श्रीराम की कृपा से मध्यम और गरीब वर्ग के मजदूरों की रही असली दिवाली,कल तक बेचा था भगवा अब बेचेंगे तिरंगा झंडा
दिनेश सोलंकी की विशेष रिपोर्ट
श्री राम ने ऐसी कृपा बरसी कि मध्यम और गरीब वर्ग के मजदूर परिवारों की जबरदस्त आमदनी हुई। किसी ने भगवा झंडा बेचा तो किसी ने दीप जलाए। कहीं बिजली की लड़ियां बिकी तो कहीं मंच, मंडप सजे। गरीब परिवारों की दीपावली अब 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को लेकर तिरंगा झंडा बेचने से भी मनेगी।
शायद ऐसा अजूबा सालों साल फिर देखने को ना मिले कि श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर पूरे देश में जिस तरह से खुशियां मनाई गई, उसने मध्यम और गरीब परिवारों की सचमुच दीपावली बनवा दी। हालांकि फायदा व्यापारी वर्ग को भी हुआ है, लेकिन मुख्य फायदा मध्य और गरीब परिवारों के मजदूरों को मिला है जिन्होंने इस मौके पर खूब आमदनी हुई।
ये गरीब पिछले 15 दिनों से कहीं भी खड़े होकर भगवा झंडा लहरा कर बेच रहे थे। 22 जनवरी के नजदीक आते-आते ढाई सौ रुपए से लेकर 400 रुपए तक का बड़ा झंडा और 100 से लेकर 150 रुपए तक के छोटे झंडे तक बिके हैं। यही हालत इलेक्ट्रॉनिक दुकानों की थी जहां के व्यवसाई, मजदूरों, कर्मचारियों ने कई घरों पर लाइटिंग की, विद्युत सज्जा से तो हर शहर नहाता हुआ दिखा था। ठीक उसी प्रकार 22 जनवरी को दीपावली के लिए दीए बनाने वाले कुम्हार भी खुश नजर आए, जिन्होंने बड़ी संख्या में दियों को उस दिन बेचा है। व्यापारी वर्ग को भी फायदा मिला है।
वस्त्र व्यवसाययों ने भी झंडा खूब बेचे हैं जबकि कई व्यापारियों ने आतिशबाजी की दुकान भी दीपावली की तरह सजाई थी। ऐसा नजारा श्री राम की कृपा से ही कहा जा सकता है जिनका जादू हर परिवार का चेहरा खिल गया था।
*अब तिरंगा लहराएगा*
गरीबों को दूसरी दीपावली तिरंगा झंडा बेचने से भी मनेगी, जो अब अगले तीन दिन तिरंगा लहरा कर मनेगी।
*हिंदू मुस्लिम के बीच सांप्रदायिक सौहाद्र*
सबसे बड़ी बात यह भी हुई है कि हिंदू मुस्लिम के बीच में भाईचारा बढ़ा है। जहां मुस्लिम समाज ने आमतौर पर मौन होकर स्वीकृति दी है तो कइयों ने आगे बढ़कर कार्यक्रमों के लिए चंदा और खुशी का इजहार भी किया है। जिस समय देश आशंकित था कि कहीं सांप्रदायिक सद्भावना न बिगड़ जाए, उसके ठीक विपरीत एक चमत्कार हुआ है कि हिंदू और मुसलमान में एकता का प्रादुर्भाव हुआ है। जहां मुस्लिम कट्टर पंथियों के दांत खट्टे हुए हैं वहीं हिंदू कट्टरपंथियों का दिल नरम पड़ा है। मुस्लिम वर्ग के लिए सोच में शायद सकारात्मक परिणाम आगे चलकर आ सकते हैं। इसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोटिश धन्यवाद दिया जा सकता है जिनकी इच्छा शक्ति से प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को दो शंकराचार्य के विरोध के बावजूद फलीभूत होने का अवसर प्रदान किया। देशवासियों ने दिल खोलकर इस अवसर को दीपावली के रूप में मानना भी स्वीकार किया।