Taste of Modi Factor: योगी के गढ़ में मोदी फैक्टर की परीक्षा, “मोदी के बाद योगी को PM बनना चाहिए”
गोरखपुर से रंजन की खास रिपोर्ट
“अबकी बार मोदी जी पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) को भारत में मिला लेंगे.”
ये दावा है प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक एक सीनियर सॉफ्टवेयर इंजिनियर का जो बैंगलोर में कार्यरत हैं. और ये आवाज़ उनकी अकेली नहीं है. कई और लोग हैं जो उनकी बात से सहमत हैं. सभी एक जगह खड़े थे तथा आपस में बात कर रहे थे गोरखपुर में.
इस उत्साह भरे दावे के पीछे एग्जिट पोल्स के रिजल्ट भी हैं. लगभग सभी एग्जिट पोल का परिणाम एक जैसा है कि एनडीए 350+ है इस बार.
विपक्ष के लिए ये चिंता की बात हो सकती है कि इस दावा को करने वाले लगभग सभी वो लोग हैं जो सरकारी सिस्टम के दुर्व्यवस्था या भ्रष्टाचार से परेशान हैं तथा इनमें से कुछ कुछ ना कुछ हानि का सामना कर चुके हैं. इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो सरकारी सिस्टम के कारण कोविड के दौरान अपने परिजनों को खो चुके हैं तथा बहुत से ऐसे लोग हैं जो शिक्षित हैं.
एक समर्थक को अपने घर पर हुई चोरी की रिपोर्ट पुलिस स्टेशन पर लिखाने के लिए दो महीने पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़े और एफआईआर तभी लिखी गई जब उन्होंने गृहमंत्री के यहां गुहार लगाई.
सिर्फ कुछ घंटे शेष हैं जब यह तय हो जाएगा कि मोदी-3 सरकार बनेगी या नहीं. ये इस बात पर निर्भर है कि उत्तर प्रदेश अपना क्या फैसला सुनाता है.
“देश की सीमा सुरक्षित है तभी विकास संभव है” कहना है एक दूसरे मोदी समर्थक का जिसके अनुसार मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो ही ऐसे नेता हैं जिनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है और जो देश की सीमाओं को सुरक्षित रख सकते हैं.
“मोदी के बाद योगी को ही देश का प्रधान मंत्री बनना चाहिए” कहना था इस समर्थक का. भाजपा में जश्न की तैयारी है फिर भी मोदी और योगी समर्थकों के एक वर्ग के बीच चिंता की लहर भी है.
कुछ समर्थकों का ये मानना है कि इस बार जातिगत समीकरण कुछ बदले हुए हैं. मुलायम सिंह यादव और मायावती के बीच उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के लिए आपस में पैक्ट के दो दशकों के बाद यह शायद पहली बार हो रहा है कि अनसूचित जाति के लोगों ने साइकिल पर अपना वोट डाला भले ही ये वोट समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस द्वारा एलायंस के कारण हो और प्रतिशत कम हो या ज्यादा.
यादव और मुस्लिम समुदाय ने कमिटेड होकर अपना वोट इंडिया (एलायंस) को दिया और अगर इस वोट में अनुसूचित जाति और अगड़ी और पिछड़ी जातियों का कुछ प्रतिशत वोट मिला दिया जाए तो ये या तो भाजपा प्रत्याशी की हार तय करेगा (खासकर उन प्रत्याशियों का जो वर्तमान में सांसद हैं और बेहद अलोकप्रिय हैं) या भाजपा प्रत्याशियों के जीत का अंतर कम करेगा पिछले चुनाव के मुकाबले.
योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर इस मामले में अपवाद नहीं है. यहां के सांसद तथा भाजपा प्रत्याशी रवि किशन बेहद अलोकप्रिय हो चुके हैं. कारण है कि गोरखपुर के विकास में उनकी अरुचि.
“अगर रवि किशन जीतते हैं तो ये सिर्फ मोदी और योगी की वजह से होगा. हम लोग उनके लटके झटकों से उब चुके हैं. योगी के गढ़ में मोदी फैक्टर कितना काम करता है ये 4 तारीख को दिख जाएगा. अगर जीत का अंतर कम होता है तो ये योगी के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा करेगा” ये यह कहना था एक योगी समर्थक का जिसके अनुसार सिर्फ गोरखपुर ही नहीं अन्य कई जगहों पर भाजपा ने गलत प्रत्याशी खड़ा किए हैं और कई जगह अच्छे प्रत्याशियों को ड्रॉप किया है जैसे जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह.