राजीव को गए आज 33 साल हो गए…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
चुने हुए प्रधानमंत्री की बात करें, तो भारत के छठे और कार्यवाहक प्रधानमंत्री को भी गिनती में शामिल करें, तो भारत के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के 33 साल आज पूरे हो गए हैं। तब भी लोकसभा चुनावों का दौर था और अब भी चुनावों का दौर चल रहा है। भारत में सात चरण के इस लोकतांत्रिक पर्व के पांच चरण पूरे हो चुके हैं। छठवें और सातवें चरणों की बारी है। चुनावों का प्रचार करते हुए 21 मई, 1991 को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम नामक आतंकवादी संगठन के आतंकवादियों ने श्री पेरंबदूर में राजीव गांधी की एक बम विस्फ़ोट में हत्या कर दी थी। और इस त्रासदी में अपना सब कुछ खोने वाले सोनिया परिवार के चिराग राहुल गांधी अब सत्ता में वापसी की हरसंभव कोशिश में जुटे हैं। जिस तरह पिता राजीव का मन राजनीति में आने का नहीं था, पर भाई संजय गांधी की मृत्यु ने उन्हें राजनीति में धकेल दिखा था। ठीक उसी तरह सोनिया अपने पति की मौत के बाद परिवार सहित राजनीति से दूर रहना चाहती थी। पर समय ने उन्हें परिवार सहित राजनीति में आने का ताना बुना और वह जब आईं तब फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। दस साल तक यूपीए सत्ता में रही। राजीव गांधी ने अपने राजनैतिक जीवन में अमेठी के रास्ते शुरुआत की थी, वहीं से लोकसभा पहुंचने वाले राहुल गांधी अब अमेठी से हारकर वायनाड पहुंचे। पर मां सोनिया के रायबरेली सीट छोड़कर राज्यसभा जाने पर राहुल ने इस बार वायनाड के साथ रायबरेली से भी चुनाव लड़ा है।
तो फिर बात राजीव की। राजीव गांधी (20 अगस्त, 1944 – 21 मई, 1991), इन्दिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े पुत्र और जवाहरलाल नेहरू के दौहित्र, भारत के सातवें प्रधानमन्त्री थे। राजीव का विवाह सोनिया गांधी से हुआ जो उस समय इटली की नागरिक थी। विवाहोपरान्त उनकी पत्नी ने नाम बदलकर सोनिया गांधी कर लिया। कहा जाता है कि राजीव गांधी से उनकी मुलाकात तब हुई जब राजीव कैम्ब्रिज में पढ़ने गये थे। उनकी शादी 1968 में हुई जिसके बाद वे भारत में रहने लगी। राजीव व सोनिया के दो बच्चे हैं, पुत्र राहुल गांधी का जन्म 1970 और पुत्री प्रियंका गांधी का जन्म 1972 में हुआ था।
राजीव गांधी के जन्म दिन के अवसर पर 20 अगस्त को सद्भावना दिवस मनाया जाता है। सद्भावना दिवस पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के द्वारा विशेष आयोजन होता है। देश भर में पार्टी सदस्य अपने पूर्व नेता राजीव गांधी को श्रद्धांजली देते हैं, उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। दिल्ली में स्थित राजीव गाँधी के समाधि स्थल ‘वीरभूमि’ में राजीव गाँधी का पूरा परिवार, करीबी मित्र, रिश्तेदार और कांग्रेस पार्टी के मुख्य लोग एकत्र होते हैं, इसके अलावा देश के और भी दूसरी पार्टी के प्रमुख नेता भी राजीव गाँधी को श्रद्धांजलि देने के लिए वहां जाते है।
फिर बात राजीव की। राजीव गांधी की राजनीति में कोई रूचि नहीं थी और वो एक एयरलाइन पायलट की नौकरी करते थे। परन्तु 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद माता इन्दिरा गाँधी जी को सहयोग देने के लिए सन् 1981 में राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश लिया। वो अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने और 31 अक्टूबर 1984 को अंगरक्षकों द्वारा प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद भारत के प्रधानमन्त्री बने और अगले आम चुनावों में सबसे अधिक बहुमत पाकर प्रधानमन्त्री बने रहे। राजीव गांधी ने 1985 में मुंबई में एआईसीसी के पूर्ण सत्र में ‘संदेश यात्रा’ की घोषणा की थी। अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल ने इसे पूरे देश में चलाया था। प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) और पार्टी के नेताओं ने मुंबई, कश्मीर, कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से एक साथ चार यात्राएं कीं। तीन महीने से अधिक समय तक चली यह यात्रा दिल्ली के रामलीला मैदान में संपन्न हुई। राहुल की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शायद पिता से प्रेरणा का प्रतिफल ही है।
राजीव गांधी भारत में सूचना क्रान्ति के जनक माने जाते हैं। देश के कम्प्यूटराइजेशन और टेलीकम्युनिकेशन क्रान्ति का श्रेय उन्हें जाता है। स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में महिलाओं को 33% रिजर्वेशन दिलवाने का काम उन्होंने किया। मतदाता की उम्र 21 वर्ष से कम करके 18 वर्ष तक के युवाओं को चुनाव में वोट देने का अधिकार राजीव गांधी ने दिलवाया।
तो आज जिन युवाओं को पहली बार वोट डालने में बहुत खुशी मिलती है, वह राजीव के प्रति सद्भाव प्रकट कर सकते हैं। आज राजीव को गए 33 साल हो गए। उनके संग विवादों की लंबी सूची भी है। पर आज दिन श्रद्धांजलि अर्पित करने का है…।