Arvind Kejriwal : आज रिहाई नहीं हुई ,ED की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित

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Arvind Kejriwal : आज रिहाई नहीं हुई ,ED की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिली ज़मानत पर लंबी सुनवाई के बाद अपना फ़ैसला 2-3 दिनों के लिए रिज़र्व रख लिया है.हाई कोर्ट अगले 2-3 दिनों में ईडी की याचिका पर अपना आदेश दे सकता है.केजरीवाल को कथित शराब नीति घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने मार्च में गिरफ़्तार किया था.

अदालत ने इससे पहले राऊज़ एवेन्यू कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को मिली ज़मानत पर रोक लगा दी थी.

अदालत ने कहा, “आक्षेपित आदेश के संचालन पर तब तक रोक लगाई जाती है.” अरविंद केजरीवाल जेल से अभी बाहर नहीं आएंगे. ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. गुरुवार का राउज एवेन्यू कोर्ट ने शराब घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल को नियमित जमानत दे दी थी.

निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ शुक्रवार को ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया. अब हाईकोर्ट ने केजरीवाल की जमानता पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. ऐसे में अभी केजरीवाल को कुछ दिन जेल में और गुजराने पड़ेंगे. दिल्ली हाईकोर्ट दो से तीन दिन में इस पर फैसला सुनाएगा.

इसे लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में लंच के बाद दोबारा सुनवाई चल रही है. कथित शराब घोटाले मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को सीएम केजरीवाल को नियमित जमानत दी थी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद केजरीवाल की जमानत पर रोक लगा दी गई. ईडी की इसी याचिका पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है. ASG ने सरकारी गवाहों के बयानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया.

अरविंद केजरीवाल की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देते हुए कहा, जमानत की सुनवाई कैसी होनी चाहिए, इस बारे में गलत धारणा है. सिर्फ इसलिए कि इसमें राजनीतिक विरोध शामिल है और अगर जज द्वारा सभी कॉमा आदि का निपटारा नहीं किया जाता है, तो इससे राजू को जज को बदनाम करने का अधिकार मिल जाता है. यह निंदनीय है. यह कभी भी सरकारी अधिकारी की ओर से नहीं आना चाहिए था. ED पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है.

ट्रायल कोर्ट में यह मामला पांच घंटे तक चला

सिंघवी ने आगे कहा कि ट्रायल कोर्ट में यह मामला पांच घंटे तक चला. राजू ने करीब 3 घंटे 45 मिनट का समय लिया. फिर ट्रायल जज पर दोष लगाया गया क्योंकि उन्होंने हर कॉमा और फुल स्टॉप को दोहराया नहीं. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस स्वर्णकांता के फैसले को पलटा नहीं है, इसलिए जमानत कभी नहीं दी जा सकती. जस्टिस शर्मा और सुप्रीम कोर्ट जमानत नहीं, बल्कि गिरफ्तारी की वैधता से निपट रहे थे.

उन्होंने कहा, अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी बुरी बात है तो जमानत अपने आप चली जाती है. दूसरी बात, जस्टिस शर्मा ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि मैं जमानत से नहीं बल्कि गिरफ्तारी से निपट रही हूं. ED ने इस पहलू पर 20 मिनट से ज्यादा बहस की लेकिन इस बिंदु का जिक्र करना भूल गई.

यह सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला है

उन्होंने कहा कि जस्टिस शर्मा ने इस मामले में अंतर किया है. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई के आदेश में लिखा है, अनुमति दी गई. किसके खिलाफ अनुमति? जस्टिस शर्मा के आदेश के खिलाफ? उन्होंने इस तरह तर्क दिया है जैसे कि फैसला अंतिम है. यह सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है और आदेश सुरक्षित है. यह सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला है. जस्टिस स्वर्णकांता का फैसला अंतिम फैसला नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं खुद से पूछ रहा हूं, अगर ट्रायल कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देता है तो वह कौन सी गलती या अपराध है? सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को जमानत याचिका पर विचार करने की स्पष्ट स्वतंत्रता दी.

ED ने इस पर 20 मिनट क्यों खर्च किए?

सिंघवी ने आगे कहा कि कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आप जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं. मेरा सवाल यह है कि अगर जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा का फैसला अंतिम था, जैसा कि ED ने कहा है तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह स्पष्ट स्वतंत्रता क्यों दी गई? दूसरा, अगर अवैध गिरफ्तारी की कार्यवाही को जमानत के साथ मिलाया जा सकता है, जैसा कि ED कर रहा है तो सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर जाने और अवैध गिरफ्तारी पर आदेश सुरक्षित रखने के बीच अंतर क्यों किया?

उन्होंने कहा, अगर ट्रायल कोर्ट जस्टिस शर्मा के आदेश या अन्य आदेशों से प्रभावित हुए बिना जमानत पर फैसला नहीं कर सकता था तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत के लिए स्वतंत्रता देने का क्या मतलब था? मैं खुद से यह सवाल पूछकर इस मुद्दे को खत्म करना चाहता हूं कि ED ने इस पर 20 मिनट क्यों खर्च किए? वो संजय सिंह के मामले में गए. भगवान का शुक्र है कि वो मनीष सिसोदिया के मामले में नहीं गए. ट्रायल कोर्ट के फैसले को जिस तरह से लिखा जाता है और पढ़ा जाता है. उसे लेकर पूरी तरह से गलतफहमी है.

