IAS Reshuffle: MP में 10 वरिष्ठ अफसरों के फेरबदल में किसका बढ़ा कद और किसका घटा!

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IAS Reshuffle: MP में 10 वरिष्ठ अफसरों के फेरबदल में किसका बढ़ा कद और किसका घटा!

सुरेश तिवारी की त्वरित टिप्पणी 

भोपाल : मध्य प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में कल रात को जारी आदेश में कई बदलाव देखने को मिले हैं। मुख्य सचिव के बाद इस समय मंत्रालय में पदस्थ सबसे वरिष्ठ अधिकारी 1989 बैच के मोहम्मद सुलेमान को स्वास्थ्य विभाग से हटाकर कृषि उत्पादन आयुक्त बनाया गया है। हालांकि इस पद को मुख्य सचिव पद के बाद सबसे गरिमा पूर्ण माना जाता है लेकिन बताया जाता है कि इस पद में करने को बहुत ज्यादा कुछ होता नहीं है। समन्वय करना होता है। उस हिसाब से देखा जाए तो मोहम्मद सुलेमान को सक्रिय विभाग से हटाकर एक ऐसे विभाग में पदस्थ किया गया है जहां उन्हें बहुत ज्यादा कुछ करना नहीं होता है।वैसे भी सुलेमान को स्वास्थ्य विभाग में चार साल हो गए थे और उनका हटना तो तय था।माना जा सकता है कि 2 महीने बाद अगर राजेश राजौरा मुख्य सचिव बनते हैं तो सुलेमान को वरिष्ठ होने के नाते मंत्रालय छोड़ना ही पड़ेगा।

इस फेर बदल में अगर किसका कद घटा है तो वह है भारतीय प्रशासनिक सेवा में 93 बैच के अधिकारी संजय दुबे का। उन्हें योग्य अधिकारी माना जाता है लेकिन शायद गृह विभाग में उनकी पुलिस वालों (PHQ) से पटरी नहीं बैठ पा रही थी। कारण जो भी रहे हो लेकिन पुलिस वालों उनसे नाराज ही रहे और वह नाराजगी अंत तक बनी रही। बताया जाता है कि बीच में मुख्यमंत्री ने भी इस बारे में आभास कराया था लेकिन अंतत:संजय दुबे को कुछ ही महीनों में गृह विभाग से हटना ही पड़ा।उन्हें ऐसे विभाग सूचना और प्रौद्योगिकी में भेजा गया है जहां उन्हें करने को बहुत ज्यादा नहीं है।

 

1990 बैच के एसएन मिश्रा को गृह और परिवहन विभाग की कमान सौप कर सीएम ने समन्वय की दृष्टि से एक अच्छा निर्णय लिया है। मिश्रा एक मिलनसार और व्यवहार कुशल अधिकारी माने जाते हैं। वे पहले भी इस विभाग के मुखिया रह चुके हैं और विभाग की कार्य प्रणाली से अच्छी तरह परिचित हैं।

इस फेर बदल में 1996 बैच के डीपी आहूजा के पर भी कतरे गए हैं। उन्हें लोक निर्माण विभाग जैसे भारी भरकम विभाग से हटाकर मछुआ पालन जैसे हल्के विभाग में भेजा गया है। यह एक तरह से लूप लाइन विभाग ही माना जाता है। बताया गया है कि आहूजा के काम से सरकार में बैठे जिम्मेदार अधिकारी खुश नहीं थे जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।सरकार ने अपर मुख्य सचिव के सी गुप्ता को लोक निर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग का प्रभार सौंपा है। हालांकि जानकारों का मानना है कि जिस प्रकृति के गुप्ता हैं, उनकी लो प्रोफाइल कार्य प्रणाली को देखते हुए लोक निर्माण विभाग में वे कुछ कमाल दिखा पाएंगे यह शंकास्पद ही है।

भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1994 बैच की तेज तर्रार अधिकारी दीपाली रस्तोगी को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में प्रमुख सचिव बनाया गया है। हालांकि इस विभाग में पहले से ही अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव पदस्थ हैं और वे परिणाम देने वाले अधिकारी जाने जाते हैं और सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। माना जा सकता है कि तीन-चार महीने बाद जब वे रिटायर होंगे तब शायद दीपाली रस्तोगी को फुल फ्लैश इस विभाग का काम सौंप दिया जाएगा। तब तक वह इस विभाग के काम को अच्छी तरह समझ भी लेंगी ।

इस फेर बदल में एक और महत्वपूर्ण बात यह हुई है कि सुदाम खाड़े को आयुक्त जनसंपर्क के साथ पूरे जनसंपर्क विभाग और मध्य प्रदेश माध्यम की कमान सौंप दी गई है। यह जरूरी भी था क्योंकि इस विभाग के कार्य व्यवहार को देखते हुए एक ही अधिकारी के हाथ में कमान होना जरूरी होता है। इससे काम आसानी से परिणाम के साथ हो जाते हैं। वैसे भी खाड़े योग्य अफसर माने जाते हैं। कुछ दिनों पहले जब उन्हें केवल आयुक्त जनसंपर्क बनाया था तो प्रशासनिक क्षेत्र में कार्यरत कई जानकारों को यह बात रास नहीं आई थी।

मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारियों में संदीप यादव की गिनती होती है। उन्हें स्वास्थ्य विभाग की कमान सौप कर उनके कद को काफी बढ़ा दिया गया है। इससे पहले 89 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुलेमान इस विभाग को देख रहे थे जो अब 2000 बैच के संदीप यादव देखेंगे।

विवेक पोरवाल को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग से हटाकर राजस्व विभाग की कमान सौंपी गई है। इसे भी एक तरह से कद घटना ही माना जा सकता है क्योंकि राजस्व विभाग की कार्य प्रणाली इस तरह की है कि वहां बहुत ज्यादा करने को कुछ रहता नहीं है।

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अशोक वर्णवाल को वन विभाग के साथ सहकारिता विभाग का प्रभार भी सौंपा गया है। इससे वर्णवाल का कद भी बढ़ा है। वर्णवाल की गिनती प्रशासनिक क्षेत्र में एक कार्य कुशल और परिणाम देने वाली अधिकारी की रही है। इसलिए माना जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने उन्हें बेहतर काम करने के लिए चुना है।

एक बात इस फेरबदल से साफ जाहिर हो गई है कि मुख्यमंत्री ने भावी रणनीति को देखते हुए अपनी पसंद और नापसंद का ध्यान तो रखा ही है,साथ ही योग्यता और समन्वय को भी जांचा परखा है, जिसकी छाप भी इस सूची में दिखाई दे रही है। माना जा सकता है कि उसी हिसाब से यह फेरबदल किया गया है।