Autobiography Full of Struggle : आतिशी संघर्षों की तपिश से कुंदन हुई ऋतु
चंडीगढ़ से कर्मयोगी की रिपोर्ट
Chandigarh : यह अविश्वसनीय है कि कि युवा अवस्था में चौतरफा संकटों से घिरा कोई उद्यमी पति रण छोड़कर आत्मघात कर ले, मगर उसकी पत्नी न केवल उन तमाम संकटकालीन परिस्थितियों से उभर आए, बल्कि एक प्रेरणा की मिसाल भी बने। इतना ही नहीं था पति डेढ दशक पहले विरासत में 40 करोड़ रुपये का लोन छोड़ गया था। जो कई तरह के जुर्मानों के साथ 60 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा था। ऐसे मुश्किल हालात में एक गृहणी के रूप में पारिवारिक दायित्व निभाने वाली एक स्त्री आत्मविश्वास के साथ खड़ी होती है।
वह दो अल्पवयस्क बेटियों के लिए माता-पिता की भूमिका का निर्वहन करती है। वह विरासत में मिले पति के बीमार उद्योग को संभालती है। इतना ही नहीं पति के अवसान के बाद लूट-खसोट व हिस्सेदारी के इरादे से आगे आए मित्र-रिश्तेदारों का मुकाबला करती है। पति के न होने पर उसे अकेला समझ कारोबार में नुकसान पहुंचाने वालों को बाहर का रास्ता दिखाती है। फिर वह पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों को बनाने में जुट गई। देश की जरूरतों के मुताबिक उद्योग खड़ा करके उसे मुनाफे में बदलती गई। जबकि, लोग चीन से कच्चा माल लाकर मोटा मुनाफा कमा रहे थे। संकट से निकलकर वह एक मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में स्थापित होती है। वह हजारों लोगों के जीवन में बदलाव के लिये सोशल मीडिया के जरिये सक्रिय होती है। ऐसी जीवटता की धनी महिला उद्यमी का नाम रितु सिंगल। अपने इस संघर्ष के जीवन को उन्होंने शब्दश: उकेरा है हाल में प्रकाशित पुस्तक‘आई डिसाइडेड नॉट टू क्राई’ में।
जीवन यात्रा के मध्य में पति को खोने के बाद तमाम स्त्रियां टूटकर बिखर जाती हैं। यदि कोई स्त्री दुख को ताकत बना अपना धैर्य नहीं खोती तो कई संकटों से उबर जाती है। ऐसे में हिम्मत व संघर्ष से वह ने केवल अपनी विरासत को बचा पाती है,बल्कि सफलता की नई इबारत भी लिख देती है। सकारात्मकता के साथ निराश लोगों को जीवन की राह दिखाने वाली रितु सिंगल ने केवल खुद को एक सफल उद्यमी के रूप में प्रतिष्ठित किया, बल्कि दूसरे लोगों को भी ऐसे संकटों से उबारने में मदद की। वे रचनात्मक लेखन में भी सक्रिय हैं और दूसरी साहित्यिक कृति- ‘आई डिसाइडेड नॉट टू क्राई’ पाठकों तक पहुंच दी।
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सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के मुख्यालय चंडीगढ़ में आयोजित एक गरिमामय समारोह में गृहणी से उद्यमी बनी रितु सिंगल की दूसरी किताब का विमोचन हाल ही में हुआ। पुस्तक विमोचन समारोह में वक्ताओं ने रितु सिंघल के संघर्षमय जीवन को हर आम व्यक्ति के लिए प्रेरक बताया। साथ ही विषय के महत्व व प्रेरणा तत्व के चलते इस पुस्तक को अन्य भाषाओं में अनुवादित करने का आग्रह किया। रचना के मन को भिगोने वाले प्रसंगों का जिक्र करते हुए विषय वस्तु पर प्रकाश डाला गया। सही मायने में,’आई डिसाइडेड नॉट टू क्राई’ महज एक आत्मकथा ही नहीं, बल्कि रितु सिंघल की एक असाधारण संघर्ष की कहानी है। एक ऐसी महिला की कहानी, जिसने कुशल नेतृत्व कर अपने जीवन के भावनात्मक उतार-चढ़ाव का बहादुरी से मुकाबला किया।
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इकोनॉमिक टाइम्स के ‘वूमेन एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर 2011′ से सम्मानित रितु सिंगल इससे पहले एक और किताब ‘ए स्टोरी कैन चेंज योर लाइफ’ लिख चुकी हैं। पुस्तक हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने वाली तीस प्रेरणादायक कहानियों का संग्रह है।गृहिणी से उद्यमी बनीं रितु ने किताब में अपने पति के असमय अवसान की व्यथा का जिक्र किया है, जिससे वह वित्तीय तूफानों, कानूनी लड़ाइयों और सामाजिक चुनौतियों के माध्यम से परेशान व्यवसायों के लिए मार्गदर्शक शक्ति बनकर उभरीं और प्रतिकूल परिस्थितियों को जीत में बदल दिया। पुस्तक जीवन की अनंत संभावनाओं के द्वार खोलती है।
सही मायनों में पुस्तक महज एक संस्मरण नहीं है, यह मानवीय अनुभव को प्रतिबिंबित करने वाला एक दर्पण भी है। पुस्तक के एक-एक अध्याय आशा की स्याही से लिखे गए हैं। जो आत्मविश्वास से जीवन जीने की अनंत संभावनाओं के द्वार भी खोलते हैं। पुस्तक में ऋतु के जीवन में अचानक आए मोड़ आम जन को सबक दे जाते हैं। आत्मकथा प्यार, अविश्वास, छल और जीवन की जटिलताओं से गुजरते हुए सकारात्मकता और अध्यात्म के सुमेल से सफलता की नई इबारत लिखने को प्रेरित करती है। जो बताती है कि आत्मविश्वास की ताकत असंभव को संभव बनाती है। लेखिका ने बताने का प्रयास किया है कि हमें अपनी आंतरिक शक्ति पर भरोसा करना चाहिए। फिर जीवन के तमाम विकल्पों पर मंथन करना चाहिए। यदि आत्मविश्वास व हौसले के साथ कोई व्यक्ति आगे बढ़ता है तो उसे किसी तरह की मदद के आलंबन की जरूरत नहीं होती।
सही मायनों में ऋतु की कहानी हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोरती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जीवन में तमाम कष्टों, दुखों और संघर्षों से उबरकर ऋतु सिंघल एक प्रेरक व मार्गदर्शक व्यक्तित्व के रूप में उभरी है। जीवन के झंझावातों से जूझते लोगों को सही राह दिखाने का व्यापक अनुभव उनके पास है। वे सैकड़ों युवाओं व बुजुर्गों को परामर्श देकर उन्हें चिंता, अवसाद, चिंता, आयात, क्रोध, घरेलू हिंसा के तनाव से मुक्त करा चुकी हैं। साथ ही वह आध्यात्मिक शक्ति से जीवन में बदलाव के प्रति आश्वस्त हैं। अपनी ताकत का श्रेय वह अध्यात्म को देती हैं।