मतदान प्रतिशत में कमी लोकतंत्र महापर्व की मायूसी…
लोकतंत्र के महापर्व आम चुनाव 2024 में मध्यप्रदेश में पहले दो चरणों में मतदान प्रतिशत में कमी देखी गई है। वजहें हैं भी और ढूंढ़ी भी जा रही हैं। खुद मतदाता कहते हैं कि शादियों के मौसम ने लोकतंत्र महापर्व के मतदान प्रतिशत में गिरावट लाई है। कांग्रेस मतदाताओं की मतदान के प्रति बेरुखी भी मतदान प्रतिशत की कमी की तरफ इशारा कर रही है। तापमान की अधिकता और गर्म मौसम भी मतदाताओं के मतदान केंद्र तक कम संख्या में पहुंचने का कारण माना जा रहा है। तो महिलाओं के मतदान प्रतिशत में कमी की अलग-अलग वजहें भी चर्चा का केंद्र बन रही हैं। अब मन को समझाने के लिए किसी भी बहाने पर हामी की मुहर लगाई जा सकती है। पर एक बात साफ है कि मतदाताओं का मन खट्टा हो रहा है। अब यह कहें कि कांग्रेस समर्थक मतदाताओं का मन मतदान के प्रति निराशा और हताशा से भर गया है। क्योंकि उन्हें लग रहा है कि मोदी मैजिक के युग में उनके वोट का अपमान वह कब तक सहते रहेंगे।इससे बेहतर है कि वह सही समय का इंतजार करें और समय आने पर खुद भी सम्मानित महसूस करें और अपने वोट को भी सम्मान दिला सकें।
मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की 6 सीटों पर शाम 6 बजे तक 58.35 प्रतिशत मतदान हुआ। खजुराहो में 56.44 प्रतिशत, टीकमगढ़ में 59.79 प्रतिशत, दमोह में 56.18 प्रतिशत, रीवा में 48.67 प्रतिशत, सतना में 61.17 प्रतिशत और होशंगाबाद में 67.16 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है।होशंगाबाद में सबसे अधिक 67.16 प्रतिशत मतदान हुआ, तो रीवा में सबसे कम 48.67 प्रतिशत मतदान शाम 6 बजे तक दर्ज किया गया। अब हम लोकसभा चुनाव 2019 में इन्हीं छह सीटों पर हुए मतदान पर नजर डालें तो खजुराहो में 68.31 प्रतिशत, टीकमगढ़ में 66.62 प्रतिशत, दमोह में 65.83 प्रतिशत, रीवा में 60.41 प्रतिशत, सतना में 70.71 प्रतिशत और होशंगाबाद में 74.22 प्रतिशत मतदान हुआ था। औसत देखा जाए तो मतदान प्रतिशत में 5 से 10 फीसदी तक की कमी दर्ज की जा रही है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि इस चुनाव में कम दर्ज हुए मतदान में भी नोटा के मतों की बढ़ोतरी मन को बेचैन कर सकती है। पर यह ट्रेंड अच्छा नहीं माना जाएगा। खास तौर से जब दस साल के विकास के दावे के साथ एक दल ‘अबकी बार चार सौ पार’ के प्रति आश्वस्त हो और निर्वाचन आयोग भी मतदान के प्रति जागरूकता अभियान चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा हो, तब मतदान प्रतिशत में कमी मायूस तो करती ही है।
कौन जीत रहा है और कौन हार रहा है, यह अपनी जगह है। पर मतदान कितना हो रहा है, यह उत्साहवर्धक या निराशाजनक, दो में से एक शब्द का चयन करने पर मजबूर करता है। वर्तमान स्थिति में मतदान प्रतिशत में कमी निराश होने और चिंता करने की बात तो है। यह लोकतंत्र के महापर्व में मायूस होने को मजबूर करती है। तो मतदान प्रतिशत में गिरावट ठखुद लोकतंत्र महापर्व के लिए भी मायूसी लाने वाली बात है…।