चुनाव से पहले आदर्श ग्राम योजना पर सांसदों के योगदान का हिसाब किताब जरुरी
लोक सभा चुनाव से पहले संसद में पेश हुई आर्थिक समीक्षा और नए वित्तीय वर्ष के बजट से यह विश्वास तो होता है कि देश में प्रगति की गति उत्साहवर्धक है | प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक प्रगति के लिए गाँवों के जीवन में व्यापक बदलाव को विशेष महत्व दे रहे हैं | इस सन्दर्भ में सांसद आदर्श ग्राम योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा भी होनी चाहिए |सांसद आदर्श ग्राम योजना का लक्ष्य देश भर में विकसित मॉडल ग्राम पंचायतें बनाना है | यह ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक अनूठी योजना है जिसमें पहली बार ग्राम पंचायत स्तर पर विकास के लिए संसद सदस्यों के नेतृत्व, क्षमता, प्रतिबद्धता और ऊर्जा का सीधे लाभ उठाया जा रहा है | इस योजना की शुरुआत 11 अक्टूबर 2014 को की गई थी | इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने का लक्ष्य है | इसमें सांसद को अपने क्षेत्र के गांव को आदर्श गांव के रूप में विकसित करना है | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन से इस योजना को लागू किया था. और सभी सांसदों को इसकी गाइडलाइन जारी कर दी | पहले चरण में प्रत्येक सांसद को 2016 तक अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक गांव और 2019 तक दो और गांवों को विकसित करने का संकल्प लेने के लिए कहा गया था | इसमें मार्च 2019 तक कम से कम 3 गांवों को मॉडल गांवों के रूप में विकसित करने का लक्ष्य था | इसके बाद पांच ऐसे मॉडल गांवों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था | 2024 तक हर साल चयनित और विकसित किया जाना है , जिसमें गांवों की बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ खेती और पशुपालन, लघु उद्योग, रोजगार आदि पर ध्यान देना है |
सांसद आदर्श ग्राम योजना का लक्ष्य गांवों और वहां के लोगों में कुछ मूल्यों को स्थापित करना है ताकि गांव दूसरों के लिए मॉडल बन सकें. इन मूल्यों में गाँव के जीवन से संबंधित सभी पहलुओं में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करना शामिल है | विशेष रूप से शासन से संबंधित निर्णय लेने में, अंत्योदय का पालन करना – गाँव के “सबसे गरीब और सबसे कमजोर व्यक्ति” को अच्छी उपलब्धि हासिल करने में सक्षम बनाना, लिंग समानता की पुष्टि करना, महिलाओं के लिए सम्मान सुनिश्चित करना, सामाजिक न्याय की गारंटी देना, श्रम की गरिमा और सामुदायिक सेवा और स्वैच्छिकता की भावना पैदा करना इसके अलावा, स्वच्छता की संस्कृति को बढ़ावा देना, प्रकृति के अनुरूप रहना. विकास और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन सुनिश्चित करना, स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना और बढ़ावा देना, आपसी सहयोग, स्व-सहायता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, ग्राम समुदाय में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना. सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी लाना, स्थानीय स्वशासन का पोषण करना, भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों में निहित मूल्यों का पालन करना भी वांछित है |
योजना के तहत कुछ प्रदेशों , कुछ संसदीय क्षेत्रों और कुछ सांसदों की सफलताएं सचमुच सराहनीय हैं | एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के लिए 2014 से 2019 तक लक्ष्य से 70 प्रतिशत सफल रही | लेकिन दूसरे चरण में 2019 से 2023 तक करीब 40 प्रतिशत प्रगति हुई | गुजरात ,केरल , मध्य प्रदेश , मेघालय , असम , तेलंगाना जैसे राज्य में बहुत अच्छे काम हुए | सांसदों में कुछ सांसदों ने समर्पित ढंग से गांवों के जीवन में क्रांति सी ला दी |जैसे राज्य सभा के सांसद राकेश सिन्हा ने मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स में कौंगथोंग गाँव 15अगस्त 2019 को सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत गोद लिया । उसे वहाँ के लोगों की मदद से विकसित किया आज यह भारत के सर्वोत्तम पर्यटन गाँव के रूप में विकसित हुआ । गृह मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी , ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव , विपक्ष के नेता अधीरंजस्न चौधरी , राष्ट्रपति मूर्मू जा चुकी हैं । 