A Big Question: हाथरस हादसे में 100 से ज्यादा लोगों की मौत का आखिर जवाबदार कौन ?
स्वाति तिवारी की त्वरित टिप्पणी
उत्तर प्रदेश के हाथरस में भयावह दर्दनाक हादसा हो गया। जिले के फुलराई गांव में भोलेबाबा का प्रवचन कार्यक्रम चल रहा था। इस दौरान समापन के दौरान अचानक भगदड़ मच गई। कार्यक्रम में शामिल होने आए कम से कम 100 लोगों की इस हादसे में मौत हो गई। सैकड़ों भक्त भीषण गर्मी से बेहोश हो गए। सूचना पर पहुंची पुलिस और प्रशासन ने सैकड़ों गंभीर लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया है।
हाथरस के गांव में भगदड़ की घटना भले ही अप्रत्याशित हो, लेकिन इसमें प्रशासन की लापरवाही को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। प्रशासन ने इस अव्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया कि वहां आने-जाने का एक ही रास्ता है जो इतना चौड़ा नहीं है कि आसानी से लोग निकल सकें। बताया गया है कि वही इस हादसे का सबसे बड़ा कारण बना। वहां पुलिस की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। सवाल कई है जिनके जवाब हर बार हम मांगना चाहते हैं,लेकिन हर घटना दुर्घटना की लिपा पोती के बाद सवाल खुद-ब-खुद मौन हो जाते है.
एक बड़ा सवाल यह भी है कि 100 लोगों की मौत का जवाबदार आखिर कौन?
उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए भयावह हत्याकांड में 100 बेगुनाह लोग काल कवलित हो गए। ऐसे में यह सोचना पड़ रहा है कि आखिर इस तरह की मौत का जवाबदार कौन? एक बड़ा सवाल यह भी है कि पिछले कुछ वर्षों में सत्संग और बाबा व्यवसाय की बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है । उस पर सरकारों का घ्यान क्यों नहीं जाता .आयोजक ऐसा कौन सा अनमोल खजाना खोल देते हैं कि भीड़ रोकी नहीं जा सकती और हादसे टाले नहीं जा सकते? प्रशासन कहाँ और कितना व्यस्त होता है कि इतने बड़े आयोजनों पर भी उनकी नजर नहीं जाती ? क्या इसके पीछे राजनीति को जवाबदार ठहराया जाए या आयोजक, प्रशासन या शासन या व्यवस्था को।
सबसे पहले तो इसके लिए प्रशासन को ही जवाबदारी मानना चाहिए जिसने समय पर न कुछ देखा और ना ही कुछ व्यवस्था का सोचा। व्यवस्था अगर सतर्क हो जाए तो इस तरह के हादसों को काफी हद तक टाला जा सकता है।
अगर हम इतिहास देखें तो मध्य प्रदेश में भी इस तरह के हादसे पूर्व में उज्जैन ,ओंकारेश्वर, दतिया के धार्मिक स्थलों पर हो चुके हैं लेकिन यह हादसा तो इससे बहुत बड़ा है जिसमें अभी तक 100 लोगों के मौत की खबर आ रही है।
आखिर जब तथाकथित भोले बाबा अपने सत्संग की सार्वजनिक घोषणा पिछले कई दिनों से कर रहे थे और करीब 100 किलोमीटर के इलाकों में बाकायदा उनके पोस्ट सार्वजनिक स्थलों पर खुलेआम लगाए गए थे। तब प्रशासन की नींद क्यों नहीं जागी? ऐसे में क्या यह प्रशासन के जवाबदारी नहीं थी कि वह सत्संग स्तर पर पानी, बिजली, सड़क और अन्य व्यवस्थाएं ठीक से हुई है या नहीं, देखता!
