कि किसी भी तरह मुझे हिंदुस्तान पहुंचा दो मैं पाकिस्तान में नहीं मरना चाहता हूं। इसके बाद अधिकारियों से बात करके हेलीकॉप्टर से पहुंचाया। वहां पहुंचने के बाद उसने पायलट से पूछा हम हम भारत पहुंच गए, इस पर पायलट ने उसे हां कहा तो कहने लगा अब मैं शांति से मर सकता हूं। यह असल मातृभूमि का प्रेम होता है। इसके अलावा दोस्ती की आर्मी में ही असल होती है। एक जवान का ब्लास्ट में पांव में चोट लगी थी, एक को कम लगी थी वह रो रहा था। तभी जिसकी हालत गंभीर थी वह कहने लगा मुझे नहीं मेरे दोस्त को बचा लीजिए।

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भोपाल से साइकिल से आए 

एम्स भोपाल के डॉ यूनुस 200 किमी की यात्रा साइकिल से कर कार्यक्रम में शामिल होने आए है। उन्होंने बताया कि हम रोजाना साइकिल चलाते हैं, इसलिए हमारे लिए यह बड़ी बात नहीं है। साइकिल से यहां तक आने का उद्देश्य यह है कि लोग फिटनेस के प्रति जागरूक हो।

25 वर्ष से अमेरिका में 

वर्ष 1983 बैच के डॉ विपिन जैन ने बताया कि मैंने पोस्ट ग्रेजुएशन भी यहीं से किया है। अमेरिका में रहता हूं, लेकिन आज भी एमजीएम की यादे दिल में संभाले हुए है। हर वर्ष मैं यहां आता हूं। 25 वर्ष से अधिक समय से अमेरिका में रह रहा हूं। हम सभी मित्र अभी याद कर रहे थे कि इसी जगह बैठकर हम लोग खाना खाते थे।

कॉलेज ने काबिल बनाया

वर्ष 2006 बैच के डॉ राहुल माथुर ने बताया कि 12 वर्ष हमें हो गए है, लेकिन हम कभी खुद को कॉलेज से दूर नहीं कर पाए है। इस कालेज ने ही हमें काबिल बनाया है। एक बार हमने पढ़ाई के दौरान भगत सिंह पर आधारित नाटक किया था। वह हमें आज भी याद है।