Film Review:भौत सई पिच्चर हे भिया – ‘औरों में कहां दम था’

Film Review: भौत सई पिच्चर हे भिया – ‘औरों में कहां दम था’

‘औरों में कहां दम था’ भौत सई पिच्चर हे भिया ! एकदम ‘एक दूजे के लिए’ माफिक ! आजकल कौन बनाता है ऐसी सात्विक, सरल लव- स्टोरी वाली फ़िल्में। पर इसमें रोमांस के साथ ट्विस्ट भी है और पर्दे पर कलाकारों की सादगी भी है। संगीत अच्छा है और एक ही गाने में मुंबई की जन्माष्टमी, दीपावली और होली निपटा दिए गए हैं। जिस किसी ने भी अपने जीवन में कभी प्रेम किया होगा, समंदर की लहरें गिनी होंगी, रातें बेचैनी में बिताई होगी, उसे फिल्म पसंद आएगी।

यह अजय देवगन और तब्बू की दसवीं फिल्म है। इसमें तब्बू जिस तरह सीने में राज छुपाये और मांग में सिन्दूर भरे अजय देवगन से मिलती है ना, कसम से, दर्शकों को रेखा और अमिताभ याद आ जाते हैं। हम दिल दे चुके सनम जैसा भाव आ जाता है। जया बच्चन और काजोल खलनायिका लगने लगती हैं (जो वे नहीं हैं)। अजय देवगन और तब्बू की एक्टिंग ऐसी है कि वह एक्टिंग लगती ही नहीं, दोनों सचमुच कृष्णा और वसुधा लगते हैं ! सई मांजरेकर के हाव भाव, उनका शर्माना, मुस्कुराना, ठिठकना, बालों की लटें सहेजना बीते दौर की अभिनेत्री नूतन जैसा है।

इस फिल्म में रोमांस तो है ही, मुंबई भी है – मुंबई यानी चाल का सहजीवन, मुंबई यानी समुंदर, मुंबई यानी मैरीन ड्राइव और नरीमन प्वाइंट, मुंबई यानी अट्टालिकाएं और साथ ही मुंबई हाड़तोड़ मेहनत, सपने और सपनों का साकार और फ़ना होना। इस सबके बीच – दिल जो न कह सका, वही राज ए दिल, कहने की रात आई और अच्छी आई। इसमें नफ़रत और लड़ाई-झगड़े नहीं, मासूम प्रेम और त्याग है, यानी यह फिल्म लव और केयर का प्रोडक्ट है और प्रेम तो कभी मरता नहीं।

इस फिल्म में जवान अजय देवगन का रोल शांतनु माहेश्वरी ने और युवा तब्बू का रोल सई मांजरेकर ने निभाया है और उसी इंटेंसिटी से निभाया है। यह उन निर्देशकों को सबक है जो बुढ़ाते हीरो को भी जवान दिखाने में लगे रहते हैं। जवान तो कोई भी बीस- बाइस साल में हो जाता है, पर बूढ़ा होने में बचपन और जवानी दोनों खर्च हो जाती है।

यह देखनीय फिल्म है। माटुंगा, मुंबई के मैसूर कैफे की इडली जैसी। स्पाइसी चम्पारण चिकन के शौकीन दूर ही रहें।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।