Lok Sabha Speaker: स्पीकर के मुद्दे पर TDP ने ऐसी शर्त रखी कि BJP टेंशन में आई!
New Delhi : लोकसभा स्पीकर के मुद्दे पर नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी जो भी फैसला करेगी, पार्टी उसका समर्थन करेगी। जबकि, सरकार के दूसरे अहम सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने कहा कि गठबंधन की सभी पार्टियों की सहमति से ही स्पीकर के उम्मीदवार का चयन किया जाना चाहिए।
जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केसी त्यागी ने शनिवार को कहा कि जेडीयू और टीडीपी एनडीए में सहयोगी हैं। वे बीजेपी द्वारा तय उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। केसी त्यागी ने बताया कि जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) और टीडीपी (तेलुगू देशम पार्टी) मजबूती से एनडीए में हैं। लेकिन, टीडीपी ने इससे अलग हटकर विचार रखे, जिससे बीजेपी को टेंशन होना तय है। स्पीकर बीजेपी का ही होगा, पर वो सबकी सहमति से तय किया जाए।
बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के शपथ ग्रहण के बाद संसद का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा। यह सत्र आठ दिनों तक चलेगा। इस सत्र के तीसरे दिन 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। इस चुनाव से पहले विपक्ष बार बार इस बात पर जोर दे रहा है कि NDA के सहयोगियों के पास लोकसभा अध्यक्ष का पद होना चाहिए।
टीडीपी ने कहा कि सबकी सहमति जरूरी
टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने सर्वसम्मति वाले उम्मीदवार को ही स्पीकर का पद मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसे लेकर एनडीए के सहयोगी एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि स्पीकर के लिए हमारा उम्मीदवार कौन होगा। आम सहमति बनने के बाद ही उम्मीदवार उतारा जाएगा और टीडीपी सहित सभी सहयोगी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे।
कांग्रेस ने एनडीए के सहयोगी को चेताया
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि लोकसभा स्पीकर पद के चुनाव की ओर केवल TDP एवं JDU ही नहीं, बल्कि पूरे देश की जनता उत्सुकता से देख रही है। यदि भाजपा के मन में आगे जाकर कोई भी अलोकतांत्रिक कृत्य करने का इरादा नहीं है तो उन्हें स्पीकर का पद किसी सहयोगी दल को ही देना चाहिए। गठबंधन धर्म को निभाते हुए 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में TDP व शिवसेना के स्पीकर एवं UPA सरकार में 2004 से 2009 तक CPI(M) के स्पीकर रहे और अच्छे से लोकसभा का प्रबंधन हुआ।
उन्होंने आगे कहा की TDP और JDU को महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश एवं राजस्थान में भाजपा द्वारा किए गए सरकार गिराने के षड्यंत्रों को नहीं भूलना चाहिए। इनमें से कई राज्यों में तो स्पीकर की भूमिका के कारण ही सरकार गिरी और पार्टियां टूटी। 2019 में TDP के 6 में से 4 राज्यसभा सांसदों भाजपा में शामिल हो गए थे और तब TDP कुछ भी नहीं कर सकी थी। अब अगर भाजपा लोकसभा स्पीकर का पद अपने पास रखती है तो TDP और JDU को अपने सांसदों की हॉर्स ट्रेडिंग होते देखने के लिए तैयार रहना चाहिए।