Unique Decision of Court : कोर्ट ने युवक को पत्नी और प्रेमिका के बीच 7-7 दिन बांटा!  

प्रेमिका को प्रेमी के शादीशुदा होने की जानकारी थी, तो एग्रीमेंट भी किया! 

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Unique Decision of Court : कोर्ट ने युवक को पत्नी और प्रेमिका के बीच 7-7 दिन बांटा!  

 

Indore : लिव इन रिलेशनशिप और विवाह में फंसे युवक को लेकर कोर्ट ने अनूठा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि पति अपनी प्रेमिका और पत्नी के साथ 7-7 दिन रहेगा। फैसले के साथ ही शादीशुदा प्रेमी को रेप के आरोप से भी बरी कर दिया। 3 साल पहले प्रेमिका ने शादीशुदा प्रेमी के खिलाफ दुष्कर्म, गर्भपात और धमकाने के मामले में थाना भंवरकुआं में केस दर्ज कराया था।

बताया गया कि इस मामले में एक एग्रीमेंट है, जो एफआईआर से पहले हुआ था। एग्रीमेंट से पता चला कि युवती ये बात जानती है कि उसका प्रेमी शादीशुदा होकर एक संतान का पिता है। वह खुद के गर्भपात कराए जाने के बावजूद उसके साथ आगे रहने को तैयार थी। बाद में उसका रुख बदला और उसने एफआईआर करा दी। जबकि, प्रेमी ने पहले ही उसे लिखकर दिया था कि वह 7 दिन पत्नी और 7 दिन उसके साथ रहेगा। लिखा पढ़ी के एक महीने के बाद एफआईआर कराई गई थी। इस आधार पर आरोपी को दुष्कर्म, गर्भपात और धमकाने के केस से दोषमुक्त कर दिया है। ये फैसला 25 अप्रैल को आया, जिसके ऑर्डर की कॉपी 6 मई सोमवार को सामने आई।

कोर्ट के मुताबिक, 29 साल की प्रेमिका ने 27 जुलाई 2021 को आरोपी प्रेमी चंद्रभान पंवार के खिलाफ आवेदन में दुष्कर्म, गर्भपात और धमकाने के आरोप लगाए थे। युवती ने पुलिस को बताया था कि वह चंद्रभान को 2019 से जानती है। चचेरे भाई के जरिए उसके संपर्क में आई थी। बाद में बातचीत की और अफेयर हो गया। यह बात 2020 की होगी। तब यह पता नहीं था कि वह पहले से शादीशुदा है, न प्रेमी ने कभी जिक्र किया या एहसास होने दिया।

25 अप्रैल 2021 को आरोपी ने उसके साथ हॉस्टल में रिलेशन बनाए, जिससे वह गर्भवती हो गई। जब शादी के लिए कहा तो आश्वासन दिया गया। विटामिन की गोली बताकर गर्भपात की खिला दी। इस बात पर झगड़ा भी हुआ। आखिरकार उसने कबूला कि वह शादीशुदा है, एक बच्चा भी है, इसलिए शादी तो नहीं कर सकता।

सुनवाई के दौरान पता चला कि एफआईआर से पहले ही प्रेमी-प्रेमिका के बीच 15 जून को एग्रीमेंट हुआ था, इसे भी कोर्ट में पेश किया गया था। इसमें आरोपी ने कहा था कि वह शादीशुदा है और युवती को जानता है। 2 साल से रिलेशन में है। कोर्ट ने माना कि अनुबंध से ये साफ होता है कि आरोपी और पीड़िता लिव इन रिलेशन में थे। पीड़िता को प्रेमी के शादीशुदा होने का पता चल चुका था, बावजूद वह एग्रीमेंट के जरिए उसके साथ रहने को तैयार थी। इसमें यह शर्त तय होती है कि आरोपी प्रेमी पीड़िता के साथ और पत्नी के साथ 7-7 दिन रहेगा। इस जानकारी के बाद वह रिलेशन को आगे भी बढ़ाती है।

कोर्ट ने यह भी माना कि गर्भपात के बाद भी और शादीशुदा की जानकारी के बावजूद वह ऐसा करती है। आरोपी को उसकी पत्नी के साथ रहने के लिए सहमत थी, साथ ही आपस में सहमति से संबंध बने। ऐसी स्थिति में बलात्कार और गर्भपात के लिए आरोपी को दोषी नहीं माना जा सकता। जान से मारने की धमकी के संबंध में कोई सबूत नहीं दिखते हैं। ऐसे में चंद्रभान को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया।

उधर, डॉक्टर ने बयान दर्ज कराया कि घटना अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच की है। नवंबर में इसी दौरान गर्भपात हुआ। बावजूद, पीड़िता न डॉक्टर के पास गई, न अस्पताल। जनवरी के बाद उनके बीच रिलेशन नहीं बने, न ही पुराने गर्भपात के दस्तावेज दिखाए गए। जुलाई में जब रिपोर्ट कराई तब मेडिकल हुआ है। आखिरी बार संबंध बनने के 7 महीने बाद अगर कोई ये दावा करे कि उससे दुष्कर्म हुआ है तो मेडिकल में इसकी पुष्टि मुश्किल है।