पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है …
शरण में आए हुए की रक्षा करना यदि हमारा कर्तव्य है, तो शरणागत की वजह से उसके देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे प्राणघातक हमलों पर भी हमें चिंतित होना चाहिए। यदि हमारा कर्तव्य है कि शरण में आई बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सुरक्षा करें, तो हमारी जिम्मेदारी यह भी है कि बांग्लादेश में हिंदू सहित अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों से उनको सुरक्षित करना सुनिश्चित करें। यदि ओवैसी चिंता कर सकते हैं, तो फिर भारत सरकार कोई कदम उठाने की नैतिक जिम्मेदारी से कतरा क्यों रही है?ओवैसी ने हिंदुओं पर हमलों को चिंताजनक बताते हुए कहा है कि बांग्लादेश की सरकार और अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे देश में रह रहे अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करें। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। ओवैसी ने कहा था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले की खबरें चिंताजनक हैं। बांग्लादेश की सरकार और अधिकारियों का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करना कर्तव्य है। उन्होंने आगे कहा कि हमलों के बीच ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि देश के बहुसंख्यक समुदाय के कई लोग अल्पसंख्यक समुदायों के घरों और पूजा स्थलों की रक्षा कर रहे हैं। यह आदर्श होना चाहिए और इस पर सभी को अमल करना चाहिए।
हालांकि ओवैसी की चिंता के बाद भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने भी एक कदम आगे बढ़ाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय बांग्लादेश में रह रहे भारतीय हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार से वन टू वन बातचीत करेगा। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई समेत अन्य) के खिलाफ हिंसा भड़क गई है। इस मामले पर अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर एक कमेटी का गठन किया गया है। बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरू हुए बवाल ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से उनकी कुर्सी छीन ली. इसके बाद से ही बांग्लादेश में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “बांग्लादेश में जारी हालात के मद्देनजर मोदी सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर मौजूदा हालात पर नजर रखने के लिए एक समिति गठित की है। ये समिति बांग्लादेश में अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ संवाद बनाए रखेगी, जिससे वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस समिति की अध्यक्षता एडीजी, सीमा सुरक्षा बल, पूर्वी कमान करेंगे। कहा जा रहा है कि बांग्लादेश में हिंदू और अल्पसंख्यक डर के साए में जी रहे हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद उपद्रवी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं। इन बिगडे हालातों से निपटने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने ये साफ कर दिया है कि मोदी सरकार हरसंभव कोशिश करेगी, जिससे बांग्लादेश में भारतीय और हिंदू समुदायों के हितों की रक्षा की जा सके. इस समिति को खासतौर से भारत-बांग्लादेश बार्डर पर सुरक्षा और स्थिति पर नजर बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह कदम हाल ही में बांग्लादेश में मची उथल-पुथल के बीच उठाया गया है।
नजर बॉर्डर पर रखी जा रही है, तो बॉर्डर के पार नजर रखकर यह समझना भी जरूरी है कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसा बर्ताव हो रहा है। समिति रिपोर्ट कभी भी भेजें, पर तब तक बांग्लादेश में मचे तांडव पर विराम तो लगना ही चाहिए.
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