Child Fell Into Borewell Found Dead : बोरवेल में फंसे मयंक को बचाया नहीं जा सका, बचाव अभियान असफल!
Rewa : शुक्रवार को बोरवेल में गिरे 6 साल के बच्चे मयंक को बचाया नहीं जा सका। रातभर चले बचाव अभियान के बाद बच्चे का शव मिला। जबकि, दो जगह समानांतर खुदाई की गई पर सफलता नहीं मिली। बच्चा शुक्रवार दोपहर करीब साढ़े 3 बजे से 4 बजे के बीच खुले बोरवेल में गिर गया था। इसके बाद से ही मौके पर लगातार बचाव अभियान चलाया गया। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी प्रशासन को बच्चे को निकालने के लिए हर संभव प्रयास करने के निर्देश दिए थे। जबकि, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने खुले बोरवेल पर कोई कार्रवाई न करने पर सरकार को घेरा।
यह घटना रीवा जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर जनेह थाना क्षेत्र के मनिका गांव का है। बच्चे का मयंक (6) पिता विजय आदिवासी है। वह खेत में बच्चों के साथ खेल रहा था। इसी दौरान खेत में ही खुले पड़े बोरवेल में गिर गया। बोरवेल की गहराई 160 फीट गहरी बताई जा रही है।
एनडीआरएफ की टीम सुरंग बनाकर बच्चे तक पहुंचने की कोशिश में जुटी रही। सख्त मिट्टी आने से मशीनों की जगह मैनुअली खुदाई की गई। इससे पहले बोरवेल के पैरेलल 8 जेसीबी मशीनों ने खुदाई की गई। 60 फीट से अधिक खुदाई के बाद पानी भी निकल आया। जिससे दिक्कत आई।
बच्चे का कोई मूवमेंट नहीं दिखाई देने से उसके बचने की संभावनाएं कम ही थी। बताया गया कि उसके ऊपर मिट्टी आने से वह और गहराई में चला गया। बच्चा 70 फीट गहराई पर फंसा था। लेकिन, बच्चे का शव ज्यादा गहराई में मिला। मौके पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही बड़ी संख्या में आसपास के लोग मौजूद रहे।
फिर एक बच्चा बोरवेल में गिरा … फिर सरकारी बयान आया कि सभी खुले बोरवेल बंद करने के निर्देश दिए जाएंगे !!!
रीवा जिले में 6 साल का आदिवासी बच्चा मयंक शुक्रवार से बोरवेल में फंसा है, जिसे निकाला नहीं जा सका।#MP में पिछले 5 साल में 9 बच्चे इन खुले बोरवेल में गिरकर काल का ग्रास बन… https://t.co/RZenjYQvXN
— Umang Singhar (@UmangSinghar) April 13, 2024
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को घेरा
खुले बोरवेल पर कोई कार्रवाई न होने पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार को घेरा था। सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट करके उन्होंने लिखा था कि रीवा जिले में 6 साल का आदिवासी बच्चा मयंक शुक्रवार से बोरवेल में फंसा है, जिसे निकाला नहीं जा सका। एमपी में पिछले 5 साल में 9 बच्चे इन खुले बोरवेल में गिरकर काल का ग्रास बन चुके हैं। … लेकिन अभी तक सरकार कोई ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकी, जिससे खुले बोरवेलों का डाटा जुटाया जा सके। जबकि, पीएचई विभाग की कागजी कार्रवाई लंबे समय से जारी है। शिवराज चौहान जी भी बोरवेल को कोसते हुए विदा हो गए, अब वही डॉ मोहन यादव कर रहे हैं। अव्यवस्था से भरी एमपी सरकार और कितने बच्चों की बली लेगी?