Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ में 71 दिन में 3 लोग मरे, 9 लोग घायल और 9 बाघों की हुई मौत
भोपाल। बांवधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पिछले 70 दिन में बाघों के हमले से जहां 3 व्यक्तियों की मौत हो चुकी हैं। बाघों , भालूओं और हाथियों के हमले से 9 लोग घायल हो चुके हैं। वहीं बांधवगढ़ में 9 शावकों की मौत हो चुकी है। अधिकांश शावकों की जहां एक-दूसरे की टेरेटरी में दखलंदाजी के चलते हुई है, तो वहीं कुछ शावकों की मौत शिकार के चलते भी हुई है। क्योंकि कुछ शावकों के अवशेष तक गायब मिले है। बांधवगढ़ में शावकों की हो रही मौत को गंभीरता से लेते हुए वन्य प्राणी शाखा के तत्कालीन एसीसीएफ शुभरंजन सेन ने वर्ष 2021,22 और 23 में बाघों की हुई मौत और शिकार को लेकर 13 मार्च को 3 सदस्यों की अगुवाई में एक जांच कमेटी बनाई थी। जिसमें रितेश सारोठिया ,स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स के प्रभारी, डॉक्टर काजल यादव , सहायक प्राध्यापक स्कूल आॅफ वाइल्ड लाइफ जबलपुर,और अधिवक्ता मंजुला श्रीवास्तव को जांच कमेटी का मेंबर बनाया गया है।
13 अप्रैल तक रिपोट पेश करने को कहा था। विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि बाघों की हुई मौत और शिकार को लेकर रिपोर्ट अपने अंतिम दौर में है। रिपोर्ट आने के बाद बाघो के संरक्षण को लेकर विभाग कोई ठोस कदम उठा सकता है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जंगल से सटे ग्रामीण बस्तियों में टाइगर रिजर्व प्रबंधन की टीम से जुड़े लोग ग्रामीणों को बार- बार समझाते हैं कि जंगल में अकेल नहीं जाए। लेकिन कई बार ग्रामीण चेतावनी को अनसुना करके अपने पशुओं के साथ जंगल के बहुत अंदर तक चले जाते है कि ऐसे में कई बार ग्रामीण जंगली जानवरों के शिकार बन जाते हैं। बांधवगढ़ में मौजूदा समय में 176 टाइगर है। वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञों ने विभाग के आला अधिकारियों को कई बार टाइगर को दूसरे अभ्यारण्य में शिफ्ट करने और नए कॉरिडोर बनाने का सुझाव दिया। विभाग के अधिकारियों ने इन सुझावों पर अभी तक कोई जमीनी प्रयास नहीं किया।
गर्मियों में बाघ इंसानों को बना सकते हैं शिकार-
गर्मी के मौसम में पानी की तलाश में बाघ कई बार जंगल के बाहर आ जाते हैं। बाघ का मानव बस्ती में बढ़ते मूवमेंट के चलते एक बार इंसान बाघ के फिर शिकार हो सकते हैं। हालांकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि पानी की कमी को लेकर जगह- जगह गड्डे खोदवाकर उसमें लगातार टैंकरों द्वारा पानी भरा जा रहा है जिससे बाघ जंगल के बाहर नहीं निक ले। हालांकि विभाग कोई पहली बार इस तरह का दावा नहीं कर रहा है। इससे पहले भी विभाग के अधिकारी इसी तरह का दावा करते थे। लेकिन इसके बावजूद भी टाइगर, इंसानों को अपना शिकार बनाने में कभी पीछे नहीं हटे। बांधवगढ़ में हाथियों के लिए विभाग एक नया प्रोजेक्ट बनाने की तैयारी कर रहा है। जिससे हाथियों से होने वाले हमलों को समय से पहले रोका जा सके ।