Yes Sir: Hospitality of Nagas: चाय वाले के लिये अंगूर का आसव आया

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Yes Sir: Hospitality of Nagas: चाय वाले के लिये अंगूर का आसव आया

कलकत्ता के साल्ट लेक में देश भर के तीन दर्जन से भी ज़्यादा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी प्रशिक्षण पूर्ण कर अपने अपने राज्यों को लौटने वाले थे .उसके पहले हम सबको भारत भ्रमण पर जाना था .नवम्बर 2015 में एक रात्रि भोज में हम सब इकट्ठे थे तभी नागालैंड की तीन महिला अधिकारियों ने हम लोगों को नागालैंड चलने का आमंत्रण दिया .सुश्री ची शी सुश्री चुबालो और का तर्क था कि भारत भ्रमण में केरल या राजस्थान की बजाय नार्थ ईस्ट भारत को देखना चाहिये जहाँ आप लोग सामान्यतः नहीं जाते .बात में वजन था .आग्रह बहुत आत्मीय था .कुछ साथियों को सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर हिचक थी पर मेरे आग्रह पर अंततः सब तैयार हो गए .मुझे एक आकर्षण अंतर्राष्ट्रीय हॉर्नबिल म्यूजिक फेस्टिवल का भी था जो होने ही बाला था .

हमारे कोर्स डायरेक्टर और प्रशिक्षण संस्थान के मुखिया ने भी हम लोगों का आग्रह मान उत्तर पूर्वी राज्यों असम ,मेघालय ,नागालैंड भेजना क़बूल कर लिया .

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दीमापुर हवाई अड्डे पर उतरने से लेकर वापस कलकत्ता आने तक हम उत्तरपूर्व भारत के अनोखे आतिथ्य में आनंदित रहे .सशस्त्र सुरक्षा घेरों के बीच चेरापूंजी सहित उत्तरपूर्व की विविधवर्णी संस्कृति ने मोह लिया .कोहिमा के पास किसामा में हॉर्नबिल फेस्टिवल की संगीत डूबी रात में हमने इटली ,मेक्सिको ,फ़्रांस ,अफ़्रीकन ,अमेरिकन बैंडों को सुना .हस्त शिल्प का वैभव देखा ,सुस्वादु व्यंजनों का आनंद लिया .हमारी शानदार मेजबानों के घरों में दावतें उड़ाई .उनके परिजनों की आत्मीयता को अनुभव किया .उनके स्नेह की पराकाष्ठा ताजा अंगूर की घर में बनी उस वाईन की बोतल के रूप प्रगट हुई जो सुश्री ची शी और उनके पतिदेव ने अपने हाथों से बनाई थी .साथी मेरे मज़े ले रहे थे क्योंकि सबको पता था मैं दूध का शौक़ीन हूँ और चाय मेरी अधिकतम सीमा है .शिष्टाचार निभाते हुए मैंने मेज़बानों का शुक्रिया अदा किया .क्या अब आगे यह भी लिखना ज़रूरी है कि मेरे कृपालु दोस्तों ने कैसे नीलकंठ की तरह यह वारुणी अपने कंठ में धारण कर मेरे न पीने के व्रत की रक्षा की .

कोलकाता लौटते हुए हम सभी अभिभूत थे .नागालैंड कभी अपने हेड हंटर कबीलों के कारण भय का पर्याय था .अपने शत्रुओं का सिर काटकर घर में सजाने वाले नागा अब स्नेह और आत्मीयता शिक्षा और संस्कार में भी किसी से पीछे नहीं हैं यह हम जान सके तो इसका पूरा श्रेय महिला आईएएस अधिकारियों की उस त्रयी को है जो नागा संस्कृति को दिखाने प्रतिष्ठित करने हृदय से उत्सुक थीं।