New Delhi : 10वीं परीक्षा के अंग्रेजी प्रश्न पत्र में शनिवार को पूछे गए विवादित प्रश्न पर मचे भारी हंगामे के बाद सीबीएसई बोर्ड ने सोमवार को इसे वापस ले लिया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा कि कक्षा 10 के अंग्रेजी के पेपर में आया पैसेज नंबर 1 बोर्ड की गाइडलाइन के अनुरूप नहीं है। ऐसे में इसे प्रश्न पत्र से हटाया जाता है। इस पैसेज के पूरे मार्क्स सभी विद्यार्थियों को मिलेंगे।
CBSE ने नोटिस में कहा कि कक्षा 10वीं टर्म-1 परीक्षा के इंग्लिश लैंग्वेज एंड लिटरेचर क्वेश्चन पेपर (English Language and Literature Question Paper) के पैसेज का एक सेट बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुरूप नहीं है। इस पर मिले फीडबैक (Feedback) के आधार पर बोर्ड ने इस मामले को विषय विशेषज्ञों के पास समीक्षा के लिए भेजा था। उनकी सिफारिश के आधार पर पैसेज नंबर 1 और इससे संबंधित प्रश्न को प्रश्न पत्र से हटाने का फैसला (Decision to Remove the Related Question from the Question Paper) लिया गया है। इसके बदले में स्टूडेंट्स को फुल मार्क्स दिए जाएंगे।
शनिवार को हुई 10वीं की परीक्षा में प्रश्न पत्र में ‘महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’ (Women’s Emancipation Ended Parental Rights Over children) और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’ (Only by Accepting the Manner of Her Husband can a Mother Gain Respect from Her Younger Ones) जैसे वाक्यों का उपयोग किया गया जिस पर आपत्ति जताई गई। प्रश्नपत्र के विवादित अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इन्हें लेकर ट्विटर पर लोग CBSE पर निशाना साध रहे थे और यूजर्स हैशटैग #CBSE Insult Woman (सीबीएसई ने महिलाओं का अपमान किया) का समर्थन करने का आह्वान करते दिखाई दे रहे थे।
मुद्दा संसद में भी उठा
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में CBSE 10वीं की परीक्षा में आए विवादास्पद प्रश्न का मुद्दा उठाया। उन्होंने अंग्रेजी के प्रश्न पत्र में आए पैसेज को महिला विरोधी बताते हुए सीबीएसई बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय से इस प्रश्न को वापस लेकर माफीनामा जारी करने की मांग की थी। उन्होंने पैसेज का उल्लेख करते हुए अंग्रेजी में उसके दो वाक्यों को भी पढ़ा उसमें लिखा है ‘महिलाओं को स्वतंत्रता मिलना अनेक तरह की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का प्रमुख कारण है’ और ‘पत्नियां अपने पतियों की बात नहीं सुनती हैं जिसके कारण बच्चे और नौकर अनुशासनहीन होते हैं।’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि पूरे पैसेज में इसी तरह के निंदनीय विचार हैं और नीचे पूछे गए प्रश्न भी उतने ही संवेदनाहीन हैं। उन्होंने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह शिक्षा के मानकों और परीक्षण में खराब स्तर को दर्शाता है और सशक्त तथा प्रगतिशील समाज के खिलाफ है।
राहुल प्रियंका ने भी निशाना साधा
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि यह युवाओं की नैतिक शक्ति तथा भविष्य को कुचलने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की साजिश है। उन्होंने कहा था, ‘बच्चों, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करो। कड़ी मेहनत का फल मिलता है। कट्टरता से कुछ हासिल नहीं होता।’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा था, ‘अविश्वसनीय। क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार महिलाओं संबंधी इन रूढ़िवादी विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?’