Aishwarya Rai : पनामा पेपर्स मामले पर ऐश्वर्या से ED ने 5 घंटे पूछताछ की
New Delhi : अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन (Aishwarya Rai Bachchan) 2016 के ‘पनामा पेपर्स लीक’ (Panama Papers Leak) से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के सामने पेश हुईं। ED ने अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की पुत्रवधू से विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के प्रावधानों के तहत करीब 5 घंटे से ज्यादा वक्त तक पूछताछ की। ऐश्वर्या जब इंडिया गेट के पास ED कार्यालय में पेश हुईं, तो उन्होंने एजेंसी को कुछ दस्तावेज भी सौंपे। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ कि ऐश्वर्या को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है या नहीं!
ED ने उनका बयान दर्ज किया, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने अपना पैसा ब्रिटिश वर्जिन द्वीप ग्रुप (British Virgin Islands) स्थित एक कंपनी में रखा। इस मामले में ऐश्वर्या राय को पहले भी तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने दो बार समय मांगा था। इस मामले में ED ने 2017 में आरोपों की जांच शुरू की थी। इस दौरान बच्चन परिवार को नोटिस जारी कर भारतीय रिजर्व बैंक की Liberalized Remittance Scheme (SRL) के तहत 2004 से विदेशी प्रेषण (Foreign Remittance) पर विवरण मांगा था। इसके बाद ऐश्वर्या राय ने पिछले 15 साल में प्राप्त विदेशी भुगतान रिकॉर्ड जमा किए थे।
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2004 में ब्रिटिश वर्जिन द्वीप ग्रुप में स्थापित एक अपतटीय कंपनी एमिक पार्टनर्स (Offshore Company Amick Partners) का निदेशक बनाया था। पनामा स्थित कानूनी फर्म मोसैक फोन्सेका (Mossack Fonseca) ने कंपनी को रजिस्टर्ड किया, जिसकी कुल पूंजी 50 हज़ार डॉलर थी। लेकिन, 2009 में एक्ट्रेस ने कथित तौर पर कंपनी छोड़ दी इस बार इस कंपनी का दुबई स्थित बीकेआर एडोनिस द्वारा अधिग्रहित किया गया था।
क्या है ‘पनामा पेपर्स’ मामला
पनामा पेपर्स (Panama Papers) मामला मोसैक फोन्सेका से चुराए गए और 2016 में मीडिया में लीक हुए लाखों दस्तावेजों की एक विस्तृत जांच है। इस मामले में आरोप है कि दुनिया के अमीर और शक्तिशाली लोगों ने टैक्स से बचने के लिए अपतटीय एकाउंट्स या शेल कंपनियों (Offshore Accounts or Shell Companies) की स्थापना की। दुनियाभर में 500 के करीब राजनेताओं, उद्योगपतियों और मशहूर हस्तियों के लीक हुए वित्तीय रिकॉर्ड की समीक्षा और प्रकाशन इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (Consortium of Investigative Journalists) द्वारा किया गया। इसमें 300 से अधिक भारतीयों को ‘पनामा पेपर्स’ का हिस्सा बताया गया था।