Tree Shifting Scheme: राजधानी में ट्री शिफ्टिंग योजना फेल, शिफ्ट होने के बाद नहीं पनप पाए 1500 से अधिक पेड़

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Tree Shifting Scheme: राजधानी में ट्री शिफ्टिंग योजना फेल, शिफ्ट होने के बाद नहीं पनप पाए 1500 से अधिक पेड़

भोपाल:राजधानी में पुराने प्रोजेक्टों में हटाए गए पेड़ यानी ट्री शिफ्टिंग योजना पूरी तरह से फेल हो चुकी है। एक बार फिर से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस योजना पर काम करने की बात कही है। ऐसे में इस योजना पर फिर से शिफ्ट किए जाने वाले पेड़ों के बचने की संभावना पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, भोपाल शहर में वर्तमान में एक दर्जन से अधिक बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसमें सैकड़ों पेड़ों को काटा जा चुका है। इतना ही नहीं अब स्मार्ट सिटी की ओल्ड साइट यानी शिवाजी नगर और तुलसी नगर में मंत्रियों-विधायकों के बंगले बनाने की योजना सरकार ने बनाई है। इस योजना में करीब 29 हजार पेड़ों को काटने की जरुरत पड़ेगी। हालांकि इस मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद नए सिरे से योजना की प्लानिंग पर काम किया जा रहा है, ताकि पेड़ों को ज्यादा नुकसान ना हो।

बीआरटीएस के शिफ्ट पेड़ सूखे
बताया जा रहा है कि करीब 14 साल पहले बीआरटीएस प्रोजेक्ट के तहत करीब 600 से अधिक पेड़ों की शिफ्टिंग की गई थी, बाकी के सैकड़ों पेड़ों को काट दिया गया था। बीआरटीएस प्रोजेक्ट फेल हो गया, लेकिन यहां से शिफ्ट किए गए पेड़ भी सूख गए हैं। ऐसे में लोगों ने इस तरह की योजना में पेड़ों को काटने और ट्री शिफ्टिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। बीआरटीएस कॉरिडोर में करीब 2400 पेड़ दायरे में आए थे। इसमें से 602 पेड़ों को लालघाटी से सीहोर नाका, मिसरोद विश्राम घाट, बावड़ियां कलां, नटबाबा परिसर, नूतन कॉलेज के सामने ग्रीन बेल्ट में शिफ्ट किए गए थे। इसमें करीब 60 लाख रुपए खर्च भी किए गए थे। ये सभी पेड़ सूख गए हैं और जहां पेड़ लगाए गए थे वहां पर अब समाट मैदान है।

कलियासोत तेरह शटर चंदनपुरा में सूखे 850 से ज्यादा पेड़
इतना ही नहीं, पांच साल पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत टीटी नगर से करीब 850 पेड़ों की शिफ्टिंग कलियासोत तेरह शटर के पास चंदनपुरा जंगल में की गई थी। लेकिन सारे पेड़ भी सूख गए हैं। इस शिफ्टिंग योजना में भी लाखों रुपए खर्च किए गए थे। इस मामले में कई पर्यावरणविदों द्वारा विरोध किया गया था कि बीआरटीएस कॉरिडोर के पेड़ शिफ्टिंग मामले में यह प्रयोग फेल हो चुका है। फिर भी प्रशासन ने इनकी एक नहीं सुनी और परिणाम शून्य निकला। यहां के पेड़ भी सूख गए हैं। ऐसे में मंत्री व विधायकों के लिए बनाए जाने वाले बंगलों के लिए पेड़ काटने और उन्हें शिफ्ट करने पर अब बड़े-बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।