गिरता रुपया अकड़ता नेतृत्व

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Falling Rupee Studs Leadership

दुनिया का चलन है कि जब आदमी गिरता है तो हर दिशा में गिरने की होड़ लग जाती है ऐसे में रुपया क्या चीज है? । रुपया को आदमी बनाता है बाद में रुपया आदमी को बनाने लगता है।ये अजब खेल है ।आम आदमी इस खेल को समझ ही नहीं पाता।समझ ही नहीं पाया।

पहले जब रुपया गिरता था तब आज की सरकार चलाने वाले कहते थे कि देश का प्रधानमंत्री गिरा हुआ आदमी है। लेकिन कांग्रेस में ऐसा कहने का साहस नहीं।

आज का सच है कि हमारे देश के कर्णधार अकड़ से भरे हैं।अपना कद लगातार बढ़ाते जा रहे हैं, लेकिन हमारा रुपया लगातार नीचे गिर रहा है। इसके बावजूद मै अपने प्रधानमंत्री से इस गिरावट को नहीं जोड़ता। दोषारोपण गिरे हुए लोगों का काम है।वे अपना काम करते हैं,मै अपना काम करता हूं।

आजकल गिरावट के मामले में आदमी और रुपए के बीच होड़ है। तर्क दिया जा रहा है कि गोल्डमैन, नोमुरा होल्डिंग. जैसी प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियों ने भारत के आउटलुक के लिए अपनी रेटिंग घटाई थी, जिसके बाद विदेशी निवेशकों ने बाजार से बड़ी मात्रा में पैसा निकाला. एजेंसियों ने बाजार में बढ़ते मूल्यांकन का हवाला दिया था. वहीं रिपोर्ट में केंद्रीय रिजर्व बैंक की नीति का फेडरल रिजर्व बैंक की नीति से अलग होने के चलते भी रुपये में गिरावट आ गई।

क्वांटम आर्ट सोल्यूशन के विशेषज्ञ कहते हैं कि रुपया इस वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही यानी मार्च, 2022 के अंत तक गिरकर 78 डॉलर प्रति रुपये की कीमत पर आ सकता है. इसके पहले इसका निचला स्तर अप्रैल, 2020 में 76.9088 पर था. ब्लूमबर्ग ने अपने एक ट्रेडर्स और एनालिस्ट्स सर्वे में यह अनुमान जताया था कि रुपये की कीमत 76.50 डॉलर रह सकती है. ऐसी आशंका है कि रुपया इस साल 4 फीसदी नीचे गिर सकता है. यह इसका गिरावट में लगातार चौथा साल होगा. भारत का ट्रेड डेफिसिट भी बढ़ गया है

रुपए के गिरने से हम और आप कहां और कैसे प्रभावित होते हैं ये कोई नेता नहीं समझा सकता। बेचारा खुद नहीं समझता तो आपको क्या खाक समझाएगा। लेकिन ये धृष्टता मै कर रहा हूं। अगर डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट आती है तो महंगाई को मजबूती मिलती है. सामान की कीमत जब बढ़ जाती है तो लोगों के खरीदने की क्षमता घट जाती है. इसके अलावा रुपए में कमजोरी होने से इंपोर्ट बिल बढ़ जाता है

आज रुपए में आई 30 पैसे की भारी गिरावट, जानिए आम आदमी पर क्या होगा इसका असर।
आज डॉलर के मुकाबले रुपया 75.42 के स्तर पर बंद हुआ. यह आठ सप्ताह का न्यूनतम स्तर है. कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट के कारण ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता का माहौल गरमा रहा है।

हमारे अर्थशास्त्री स्वर्गीय लाल साहब बताते थे कि अगर डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट आती है तो महंगाई को मजबूती मिलती है. अगर महंगाई बढ़ेगी तो लोगों के लिए जीवन जीना मुहाल हो जाता है. सामान की कीमत जब बढ़ जाती है तो लोगों के खरीदने की क्षमता घट जाती है. इसके अलावा रुपए में कमजोरी होने से इंपोर्ट बिल बढ़ जाता है. इंपोर्ट बिल बढ़ने के कारण देश का राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है.

रुपया गिरता है तो जो लोग विदेश में पढ़ाई करते हैं, उनका खर्च बढ़ जाता है. इसके अलावा विदेशी यात्रा भी महंगी हो जाती है. इसके अलावा रुपए में कमजोरी के कारण विदेशी निवेशक गवर्नमेंट डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश घटा देते हैं. इस तरह कुल विदेशी निवेश में गिरावट दर्ज की जाती है.
अब रुपए के गिरने के लिए आप किसे बधाई देंगे या ताली बजाकर अभिनंदन करेंगे ये आप जानें, क्योंकि मर्जी है आपकी और नेता जी है आपके।