जमानत देने और रद्द करने में दो बहुत अलग बातें हैं

सिंघवी ने कहा कि कानून स्पष्ट है कि जमानत देने और रद्द करने में दो बहुत अलग बातें हैं. वो अपने खिलाफ एक बहुत बड़ा कबूलनामा करता है. वो स्वीकार करता है कि वह कानून जानता है. वो कहता है कि आदेश विकृत है और इसलिए एक छोटे से पहलू तक सीमित है. एलिस इन वंडरलैंड की तरह, ED की भी विकृतियों की अपनी समझ है.

उन्होंने कहा, हर बार यह कहा जाता है कि ट्रायल कोर्ट ने उस तर्क को नोट नहीं किया या उस पर विचार नहीं किया. ट्रायल कोर्ट को निबंध लिखने की जरूरत नहीं है. इसमें कोई विकृति नहीं है. मैं अलग तरह से लिख सकता हूं. आप अलग तरह से लिख सकते हैं. यह विकृति नहीं है. मैं गलत भी लिख सकता हूं लेकिन वह विकृति नहीं है. इस तरह के मामले में स्थगन कुछ और नहीं बल्कि जमानत रद्द करना है.

आप किस हद तक इस पर विचार कर सकते हैं

इससे पहले कोर्ट ने कहा कि लंच के बाद हम मामले की सुनवाई करेंगे. लंच के बाद दोबारा सुनवाई जारी है. लंच से पहले की सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि मेरी एक प्रारंभिक आपत्ति है. आवेदन में और मौखिक रूप से कुछ टिप्पणियां की गई हैं. यह जमानत रद्द करने का आवेदन है. कानून तय है. मैं उस पर विचार नहीं कर रहा हूं. मुद्दा यह है कि आप किस हद तक इस पर विचार कर सकते हैं.

अरविंद केजरीवाल के वकील की दलीलों पर ED की ओर से पेश ASG SV राजू ने आपत्ति जताई. विक्रम चौधरी ने कहा कि इसे छुट्टियों में सूचीबद्ध करवाने की इतनी बेचैनी क्यों है? चौधरी ने अपना पक्ष रखते हुए अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने संबंधी सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़ा और कहा कि इस पर स्टे का कोई सवाल ही नहीं है. ASG एसवी राजू ने दलीलें पेश करना शुरू किया और कहा कि यह आदेश गलत है. कृपया PMLA की धारा 45 पर गौर करें.

यह NDPS अधिनियम की धारा 37 के समान- ASG

ASG ने कहा कि यह NDPS अधिनियम की धारा 37 के समान है. ASG प्रावधान को पढ़ते हुए कहा कि हमें पूरा मौका नहीं दिया गया. पैरामीटर पर विचार नहीं किया गया. जब मैंने बहस की तो अदालत ने कहा कि मुझे फैसला सुनाना है. इसपर अरविंद केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि कैसे बहस करनी है और क्या बहस करनी है, यह मेरा विशेषाधिकार है. ASG ने कहा कि मैंने कहा था कि इसमें कम से कम आधा घंटा लगेगा. मैं विस्तार से बहस नहीं कर सकता.ASG ने आगे कहा कि उन्होंने कभी भी मुद्दे नहीं उठाए, लेकिन जवाब में उन्होंने बिल्कुल नए मुद्दे उठाए. जवाब के बाद मुझे कोई मौका नहीं दिया गया.

केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने दी थी जमानत

आबकारी नीति मामले में केजरीवाल को कल (गुरुवार) दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत दी थी. आज केजरीवाल की रिहाई के लिए तैयारी चल रही थी, इसी बीच ईडी ने जमानत को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी. हाई कोर्ट ने ईडी की याचिका को स्वीकार किया, और जमानत पर रोक लगा दी. शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 21 मार्च को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. आज केजरीवाल के तिहाड़ से बाहर आने की बात कही जा रही थी लेकिन इससे पहले ED हाई कोर्ट पहुंच गई.

दिल्ली हाई कोर्ट में ED ने क्या कहा?

ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले एएसजी एसवी राजू ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि ट्रायल कोर्ट का आदेश अभी तक अपलोड नहीं किया गया है और शर्तें अज्ञात हैं. एएसजी राजू ने कोर्ट को सूचित किया कि जांच एजेंसी को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध करने का पूरा मौका नहीं दिया गया है. एएसजी एसवी राजू ने हाई कोर्ट से आग्रह किया कि आदेश पर रोक लगाई जाए और मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाए.

2 जून को केजरीवाल ने किया था सरेंडर

सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी थी. 2 जून को उन्हें शीर्ष अदालत में सरेंडर किया. सरेंडर से पहले अरविंद केजरीवाल ने एक बार सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. केजरीवाल ने कोर्ट से अपनी अंतरिम जमानत को सात दिन के लिए बढ़ाने की अपील की थी. मगर कोर्ट ने केजरीवाल की अपील को ठुकरा दिया था.

21 मार्च को केजरीवाल की हुई थी गिरफ्तारी

शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 21 मार्च को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. इससे पहले उन्हें 9 बार समन भेजा गया था लेकिन वो जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए थे. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. 22 मार्च को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया. यहां से ईडी ने 11 दिन कस्टडी रिमांड ली और पूछताछ करने के बाद एक अप्रैल को तिहाड़ जेल भेज दिया था.