Kissa-A-IAS:भिंड के इस युवा को दोस्त के धोखे ने सबक सिखाकर सफलता दिलाई!

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Kissa-A-IAS:भिंड के इस युवा को दोस्त के धोखे ने सबक सिखाकर सफलता दिलाई!

काबिलियत की राह में अड़चन तो डाली जा सकती है, पर पर उसे शिखर पर पहुंचने से रोका नहीं जा सकता। निरीश मध्यप्रदेश के पिछड़े जिले भिंड के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूल से की और ग्रेजुएट की पढ़ाई ग्वालियर के एक साधारण सरकारी कॉलेज से पूरी की।

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निरीश ने ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट में बेहतरीन परफॉर्म किया। लेकिन, पढाई के लिए पास में फीस भरने के पैसे नहीं थे। इसके लिए घर-घर अखबार बांटे। परिवार की आर्थिक हालत भी ऐसी नहीं थी कि पढाई का खर्च उठा सके। पिता की दर्जी दुकान थी। लेकिन, सपना था IAS बनने का। वे उसी सपने को पूरा करने में लगे रहे। ऐसे में IAS की तैयारी के समय एक दोस्त ने धोखा दे दिया। लेकिन, फिर भी धीरे-धीरे मुश्किलों ने रास्ता छोड़ा और भिंड का ये युवक अपने चौथे प्रयास में IAS बना।

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निरीश राजपूत ने जीवन में कई तरह की मुश्किलों का सामना किया। निरीश के पास बेहद आर्थिक समस्या थी। पर, उन्होंने मेहनत और लगन से आईएएस की परीक्षा पास की और आज प्रशासनिक सेवा के के अधिकारी हैं। निरीश शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थे। पढ़ाई के प्रति निरीश का अटूट समर्पण रंग लाया। उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में टॉप किया। छोटे-मोटे काम करके और अखबार बांटकर अपनी फीस भरी। कठिन हालातों के बावजूद यूपीएससी परीक्षा पास की और आईएएस बने।

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जब निरीश पैसे संबंधी मुश्किलों से जूझ रहे थे, तभी उनके एक दोस्त ने उनसे साथ धोखेबाजी की। इससे उनकी परेशानी और बढ़ गईं। दरअसल, उनकी प्रतिभा को एक दोस्त ने पहचाना और उन्हें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए एक कोचिंग संस्थान में शिक्षक के पद पर नौकरी दी। बदले में यूपीएससी की तैयारी के लिए अध्ययन सामग्री देने का वादा किया। अपने दोस्त पर भरोसा करते हुए, निरीश ने अपने दो साल संस्थान को समर्पित कर कड़ी मेहनत से इसमें योगदान दिया। अंततः उन्हें धोखा मिला। दोस्त ने संस्थान की सफलता के बाद उन्हें निकाल दिया।

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इस झटके ने निरीश को गहरी चोट पहुंचाई। दो साल तक वे अपनी तैयारी के लिए कुछ खास नहीं कर सके। लेकिन, निराशा के आगे झुकने के बजाए उन्होंने अपनी हिम्मत जुटाई और दिल्ली जाने का फैसला किया। दिल्ली में उनकी मुलाक़ात ऐसे लोगो से हुई, जो उन्हीं की तरह आईएएस बनना चाहते थे। उन्हीं में से एक दोस्त के साथ वह मुख़र्जी नगर के छोटे से मकान में किराए पर रहने लगे। निरीश के हालात इतने ख़राब थे कि उनके पास न तो कोचिंग में दाखिला लेने के पैसे थे और न किताबें खरीदने के। इसीलिए उन्होंने सारी पढ़ाई दोस्त के नोट्स पढ़ कर की। निरीश कभी अपने हालातों से डरे नहीं बल्कि एक सुखद भविष्य की चाह में कड़ी मेहनत करते रहे।

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IAS बनने का सफर निरीश के लिए किसी चुनौती से काम नहीं रहा। तीन कोशिश में फेल होने के बाद जहाँ व्यक्ति सफलता की उम्मीद छोड़ देता है, वहीं निरीश यह जानते थे कि परिश्रम करने के अलावा उनके पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं था। वह सकारात्मक सोच के साथ मेहनत करते रहे और 2013 में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 370वी रैंक हासिल कर IAS बन गए। निरीश राजपूत को एजीएमयूटी कैडर मिला है।