सरकार को चाहिए कि इससे सबक लेकर एक ऐसा सिस्टम पूरे देश भर में लागू करें या कहा जाए ऐसी गाइडलाइंस बनाई जाए जिससे इस तरह के आयोजन जिसमें लाखों लोग बिना बुलाए इकट्ठे हो जाते हैं, व्यवस्थित तरीके से संपन्न हो और इस तरह के हादसे फिर कभी ना हो।
हर बार होता यही है की हादसे होते हैं और जांच के नाम पर छोटी-मोटी लीपा पोती हो जाती है और मामला टॉय टॉय फ़िस्स।प्रशासन जागता नहीं और जनता हादसों से सीखती नहीं ,बाबा अपने भक्त बढाने से रुकते नही .
आखिर इन सत्संगों में ऐसा क्या लोभ दिया जाता है कि भक्ति के नाम पर लोग काम धंधे छोड़ कर इन दिनों जबकि बोवनी का समय है, भीड़ बन जाते है……? क्या बाबा और उनके सत्संग के लिए सिर्फ एक प्रशासनिक अनुमति ही पर्याप्त होती है ?
एक आम आदमी जब एक चाय का ठेला भी लगाता है ,सब्जी की छाबड़ी लेकर हाट बाजार में बैठता है तो उसे नगर निगम का टेक्स देना होता है .व्यवसाय का गुमाश्ता लेना होता है ,लेकिन बाबा व्यवसाय के लिए कोई पंजीयन ,कोई शुल्क ,कोई पात्रता का कोई नियम इस देश में नहीं है ? कहीं भक्ति की आड़ में धर्म की राजनीति ही तो इन बाबाओं की खाद पानी तो नहीं ?जिनका कोई संत महात्मा वंश का ,आध्यात्मिक ज्ञान का पुराना बेकग्राउंड भी नहीं होता वे केवल अपनी वाचा ,अपनी संभाषण कला से जनता को मुर्ख बनाने लगते है और सरकारें उनकी दुकाने खुलते देखती रहती हैं ? इन बिना टेक्स के व्यवसायों पर हम कभी कोई आवाज नहीं उठाते ?
लोकसभा में भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक हादसे की सूचना पहुंची तो उन्होंने शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में मची भगदड़ में कई लोगों के मरने की खबर है। मैं इस हादसे में जान गंवाने वालों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। मोदी जी इस बार सिर्फ संवेदना नहीं , जवाबदारी भी तत्काल तय करिए .बाबा को तत्काल गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा ?बाबा अपनी पत्नी के साथ वहां मंच पर सिंहासन पर विराजमान थे ,उनका काफिला इतना बड़ा कैसे होने दिया गया जिसके निकलने भर में रोकी गई भीड़ शवों के ढेर में बदल गई .
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बुधवार को हाथरस जाएंगे। बताया जा रहा है कि वह स्थानीय प्रशासन से खुश नहीं हैं। हादसे के बाद उन्होंने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार को तत्काल हाथरस भेजा। अब कल वह खुद हाथरस पहुंचेंगे। आपकी संवेदना का सम्मान करते हुए एक सवाल यह जरुर बना रहेगा की क्या इस संवेदना से उन 100 लोगों की पीड़ा ,उनकी त्रासदी कम हो जायेगी ? प्रशासन इतने बड़े बड़े पोस्टरों के बावजूद क्या अफीम खा कर सो रहा था ?
इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) का पूर्व कर्मचारी नौकरी छोड़ कर बाबा के धंधे में लग जाता है और जनता के पास इतना समय क्यों और कैसे हैं जो मरने के लिए इस तरह के आयोजनों के पीछे पागलों की तरह मरने चले जाते हैं .क्या इतनी बड़ी संख्या में लोग इतने अमीर हैं कि उन्हें अपने रोजगार की चिंता नहीं है या इतनी बड़ी संख्या में लोग देश में बेरोजगार हैं उनके पास काम धंधे नहीं है , या एक वक्त का प्रसादी भोजन ही इसका आकर्षण होता है .?सवाल तो अभी बहुत हैं और दुःख उन पर सोचने को मजबूर कर रहा है, जवाब किसके पास है ?