जैनाचार्य बंधु बेलड़ी पूज्य श्री जिनचन्द्रसागर जी म.सा. का कालधर्म!

अयोध्यापुरम तीर्थ स्थल पर अंतिम दर्शन व अंत्येष्टि में देशभर से अनुयायी पहुंचे!

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जैनाचार्य बंधु बेलड़ी पूज्य श्री जिनचन्द्रसागर जी म.सा. का कालधर्म!

Ratlam : जैनाचार्य बंधु बेलड़ी पूज्य श्री जिनचन्द्रसागर जी म.सा. का गुजरात के अयोध्यापुरम तीर्थ भावनगर में कालधर्म हो गया। जैन शासन को समर्पित 72 वर्ष के सुदीर्ध जीवन में उनका 61 वर्ष का तप आराधना पूर्ण संयम पर्याय रहा। अयोध्यापुरम तीर्थ में उनकी अंतिम दर्शन और महाप्रयाण यात्रा में शामिल होने के लिए देशभर से पहुंचे अनुयायियों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की।

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*6 माह में सागर समुदाय को चौथी बड़ी क्षति!* 

आचार्यश्री के कालधर्म की खबर से सम्पूर्ण जैन समाज में शोक की लहर हैं। विभिन्न जैन समुदाय गच्छाधिपति, शीर्षस्थ साधु-संत के साथ समाज की ख्यातनाम हस्तियों ने अपनी शोक संवेदनाए व्यक्त करते हुए उनके कालधर्म को समग्र जिनशासन के लिए अपूरणीय क्षति बताया हैं। विगत छह माह में सागर समुदाय को यह चौथी बड़ी क्षति पहुंची हैं, जिससे सम्पूर्ण सागर समुदाय स्तब्ध है। पिछले दिनों समुदाय के शतायु गच्छाधिपति आचार्य श्री दौलतसागरसूरीश्वर जी म.सा.सहित अन्य 2 वरिष्ठ आचार्यश्री के कालधर्म से समुदाय अभी उभरा ही नहीं था कि फिर एक बड़ा आघात सहना पड़ा हैं।

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शाम तक उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा। उनकी पार्थिव देह को सीता बेन कांतीलाल शाह अनावल वाला परिवार एवं आचार्यश्री के संसारी परिजनों ने मुखाग्नि दी ।

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*देशभर से अनुयायी अंतिम दर्शन को पहुंचे!* 

इस मौके पर रतलाम, इंदौर, मंदसौर, नीमच, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, मुंबई, अहमदाबाद, सुरत, वड़ोदरा, भावनगर, राजकोट, चेन्नई सहित देश के अन्य स्थानों से अनुयायी बड़ी संख्या में पहुंचे थे। यहां उपस्थित पूज्य श्री के लघु बंधु बंधु बेलड़ी आचार्य श्री हेमचंद्रसागरसूरीश्वर जी म.सा.ने पूज्य श्री के तपस्वी जीवन को अनुकरणीय बताया। आचार्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागरसूरीश्वर जी म.सा. आचार्य श्री विरागचन्द्रसागरसूरीश्वर जी म.सा., गणिश्री पदमचन्द्रसागरजी म.सा.आदि ने अपने श्रध्दा सुमन अर्पित किए।

 

*जून में अनुयाई रतलाम आगमन की प्रतीक्षा में थे!* 

रतलाम से श्रीसंघ के साथ पहुंचे ट्रस्टी इन्दरमल जैन ने बताया की यहां रतलाम श्रीसंघ की और से उन्हें भावभीनी आदरांजलि अर्पित की गई। आचार्य श्री ने रतलाम सहित सम्पूर्ण मालवा में विगत 60 वर्षों में कई स्थानों पर चातुर्मास किए।

 

*रतलाम में अंतिम चातुर्मास 2018 में हुआ था!* 

उनका रतलाम में ऐतिहासिक अंतिम चातुर्मास वर्ष 2018 में करमचंद उपाश्रय हनुमानरूंडी और जयंतसेन धाम में उनकी निश्रा में उपधान तप सम्पन्न हुआ था। मई वर्ष 2022 में वे अंतिम बार रतलाम में दीक्षा प्रसंग के अवसर पर पधारे थे। यहां से वे जून में सैलाना में दीक्षा के बाद बाजना-कुशलगढ़ होते हुए सुरत प्रस्थित हुए थे । हाल ही में 1 मार्च को उन्होंने रतलाम में युवा मुमुक्षु संयम पालरेचा को रतलाम में 12 जून को दीक्षा का मुहूर्त अयोध्यापुरम में प्रदान किया था। आचार्य श्री के रतलाम आगमन की श्रीसंघ तैयारियों में जुटा था और इसी बीच वे कालधर्म को प्राप्त हो गए।