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‘राम’ के ‘लाल’ को भारत रत्न…
होइहि वही जो राम रची राखा…सच ही है। राजनीति में ‘राम’ की मुहिम को हर सनातनी के रोम-रोम में बसाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह भगवा को मन में बसाए ‘लाल कृष्ण आडवाणी’ को ही जाता है। भाजपा को दो सांसद से बढ़ाकर पहली बार केंद्र में सरकार बनाने तक का सफर तय करने में राम और उनके लाल की महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार करने की हिम्मत किसी में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अगर तीसरी बार भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं तो पार्श्व में वृद्धावस्था में राजनीति से वनवासी एकांतवासी आडवाणी का हिंदुत्व और फैसले लेकर उन पर दृढ़ रहकर आगे बढ़ने का हुनर नजर आता है। 2014 के बाद अगर आडवाणी को मजबूरी में राजनैतिक परिदृश्य से ओझल होना पड़ा तो उसकी शिकायत उन्होंने कभी नहीं की, पर उनके चेहरे के भाव सब जताते रहे और जन-जन को बताते रहे। पर राम मंदिर का बनना भारत के इतिहास का स्वर्णिम पल है। और इस स्वर्णिम पल को साकार करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योगदान भी अतुलनीय है, पर ‘राम’ के इस अक्स में ‘लाल’ भी नजर आता है। और वैसे तो केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद अटल के साथ भी आडवाणी को भारत रत्न मिलता, तब भी हर कार्यकर्ता की खुशी दोगुनी हो जाती। पर लाल कृष्ण आडवाणी को यह सम्मान मिलने की शायद ही किसी को उम्मीद बची हो, राजनीति के हालात कुछ यूं ही नजर आने लगे थे। पर जिस तरह प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद ‘राम’ का स्वरूप बदला, ठीक उसी तरह उन्होंने अपने ‘लाल’ की चिंता भी की। और यह अब प्रमाणित हो गया है कि ‘राम’ की इच्छा से ही मोदी का ह्रदय परिवर्तन हुआ और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान की घोषणा के बाद वयोवृद्ध राजनेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलने की खबर ने हर सनातनी के दिल को खुशियों से भर दिया। बेहतर तो तब भी होता, जब राम की प्राण प्रतिष्ठा में लालकृष्ण आडवाणी भी नजर आते। खैर ऐसा होता तो ‘राम’ के बाद सभी नजरें ‘लाल’ को ही निहार रहीं होतीं। और वहीं पर भारत के रतन लाल कृष्ण ही नजर आते। शायद इसीलिए राम ने सोचा होगा कि नरेंद्र मोदी को ही आज दिखने दो, क्योंकि राम मंदिर निर्माण और उनके बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा में उनकी भूमिका को भी नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता है। ऐसे में ‘राम’ ने 22 जनवरी की तारीख ‘मोदी’ के नाम कर दी, तो 3 फरवरी की तारीख ‘लाल कृष्ण आडवाणी’ के नाम कर उन्हें ‘भारत रत्न’ बना दिया।
लाल कृष्ण आडवाणी भले ही भारत के प्रधानमंत्री न बन पाए हों, लेकिन भारत की राजनीति के एक युग को ‘अटल-आडवाणी’ युग के रूप में परिभाषित किया जाता रहेगा। उदार और कट्टरता का यह जोड़ बेजोड़ रहा है। दोस्ती के एक युग के रूप में भी इसकी मिसाल दी जाएगी। हालांकि महत्वाकांक्षा भी अपनी जगह मायने रखती है। पर जोड़ और घटाओ के बाद भी आडवाणी का योगदान भारत और भाजपा-जनसंघ की राजनीति में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज रहेगा। और इसकी झलक 3 फरवरी को उन्हें भारत रत्न मिलने के बाद वर्तमान राजनेताओं की प्रतिक्रियाओं में भी नजर आती रही।
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सबसे पहले मोदी के भाव पढ़ लें। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने के ऐलान के बाद उनके चाहने वालों में खुशी की लहर फैल गई, वहीं पीएम मोदी ने खुद के लिए इसे भावुक पल बताया। वहीं आडवाणी के परिवार ने भी इस पर खुशी जाहिर करते हुए मीडिया का अभिवादन किया। लाल कृष्ण आडवाणी अपनी बेटी प्रतिभा आडवाणी के साथ सर्वोच्च नागरिक सम्मान के ऐलान के बाद हाथ जोड़कर मीडिया का अभिवावदन करते नजर आए। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा पर उनकी बेटी प्रतिभा आडवाणी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज वह अपनी मां को बहुत याद कर रही हैं। उनका लालकृष्ण आडवाणी के जीवन में बहुत बड़ा योगदान रहा है। बेटी प्रतिभा ने कहा कि जब उन्होंने पिता (दादा) को भारत रत्न दिए जाने के ऐलान के बारे में बताया तो वह बहुत खुश थे। उन्होंने यही कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा में लगाया और वह देश के शुक्रगुजार हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में शामिल आडवाणी का भारत के विकास में महान योगदान है। उन्होंने अपने जीवन में जमीनी स्तर पर काम करने से शुरुआत कर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आडवाणी को यह सम्मान दिया जाएगा।
खुशी तो पूरे देश को हो रही है कि राम मंदिर बन गया है और खुशी सबको यह भी है कि राम मंदिर बनने के साथ इसके निर्माण की अलख जगाने वाले ‘राम के लाल’ को उनके जीते जी ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया है। वरिष्ठ नेता को भारत रत्न मिलने की घोषणा से पार्टी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों में हर्ष व्याप्त हो गया। इस घोषणा का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आडवाणी जी को भारत रत्न दिए जाने पर कहा कि यह हमारे लिए आनंद और हर्ष का विषय है। सामाजिक जीवन में साफ सुथरा जीवन जीने वालों को इससे प्रेरणा मिलेगी। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि आडवाणी जी ने पत्रकार के तौर पर लंबी यात्रा निभाई। राजनीति में प्रतिपक्ष में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है। आपातकाल में भी उन्होंने सेनानी की भूमिका को निभाया। मुझे भी इस बात को लेकर प्रसन्नता है कि भगवान राम को लेकर उन्होंने जनभावनाओं का नेतृत्व किया। उन्हीं के कारण पूरा देश भगवान राम के साथ खड़ा हुआ था। प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि आडवाणी जी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता गदगद है। यह ऐतिहासिक दिन है। आडवाणी जी ने पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। देश के विकास में श्री आडवाणी जी की भूमिका अहम रही है। तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी जी एक व्यक्ति नहीं, एक संस्था है। उन्होंने अपने जीवन का हर क्षण भारत माता के चरणों में समर्पित कर दिया। देश को विकास की राह पर इस स्थान तक पहुंचाने में उनका अतुलनीय योगदान है। देशवासी आज प्रसन्न और गदगद हैं। तो इसमें कोई संशय नहीं है कि आडवाणी जी वास्तव में ‘राम’ के ‘लाल’ और भारत रत्न हैं…।
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कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।
इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।