Army Dress Taken Back from Removal Gang : रिमूवल गैंग को आर्मी ड्रेस पहनाने का फैसला निगम ने 48 घंटे में वापस लिया!

कांग्रेस समेत कई लोगो ने विरोध किया, सेना के रिटायर्ड लोगों ने भी महापौर को पत्र लिखा!

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Army Dress Taken Back from Removal Gang : रिमूवल गैंग को आर्मी ड्रेस पहनाने का फैसला निगम ने 48 घंटे में वापस लिया!

Indore : नगर निगम की रिमूवल गैंग के साथ कोई बदसलूकी न हो इसलिए नगर निगम के अधिकारियों और महापौर ने उन्हें आर्मी जैसी ड्रेस पहनाने का फैसला किया था। इस पर अमल भी किया जाने लगा था। लेकिन, इसके साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया। कांग्रेस ने तो नगर निगम को चेतावनी देकर इस फैसले को वापस लेने की चेतावनी दी थी। जनता में भी निगम के इस फैसले की अच्छी प्रतिक्रिया नहीं हुई। इसके बाद आज निगम ने अपना फैसला पलट दिया और रिमूवल गैंग को फिर पीली ड्रेस पहना दी गई।

रिमूवल गैंग को बुधवार को आर्मी जैसी ड्रेस पहनाने का सभी जगह विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद निगम ने इसे वापस लिया। लेकिन, महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि नगर निगम द्वारा एक रूपता, अनुशासन के लिए रिमूवल गैंग को ड्रेस दी गई थी। इस विशेष प्रकार की वर्दी पहनने से यदि पूर्व सैनिकों की भावना आहत होती हैं, तो वर्दी में जो भी आवश्यक चेंजेस की आवश्यकता होगी वो किए जाएंगे।

कांग्रेस ने भी चेतावनी दी थी

नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा कि कांग्रेस की चेतावनी के परिणाम स्वरुप इंदौर नगर निगम बैक फुट पर आ गया। निगम आयुक्त ने आज आर्मी जैसी दिखने वाली ड्रेस वापस बुला ली। चौकसे ने कहा कि कल ही हमने यह कह दिया था कि इस तरह की ड्रेस रिमूवल गैंग को पहनाना भारतीय सेना का अपमान है। इसके साथ ही हमने यह भी कहा था कि यदि 7 दिन में यह ड्रेस वापस नहीं ली गई तो राजवाड़ा पर प्रदर्शन कर जनता को साथ में लेकर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

इसके साथ ही कांग्रेस द्वारा इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने के लिए भी विधि विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही थी। इस बीच आज नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा के द्वारा रिमूवल गैंग से मिलिट्री जैसी दिखने वाली यह ड्रेस वापस बुला ली गई। अब रिमूवल गैंग के कर्मचारियों से कहा गया है कि आपको दूसरी नई ड्रेस दी जाएगी।

निगम आयुक्त से हो ड्रेस पर हुए खर्च की वसूली

चिंटू चौकसे ने कहा कि निगम की रिमूवल गैंग के कर्मचारियों को मिलिट्री जैसी ड्रेस पहनने का फैसला ही प्राथमिक रूप से गलत था। इस गलत फैसले को लेकर 600 जोड़ कपड़े बनवाए गए। इन कपड़ों को खरीदने पर जो पैसा लगा है उस पैसे को नगर निगम आयुक्त के निजी खाते से वसूला जाना चाहिए। आयुक्त की इस गलती का खर्च नगर निगम के खजाने पर नहीं डाला जाना चाहिए।

कौतूहल बनी थी आर्मी जैसी ड्रेस 

इंदौर नगर निगम ने यह ड्रेस उन कर्मचारियों को पहनाई गई थी, जो अतिक्रमण विरोधी दस्ते में काम करते हैं। यह लोग जब कार्रवाई करने जाते हैं तो लोग अक्सर इसे वाद विवाद करते हैं और कार्रवाई को रोकने का प्रयास करते हैं। नगर निगम के कर्मचारी और अतिक्रमणकारियों के बीच कभी-कभी ये विवाद इतना बढ़ जाता है कि बात पुलिस थाने तक पहुंच जाती है। इन विवादों से बचने के लिए इंदौर नगर निगम आयुक्त ने यह प्रयोग किया है। नगर निगम ने ये नियम बुधवार से लागू किया था। सभी कर्मचारियों को सुबह यह ड्रेस बांट दी गई। नगर निगम के कर्मचारियों को आर्मी ड्रेस पहने हुए देखकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। बाद में कर्मचारियों से पूछा गया कि आर्मी की ड्रेस उन्होंने क्यों पहनी है, तो उन्होंने बताया कि इंदौर नगर निगम आयुक्त ने नए प्रयोग के तहत उन्हें यह ड्रेस दी है। यह ड्रेस उन्हें इसलिए पहनाई गई है, जिससे उनसे कोई विवाद न करें और लोग डरें और वह अपनी कार्रवाई आसानी से कर सकें।

पूर्व सैनिक ने भी महापौर को पत्र लिखा 

इस मामले को लेकर रिटायर्ड आर्मी सैनिक और संभाग प्रभारी एक्स सर्विस मेन वेल फेयर सोसायटी मध्यप्रदेश कृष्णगोपाल सिंघवी ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव को पत्र लिखा था। जिसमे लिखा था कि मुझे फेसबुक एंव वाट्सअप के माध्यम से निगम आयुक्त शिवम वर्मा के फरमान की जानकारी मिली की निगम कर्मचारियों को सैनिकों की वर्दी के समान कलर की ड्रेस कोड पहनने का आदेश पारित किया हैं। जिस वर्दी की पूरे देश में सम्मान के साथ ही नहीं अपितु विश्व पटल पर एक अलग पहचान है। आदर और श्रद्धा तथा देशभक्ति की मिसाल के तौर पर देखा जाता है। जिसको पहनने के लिए कठोर शारीरिक और मानसिक मेहनत तथा ट्रेनिग से गुजरना पड़ता है। तब जाकर एक सैनिक इसे पहनता है, तो वह गौरांवित महसूस करता है। निगम आयुक्त का अपने कर्मचारियों को सैनिकों जैसा दिखाना कहां तक उचित है। और भी बहुत सारे ड्रेस कोड लागू कर सकते हैं। यह हम सैनिक भाईयो को गवारा नहीं हैं। उन्होंने लिखा था कि इस आदेश को रद्द कर सैनिक वर्दी से अलग ड्रेस कोड लागू किया जाए। अन्यथा हम सभी पूर्व सैनिक और संगठन इसके विरोध में धरना आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।