Death of Fraudster Dhaniram : भारत के चार्ल्स शोभराज कहे जाने वाले धनीराम की मौत, उस पर 150 केस दर्ज!

2017

Death of Fraudster Dhaniram : भारत के चार्ल्स शोभराज कहे जाने वाले धनीराम की मौत, उस पर 150 केस दर्ज!

अदालत में धोखाधड़ी करके 40 दिन जज की कुर्सी संभाली, 2470 अपराधियों को जमानत दी!

New Delhi : कभी चार्ल्स शोभराज तो कभी ‘सुपर नटवरलाल’ कहे जाने वाले धनीराम मित्तल का गुरुवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया। परिवार ने निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया। धनीराम अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन, उनके ‘अहिंसक’ कारनामों की लंबी फेहरिस्त और किस्से सिर्फ दिल्ली ही नहीं यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अनेकों राज्यों की ‘पुलिस फाइलों’ में उन्हें जिंदा रखेंगे।

छह दिन बाद इसी 26 अप्रैल को रोहिणी कोर्ट में धनीराम मित्तल की पेशी थी। 2010 के रानी बाग थाने के एक पुराने केस में गैरहाजिर रहने पर उनका गैर जमानती वारंट निकला हुआ है। धनीराम एक पुराने केस में कुछ दिन पहले ही चंडीगढ़ की जेल में 2 महीने की कैद काटकर आए थे। ग्राफोलॉजी (नकली लिखावट और हस्ताक्षर) के मास्टर धनीराम मित्तल पर 150 से अधिक जालसाजी के केस दर्ज हैं। कानूनी दांव पेच के लिए धनीराम ने एलएलबी भी की। वे अपने अधिकतर केस की पैरवी वो खुद ही करते थे।

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दिल्ली में धनीराम मित्तल के कारनामों पर सबसे ज्यादा एसीपी राजपाल डबास ने एक्शन लिया। वह धनीराम की एक-एक खुराफात से वाकिफ थे। पीसीआर में तैनात एसीपी राजपाल ने अधिकतर कार चोरी और अन्य केसों में धनीराम को गिरफ्तार किया था। उम्रदराज हो चुके धनीराम कुछ समय पहले नरेला, फिर हाल ही में बुराड़ी इलाके में रह रहे थे।

धनीराम के कारनामों पर फिल्म बनेगी

धनीराम 1939 में भिवानी में पैदा हुए थे। रोहतक कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद रेलवे में नकली दस्तावेज बनाकर नौकरी पा ली थी। कहा जाता है कि 1968-74 तक बतौर स्टेशन मास्टर काम भी किया। 1964 में वह रोहतक में आरटीओ दफ्तर में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे। उनके किस्सों की वजह से अक्टूबर 2022 में बॉलीवुड के एक बड़े डायरेक्टर ने धनीराम की बायोग्राफी पर उनके साथ फिल्म साइन की। बहुत जल्द ही धनीराम पर बनी फिल्म रिलीज होगी। धनीराम साफगोई से कहते थे कि मैं अहिंसक अपराधी हूं, किसी को शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचाया, लोग खुद धोखा खाते हैं।

नकली जज बनकर भी कारनामा किया

70 के दशक में धनीराम मित्तल ने एक दिन एक अखबार में खबर पढ़ी। लिखा था कि झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश। खबर पढ़कर धनीराम झज्जर कोर्ट परिसर पहुंचे, वहां जानकारी टटोली। फिर एक लेटर टाइप कर सीलबंद लिफाफे में रखा। जिस जज के खिलाफ विभागीय जांच थी, उनके नाम पर पोस्ट किया। बकायदा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की मुहर और हस्ताक्षर भी कर दिए। लेटर में विभागीय जांच पूरी होने तक जज को दो महीने की छुट्टी का हुक्म था। असली चिठ्ठी मानकर जज चले गए।

उसके अगले दिन एक और हरियाणा हाईकोर्ट के नाम से लिफाफा पहुंचता है जिसमें लिखा था कि चूंकि उन एडिशनल जज के खिलाफ जांच चल रही है, ऐसे में कोर्ट का काम न रुके, इसलिए इतने दिनों तक नए जज चार्ज संभालेंगे। जिस डेट का ऑर्डर था, उसी दिन सुबह धनीराम एक अलग से हरियाणा हाईकोर्ट का लेटर लेकर जज की वेशभूषा में पहुंचते हैं। कोर्ट स्टाफ ने उनको चैंबर दिखाया।

उसके बाद मुल्जिमों को पेश किए जाने का हर रोज सिलसिला शुरू होने लगा। हां, संगीन केस में जमानत नहीं दी। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, धनीराम के जज बनने की मिसाल इस देश को तो छोड़िए दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी। 40 दिनों में हजारों फैसले सुनाए, 2470 अपराधियों को जमानत दे डाली। बाद में पोल खुलते ही धनीराम फरार। वही जालसाज धनीराम मौत को दगा सके और दुनिया से विदा हो गए।