2919 से पहले इस गाँव को लोग शिलांग में भी नहीं जानते थे | बाद में इसी तरह उन्होंने 15अगस्त 2023 को बेगूसराय के महाडलित गाँव सूजा को गोद लिया । कम समय में सरकार की योजना लागू करना कठिन देखकर सांसद राकेश सिन्हा ने जन सहयोग से गाँव को विकसित करना शुरू किया । 2023 से पहले वह निजी प्रतिष्ठानों का उद्घाटन करने नहीं जाते थे | पर सूजा को गोद लेने के बाद उन्होंने प्रशासन के साथ अन्य संस्थानों से सहयोग लेना शुरू किया । प्रत्येक उद्घाटन में सूजा के लिए सहायता माँगना शुरू किया । सहायता रुपये में नहीं वस्तु के रूप में । जिससे पारदर्शिता बनी रहे । किसी ने बालू तो किसी ने सीमेंट दिया । आज दो बड़े सामुदायिक भवन एक पुरुष एक महिला के लिए बन गए । एक मंदिर का निर्माण चल रहा है । 200स्ट्रीट लाइट लग गया ।100 लगना है । 20शौचालय पाँच स्नानागार लगभग तैयार हो गया । स्कूल में भी भवन निर्माण की प्रक्रिया चल रही है । 21- बच्चों को एक स्कूल हॉस्टल में रखकर मुफ़्त शिक्षा देने की घोषणा की है ।
दिलचस्प बात यह है कि उसी क्षेत्र में पहले अन्य सांसद भोला सिंह ने दिनकर के गाँवँ सिमरिया को गोद लिया था ,लोग कोसते हैं कुछ नहीं किया ।इसी बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ग्रामीण विकास मंत्री हैं और सांसद आदर्श ग्राम योजना इसी मंत्रालय की है । पर वे स्वयं कोई गाँव विकसित नहीं कर पाये है |सरकार ने सांसद आदर्श ग्राम योजन के अनर्गल हुए कार्य के मूल्यांकन हेतु सांसदों की एक कमिटी बनायी जिसके अध्यक्ष ग्रामीण विकास मंत्री हैं । पर अब तक इसकी एक भी बैठक नहीं हो पायी है ।
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के शुरू होने के सात वर्ष बाद तक एक चौथाई से अधिक परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हुआ । सांसद आदर्श ग्राम योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 9 अक्टूबर 2021 तक योजना के तहत 2314 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है। ग्राम विकास की योजनाबद्ध 82,918 परियोजनाओं में से 53,352 परियोजनाएं एवं गतिविधियां पूरी हुई हैं जबकि 6,416 ग्राम विकास परियोजनाओं पर काम चल रहा है। योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, इस योजना के तहत तमिलनाडु (94.3 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (89.8प्रतिशत), गुजरात (84.2प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (79.67प्रतिशत), कर्नाटक (76.68प्रतिशत), उत्तराखंड (76.66प्रतिशत), केरल (69.78प्रतिशत), मध्यप्रदेश (68.4प्रतिशत), मणिपुर (67.57प्रतिशत), मिजोरम (66.32प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (65.25प्रतिशत), हरियाणा (61.16प्रतिशत) में आदर्श ग्राम योजना के कार्यों का क्रियान्वयन अच्छा पाया गया है। इन राज्यों में ग्राम विकास की परियोजनों का 60 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो गया है।
इस योजना के तहत राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, असम में 60 प्रतिशत से कम कार्य पूरा हुआ है। योजना के तहत राजस्थान में 55.06 प्रतिशत, झारखंड में 52.63 प्रतिशत, तेलंगाना में 50.38 प्रतिशत, आंध्रप्रदेश में 45.46 प्रतिशत, ओडिशा में 43.7 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 42.11 प्रतिशत, बिहार में 38.68 प्रतिशत, पंजाब में 36.97 प्रतिशत ग्राम विकास का कार्य पूरा हुआ है। निश्चित रूप से अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम इस तरह की स्थिति के साथ सांसदों की भूमिका – योगदान अथवा निष्क्रियता की समीक्षा करेंगें | अन्य राजनीतिक दलों को भी अपने सांसदों के कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए |